दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश पूजन का शुभ मुहूर्त शुरू , यहां जानिए सटीक टाइम
दिवाली पूजा के लिए सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त सबसे उत्तम माने जाते हैं। स्थिर लग्न में माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व होता है। वहीं महा निशीथ काल मुहूर्त माता काली के पूजन के लिए उत्तम माना गया है। चलिए जानते हैं 2024 में दिवाली पूजन का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा।
Diwali Puja Vidhi And Muhurat
दिवाली पूजा का समय 2024 (Diwali 2024 Puja Muhurat In Hindi)
इस साल दिवाली कहीं 31 अक्टूबर को मनाई गई तो कहीं 1 नवंबर को मनाई जा रही है। पंचांग अनुसार कार्तिक अमावस्या 31 अक्टूबर को दोपहर 03:52 बजे लग चुकी है जो 01 नवम्बर को सायंकाल 06 बजकर 16 मिनट तक रहेगी।
दिवाली लक्ष्मी पूजा मुहूर्त 2024 (Diwali Laxmi Puja Muhurat 2024)
दिवाली लक्ष्मी पूजन प्रदोष काल मुहूर्त शाम 05:36 से रात 08:16 बजे तक रहेगा।
दिवाली स्थिर लग्न मुहूर्त 2024 (Diwali Sthir Lagna 2024)
दिवाली स्थिर लग्न (वृष लग्न) शाम 06:20 से रात 08:15 बजे तक रहेगा। इस मुहूर्त में माता लक्ष्मी की पूजा बेहद शुभ मानी जाती है।
दिवाली निशीथ काल मुहूर्त 2024 (Nishita Kaal Muhurat Diwali 2024)
दिवाली निशीथ काल मुहूर्त रात 11:39 से देर रात 12:31 तक रहेगा।
Diwali Ki Aarti
दिवाली चौघड़िया मुहूर्त 2024 (Diwali Choghadiya Muhurat 2024)
प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) - 06:33 से 10:42
अपराह्न मुहूर्त (शुभ) - 12:04 PM से 1:27 PM
अपराह्न मुहूर्त (चर) - 04:13 PM से 05:36 PM
दिवाली 2024 शहर अनुसार मुहूर्त (Diwali 2024 Shubh Muhurat City Wise)
नई दिल्ली- 05:36 PM से 06:16 PM
नोएडा- 05:35 PM से 06:16 PM
पुणे- 06:54 PM से 08:33 PM
चेन्नई- 05:42 PM से 06:16 PM
जयपुर- 05:44 PM से 06:16 PM
हैदराबाद- 05:44 PM से 06:16 PM
गुरुग्राम- 05:37 PM से 06:16 PM
चण्डीगढ़- 05:35 PM से 06:16 PM
कोलकाता- 05:45 PM से 06:16 PM
मुम्बई- 06:57 PM से 08:36 PM
बेंगलूरु- 06:47 PM से 08:21 PM
अहमदाबाद- 06:52 PM से 08:35 PM
Shubh Muhurat For Diwali 2024: दिवाली लक्ष्मी पूजा समय 2024
प्रदोष काल - 17:36 से 20:11वृषभ काल - 18:20 से 20:15
लक्ष्मी गायत्री मन्त्र (Laxmi Gayatri Mantra)
ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि,तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
ganesh aarti lyrics: गणेश आरती लिरिक्स
जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती
पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत,
चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे
मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती
पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े,
और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे
संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती
पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत,
कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत
निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती
पिता महादेवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए,
सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती
पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती
पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो,
शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो
जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती
पिता महादेवा ॥
दीपक जलाने की दिशा (Deepak Kis Disha Me Jalaye)
दीपक हमेशा पूर्व और उत्तर दिशा में जलाना चाहिए। दक्षिण दिशा में दीपक जलाने से बचना चाहिए।दिवाली पर पूजा के मंत्र
दिवाली पर पूजा के मंत्र : दिवाली पर मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए आप महालक्ष्मी के महामंत्र "ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद् श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मयै नम: " का कम से कम 108 बार बार जाप करेंगे तो आपके ऊपर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगीदिवाली पर दीये जलाने का मंत्र (Diwali Par Diye Jalane Ka Mantra)
शुभं करोति कल्याणं आरोग्यम् धनसंपदा।शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोऽस्तु ते।।
दिवाली महानिशीथ काल मुहूर्त- 01 नवंबर
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त : कोई नहींअवधि :0 घंटे 0 मिनट
महानिशीथ काल: 23:38 से 24:30 तक
सिंह काल : 24:52 से 27:10 तक
दिवाली पूजा मंत्र (Diwali Puja Mantra)
