Dashami Shradh 2023: पितृ पक्ष दशमी श्राद्ध की विधि, मुहूर्त और महत्व यहां जानें

Pitru Paksha Dashami Shradh 2023: पितृ पक्ष की दशमी तिथि के श्राद्ध का विशेष महत्व माना जाता है। जो इस बार 8 अक्टूबर को पड़ा है। मान्यता है श्राद्ध की दशमी तिथि पर श्राद्ध और पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को स्वर्गलोक में स्थान मिलता है।

pitru paksha dashami shradh vidhi

Pitru Paksha Dashami Shradh 2023 Date And Time

Pitru Paksha Dashami Shradh 2023 (दशमी श्राद्ध विधि): पितृ पक्ष की दशमी तिथि को उन दिवंगत सदस्यों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु किसी भी महीने की दशमी तिथि को हुई होती है। हिंदू धर्म में दशमी तिथि के श्राद्ध का विशेष महत्व माना गया है। कहते हैं इस दिन किए गए श्राद्ध से पितरों को स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है। दशमी श्राद्ध को कुतुप, रौहिण और अपराह्न काल इनमें से किसी भी मुहूर्त में किया जा सकता है। यहां जानिए पितृ पक्ष दशमी तिथि श्राद्ध विधि और मुहूर्त।

पितृ पक्ष दशमी श्राद्ध 2023 तिथि और शुभ मुहूर्त | Pitru Paksha 2023 Dashami Shradh Shubh Muhurat

  • दशमी श्राद्ध तिथि- 8 अक्टूबर 2023, रविवार
  • कुतुप मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 45 मिनट से 12 बजकर 32 मिनट तक
  • रोहिण मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 32 मिनट से दोपहर 1 बजकर 19 मिनट तक
  • अपराह्न काल मुहूर्त- दोपहर 01 बजकर 19 मिनट से दोपहर 03 बजकर 39 मिनट तक
  • दशमी तिथि आरंभ- 8 अक्टूबर की सुबह 10 बजकर 12 मिनट से
  • दशमी तिथि समाप्त- 9 अक्टूबर की दोपहर 12 बजकर 36 मिनट पर

पितृ पक्ष 2023 दशमी श्राद्ध विधि | Pitru Paksh Dashami Shradh Vidhi

इस दिन सुबह स्नान करने के बाद कुतुप, रौहिण या अपराह्न काल मुहूर्त में पतरों के निमित्त श्राद्ध कर्म, तर्पण या पिंडदान करना चाहिए। इस श्राद्ध में भोजन को 5 हिस्सों में बांटना चाहिए। इसे पंचबली भोग कहते हैं। जिसमें सबसे पहले गाय, कुत्ता, कौआ, चींटी और देवता को भोजन अर्पित किया जाता है। इसके बाद कम से कम 10 ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है। इस दिन जरूरतमंदों को दान करने का भी विशेष महत्व बताया गया है।

दशमी श्राद्ध का महत्व | Dashami Shradh Importance

शास्त्रों के मुताबिक पितृ पक्ष में दशमी तिथि को उन दिवंगत पितरों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु किसी भी माह की दशमी तिथि को हुई हो। धार्मिक मान्यताओं अनुसार दशमी का विधिवत श्राद्ध करने से पितर तृप्त हो जाते हैं। इतना ही नहीं इस तिथि पर श्राद्ध करने से पितृ दोष तक से छुटकारा मिल जाता है।
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