Pitru Paksha Navami Shradh 2023: पितृ पक्ष नवमी का मुहूर्त और मातृ नवमी श्राद्ध की विधि

Pitru Paksha Navami 2023 Date And Time (पितृ पक्ष नवमी कब है 2023): पितृ पक्ष नवमी तिथि का श्राद्ध 7 अक्टूबर, शनिवार को किया जाएगा। इसे मातृ नवमी श्राद्ध भी कहा जाता है। पितृ पक्ष नवमी यानि मातृ नवमी श्राद्ध का पहला मुहूर्त 11:45 ए एम से 12:32 पी एम तक रहेगा।

pitru paksha navami 2023

Pitru Paksha Navami 2023 Date And Time In Hindi

Pitru Paksha Navami 2023 (पितृ पक्ष नवमी कब है 2023): पितृ पक्ष की नवमी तिथि काफी खास मानी जाती है। इस दिन मुख्य रूप से लोग अपनी माता का श्राद्ध करते हैं। इसके अलावा इस दिन परिवार की ऐसी महिलाओं का श्राद्ध भी किया जाता है जिनकी मृत्यु एक सुहागिन के रूप में हुई हो। यही कारण है कि पितृ पक्ष में पड़ने वाली नवमी तिथि (Navami In Pitru Paksha 2023) को मातृ नवमी श्राद्ध कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि मातृ नवमी (Matri Navami 2023 Date) श्राद्ध पर व्रत रखने से महिलाओं को सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद मिलता है। यहां जानिए पितृ पक्ष की नवमी कब है।

2023 में पितृ पक्ष नवमी कब है (When is Pitru Paksha Navami in 2023?)

पितृ पक्ष का नौवा श्राद्ध 07 अक्टूबर 2023 दिन शनिवार को रखा जाएगा। इस श्राद्ध को करने के लिए पहला कुतुप मूहूर्त 11:45 ए एम से 12:32 पी एम तक रहेगा। दूसरा रौहिण मूहूर्त - 12:32 पी एम से 01:19 पी एम तक और तीसरा अपराह्न काल मुहूर्त 01:19 पी एम से 03:40 पी एम तक रहेगा।

मातृ नवमी श्राद्ध का महत्व (Importance of Matri Navami Shraddha 2023)

मातृ नवमी का श्राद्ध आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को रखा जाता है। इस दिन परिवार के सदस्य अपनी माता और परिवार की ऐसी महिलाओं का श्राद्ध करते हैं जिनकी मृत्यु सुहागिन रहते हुए हुई हो। ऐसी मान्यता है कि मातृ नवमी श्राद्ध के दिन जो महिला व्रत रखती है उसे सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

मातृ नवमी श्राद्ध नियम (Matri Navami Shradh Niyam)

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर घर के दक्षिण दिशा में एक हरे रंग का कपड़ा बिछाएं और उसपर सभी दिवंगत पितरों की फोटो रखें।अगर फोटो ना हो तो उसकी जगह साबूत सुपारी रख दें। फिर पितरों के नाम से तिल के तेल का दीया जलाएं। फिर एक तांबे के लोटे में जल डालकर और उसमें काला तिल मिलाकर पितरों का तर्पण करें। फिर व्रती महिलाएं कुश के आसन पर बैठकर भागवत गीता के नौवें अध्याय का पाठ करें।अंत में ब्राह्मणों को भोजन कराकर उन्हें दक्षिणा देकर विदा करें।
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