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदाॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः
ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा
ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः
धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च। भगवान् त्वत्प्रसादेन धनधान्यादिसम्पदः
दिवाली लक्ष्मी आरती (Diwali Laxmi Aarti)
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता, मैय्या तुम ही जग माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता, मैय्या सुख संपत्ति पाता।
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता, मैय्या तुम ही शुभ दाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता, मैय्या सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता, मैय्या वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता, मैय्या क्षीरगदधि की जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता, मैय्या जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
सब बोलो लक्ष्मी माता की जय, लक्ष्मी नारायण की जय।
Diwali Puja Timing 2024: दिवाली पूजा का समय
18:54 से अक्टूबर 31 को 20:33 बजे - पुणे17:36 से 18:16 - नई दिल्ली
17:42 से 18:16 - चेन्नई
17:44 से 18:16 - जयपुर
17:44 से 18:16 - हैदराबाद
17:37 से 18:16 - गुरुग्राम
1 नवंबर 2024 पंचांग (1 November 2024 Panchang)
संवत---पिङ्गला विक्रम संवत 2081माह-कार्तिक ,शुक्ल पक्ष
तिथि- अमावस्या 05:13pm तक फिर प्रतिपदा,दिवस -शुक्रवार
सूर्योदय-06:31am
सूर्यास्त-05:38 pm
नक्षत्र-- स्वाती
चन्द्र राशि -- तुला राशि,स्वामी ग्रह -शुक्र
सूर्य राशि- तुला,स्वामी ग्रह-शुक्र
करण-नागव
योग: प्रीति
काली माता की आरती (Kali Mata Ki Aarti)
काली माता की आरती (Kali Mata Ki Aarti)अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुन गाए भारती, हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती |
तेरे भक्त जनो पार माता भये पड़ी है भारी |
दानव दल पार तोतो माड़ा करके सिंह सांवरी |
सोउ सौ सिंघों से बालशाली, है अष्ट भुजाओ वली,
दुशटन को तू ही ललकारती |
हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती |
माँ बेटी का है इस जग जग बाड़ा हाय निर्मल नाता |
पूत कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता |
सब पे करुणा दर्शन वालि, अमृत बरसाने वाली,
दुखीं के दुक्खदे निवर्तती |
हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती |
नहि मँगते धन धन दौलत ना चण्डी न सोना |
हम तो मांगे तेरे तेरे मन में एक छोटा सा कोना |
सब की बिगड़ी बान वाली, लाज बचाने वाली,
सतियो के सत को संवरती |
हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती |
चरन शरण में खडे तुमहारी ले पूजा की थाली |
वरद हस् स सर प रख दो म सकत हरन वली |
माँ भार दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओ वली,
भक्तो के करेज तू ही सरती |
हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती |
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली |
तेरे ही गुन गाए भारती, हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती |
गणेश चालीसा
॥ दोहा ॥जय गणपति सदगुण सदन,
कविवर बदन कृपाल ।
विघ्न हरण मंगल करण,
जय जय गिरिजालाल ॥
॥ दोहा ॥
जय गणपति सदगुण सदन,
कविवर बदन कृपाल ।
विघ्न हरण मंगल करण,
जय जय गिरिजालाल ॥
॥ चौपाई ॥
जय जय जय गणपति गणराजू ।
मंगल भरण करण शुभः काजू ॥
जै गजबदन सदन सुखदाता ।
विश्व विनायका बुद्धि विधाता ॥
वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना ।
तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन ॥
राजत मणि मुक्तन उर माला ।
स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला ॥
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं ।
मोदक भोग सुगन्धित फूलं ॥
सुन्दर पीताम्बर तन साजित ।
चरण पादुका मुनि मन राजित ॥
धनि शिव सुवन षडानन भ्राता ।
गौरी लालन विश्व-विख्याता ॥
ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे ।
मुषक वाहन सोहत द्वारे ॥
कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी ।
अति शुची पावन मंगलकारी ॥
एक समय गिरिराज कुमारी ।
पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी ॥ 10 ॥
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा ।
तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा ॥
अतिथि जानी के गौरी सुखारी ।
बहुविधि सेवा करी तुम्हारी ॥
अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा ।
मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ॥
मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला ।
बिना गर्भ धारण यहि काला ॥
गणनायक गुण ज्ञान निधाना ।
पूजित प्रथम रूप भगवाना ॥
अस कही अन्तर्धान रूप हवै ।
पालना पर बालक स्वरूप हवै ॥
बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना ।
लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना ॥
सकल मगन, सुखमंगल गावहिं ।
नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं ॥
शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं ।
सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं ॥
लखि अति आनन्द मंगल साजा ।
देखन भी आये शनि राजा ॥ 20 ॥
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं ।
बालक, देखन चाहत नाहीं ॥
गिरिजा कछु मन भेद बढायो ।
उत्सव मोर, न शनि तुही भायो ॥
कहत लगे शनि, मन सकुचाई ।
का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई ॥
नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ ।
शनि सों बालक देखन कहयऊ ॥
पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा ।
बालक सिर उड़ि गयो अकाशा ॥
गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी ।
सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी ॥
हाहाकार मच्यौ कैलाशा ।
शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा ॥
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो ।
काटी चक्र सो गज सिर लाये ॥
बालक के धड़ ऊपर धारयो ।
प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो ॥
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे ।
प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे ॥ 30 ॥
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा ।
पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा ॥
चले षडानन, भरमि भुलाई ।
रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई ॥
चरण मातु-पितु के धर लीन्हें ।
तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें ॥
धनि गणेश कही शिव हिये हरषे ।
नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे ॥
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई ।
शेष सहसमुख सके न गाई ॥
मैं मतिहीन मलीन दुखारी ।
करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी ॥
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा ।
जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा ॥
अब प्रभु दया दीना पर कीजै ।
अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै ॥ 38 ॥
॥ दोहा ॥
श्री गणेश यह चालीसा,
पाठ करै कर ध्यान ।
नित नव मंगल गृह बसै,
लहे जगत सन्मान ॥
॥ चौपाई ॥
जय जय जय गणपति गणराजू ।
मंगल भरण करण शुभः काजू ॥
जै गजबदन सदन सुखदाता ।
विश्व विनायका बुद्धि विधाता ॥
वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना ।
तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन ॥
राजत मणि मुक्तन उर माला ।
स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला ॥
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं ।
मोदक भोग सुगन्धित फूलं ॥
सुन्दर पीताम्बर तन साजित ।
चरण पादुका मुनि मन राजित ॥
धनि शिव सुवन षडानन भ्राता ।
गौरी लालन विश्व-विख्याता ॥
ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे ।
मुषक वाहन सोहत द्वारे ॥
कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी ।
अति शुची पावन मंगलकारी ॥
एक समय गिरिराज कुमारी ।
पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी ॥ 10 ॥
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा ।
तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा ॥
अतिथि जानी के गौरी सुखारी ।
बहुविधि सेवा करी तुम्हारी ॥
अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा ।
मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ॥
मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला ।
बिना गर्भ धारण यहि काला ॥
गणनायक गुण ज्ञान निधाना ।
पूजित प्रथम रूप भगवाना ॥
अस कही अन्तर्धान रूप हवै ।
पालना पर बालक स्वरूप हवै ॥
बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना ।
लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना ॥
सकल मगन, सुखमंगल गावहिं ।
नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं ॥
शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं ।
सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं ॥
लखि अति आनन्द मंगल साजा ।
देखन भी आये शनि राजा ॥ 20 ॥
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं ।
बालक, देखन चाहत नाहीं ॥
गिरिजा कछु मन भेद बढायो ।
उत्सव मोर, न शनि तुही भायो ॥
कहत लगे शनि, मन सकुचाई ।
का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई ॥
नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ ।
शनि सों बालक देखन कहयऊ ॥
पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा ।
बालक सिर उड़ि गयो अकाशा ॥
गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी ।
सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी ॥
हाहाकार मच्यौ कैलाशा ।
शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा ॥
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो ।
काटी चक्र सो गज सिर लाये ॥
बालक के धड़ ऊपर धारयो ।
प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो ॥
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे ।
प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे ॥ 30 ॥
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा ।
पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा ॥
चले षडानन, भरमि भुलाई ।
रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई ॥
चरण मातु-पितु के धर लीन्हें ।
तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें ॥
धनि गणेश कही शिव हिये हरषे ।
नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे ॥
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई ।
शेष सहसमुख सके न गाई ॥
मैं मतिहीन मलीन दुखारी ।
करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी ॥
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा ।
जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा ॥
अब प्रभु दया दीना पर कीजै ।
अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै ॥ 38 ॥
॥ दोहा ॥
श्री गणेश यह चालीसा,
पाठ करै कर ध्यान ।
नित नव मंगल गृह बसै,
लहे जगत सन्मान ॥
लक्ष्मी जी आरती
ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।।तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
मैया तुम ही जग-माता।।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
मैया सुख संपत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
तुम पाताल-निवासिनि,तुम ही शुभदाता।
मैया तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
मैया सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
मैया वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
मैया क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
महालक्ष्मी जी की आरती,जो कोई नर गाता।
मैया जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
diwali pooja timing: दिवाली पूजा टाइमिंग
पंचांग के अनुसार, 31 अक्टूबर को (Diwali 2024 Shubh Muhurat) लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त संध्याकाल 05 बजकर 36 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 51 मिनट तक है।लक्ष्मी पूजन मुहूर्त 2024
पंचांग के अनुसार, आज यानी 31 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त संध्याकाल 05 बजकर 36 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 51 मिनट तक है।Deepawali poojan samagri
पूजा के दौरान धन की देवी मां लक्ष्मी को फल, फूल, धूप, दीप, हल्दी, अखंडित चावल, बताशा, सिंदूर, कुमकुम, अबीर-गुलाल, सुगंधित द्रव्य और नैवेद्य आदि चीजें अर्पित करें। पूजा के समय लक्ष्मी चालीसा का पाठ, लक्ष्मी स्तोत्र और मंत्र जप करें। पूजा के अंत में आरती करें।Diwali Bhog: दिवाली भोग
लड्डू विशेष रूप से बेसन और मोतीचूर के लड्डू माता लक्ष्मी को प्रिय हैं। दीपावली की रात इन्हें भोग लगाकर प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। ऐसा माना जाता है कि लड्डू अर्पित करने से जीवन में सौभाग्य और शुभ फल की प्राप्ति होती है। यह भी कहा जाता है कि लड्डू समर्पित करने से गृहस्थी में शांति और सुख की वृद्धि होती है।दिवाली पूजा मंत्र (Diwali Puja Mantra)
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदाॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः
ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा
ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः
धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च। भगवान् त्वत्प्रसादेन धनधान्यादिसम्पदः
Diwali Puja Vidhi: दिवाली पूजा विधि
दिवाली पूजन के लिए सबसे पहले पूजा स्थल को साफ करें। ...चौकी पर मां लक्ष्मी व भगवान गणेश को स्थापित करें। ...
इसके बाद भगवान कुबेर, मां सरस्वती व कलश की स्थापना करें।
अब पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़कें। ...
सबसे पहले गणेश जी का पूजन करें।
भगवान गणेश को तिलक लगाएं और उन्हें दूर्वा व मोदक अर्पित करें।
कुबेर मंत्र (Kuber Mantra)
ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतयेधनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥
-ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः॥
-ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥
दिवाली पर लक्ष्मी पूजन की विधि (Diwali Laxmi Pujan Vidhi)
गंगाजल मिलाकर स्नान कर साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें। लकड़ी की चौकी पर लाल या पीले रंग का वस्त्र बिछाएं और इस स्थान पर गंगाजल का छिड़काव कर पवित्र करें। इस चौकी पर भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की मूर्तियां स्थापित कर लें। सर्वप्रथम विघ्नहर्ता गणेश जी की पूजा करें और उसके बाद माता लक्ष्मी का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करें और श्रृंगार की वस्तुएं चढ़ाये। इसके साथ ही फूल, धुप, दीप, इलायची, सुपारी और भोग आदि आर्पित करें। माता की आरती करके पूजा संपन्न करें।Diwali par kiski puja hoti: दिवाली पर किसकी आरती
पूजा के दौरान लक्ष्मी आरती हिंदू धर्म में एक महान अनुष्ठान है जो दिवाली यानी रोशनी के त्योहार पर किया जाता है।Noida Diwali Pujan Timing Today: नोएडा में दिवाली लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त
नोएडा में दिवाली लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 35 मिनट से रात 8 बजकर 11 मिनट तक रहेगा। ज्योतिष विद्वानों अनुसार इस मुहूर्त में माता लक्ष्मी की पूजा से विशेष लाभ प्राप्त होगा।Diwali Pujan Timing Today Delhi: दिल्ली में दिवाली पूजा का समय
नई दिल्ली में दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 35 मिनट से शुरू होकर रात 8 बजकर 11 मिनट तक रहेगा।Diwali Vrat Katha: दिवाली व्रत कथा
सनातन शास्त्रों में निहित है कि चिरकाल में राजा बलि का वर्चस्व तीनों लोक में फैला था। राजा बलि न केवल महान योद्धा थे, बल्कि दानवीर भी थे। इसके चलते तीनों लोकों में उनकी चर्चा होती थी। इसी दौरान राजा बलि ने स्वर्ग पर आक्रमण कर इंद्र देव को पदच्युत (हटा) कर दिया। सत्ता छीन जाने के बाद स्वर्ग नरेश इंद्र यत्र-तत्र भटकने लगे थे। उस समय इंद्र की मां अदीति, जगत के पालनहार भगवान विष्णु के पास पहुंची और अपनी आपबीती एवं मन की व्यथा सुनाई।मां अदीति को दुखी देखकर भगवान विष्णु बोले- हे माते! आप बिलकुल भी चिंतित न रहें। भविष्य में मेरा जन्म आपके गर्भ से होगा। उस समय इंद्र देव को पुन: स्वर्ग की गद्दी मिल जाएगी। अतः आप प्रसन्न होकर जाएं और सही समय की प्रतीक्षा करें। कालांतर में मां अदिति ने भगवान विष्णु की कठिन उपासना की। मां अदिति की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु वामन रूप में अवतरित हुए। काल गणना के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन वामन अवतार रूप में अवतरित हुए थे।
कुछ समय बाद दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य की सलाह पर राजा बलि ने अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया। इस यज्ञ के सफल होने पर राजा बलि तीनों लोकों के विजेता बन जाते। राजा बलि ने अश्वमेध यज्ञ की सफलता के लिए तीनों लोकों को आमंत्रित किया। आमंत्रण पाने के बाद भगवान विष्णु भी वामन रूप में पहुंचे। वामन ब्राह्मण का राजा बलि ने आदर-सत्कार किया। वामन देवता के लौटने के क्रम में राजा बलि ने दान देने की इच्छा जताई।
हालांकि, वामन देव ने दान लेने की सहमति नहीं दी। इसके बाद पुनः राजा बलि ने दान देने की बात की। तब वामन देव ने तीन पग भूमि ही मांगी। यह सुन राजा बलि मन ही मन मुस्कराने लगे और मानो! ये तो कुछ नहीं है। ऐसा सोच तत्क्षण देने की बात कही। तब भगवान विष्णु ने एक पग में भूमि, तो दूसरे पग में नभ माप लिया। तीसरे पग के लिए भूमि नहीं बची, तो राजा बलि ने अपना मस्तिष्क भगवान विष्णु के पग के नीचे रख दिया।
भगवान विष्णु के पैर रखते ही राजा बलि पाताल लोक में जा पहुंचे। यह सब देख राजा बलि भगवान नारायण को पहचान गये। तब भगवान विष्णु ने राजा बलि की भक्ति से प्रसन्न होकर वरदान मांगने को कहा। राजा बलि ने भगवान विष्णु को अपने साथ पाताल में रहने का वर मांगा। भगवान विष्णु ने राजा बलि के वरदान को स्वीकार कर लिया। इधर इंद्र देव को स्वर्ग का सिंहासन प्राप्त हो गया। उधर भगवान विष्णु के बैकुंठ न लौटने पर मां लक्ष्मी चिंतित हो उठीं।
जब उन्हें भगवान विष्णु के पाताल लोक में रहने की जानकारी हुई। तब मां लक्ष्मी रक्षा सूत्र लेकर पाताल लोक पहुंची। वहां, राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधकर अपना भाई बना लिया। इससे प्रसन्न होकर राजा बलि ने वर मांगने को कहा। तब मां लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को पाताल लोक से मुक्त करने का वरदान माँगा, जिसे राजा बलि ने स्वीकार कर लिया। लेकिन भगवान विष्णु के बैकुंठ लौटने से पहले राजा बलि ने एक और वर मांग लिया।
इस वर के तहत श्रावण पूर्णिमा से लेकर धनतेरस तक पाताल लोक में रहने का अनुरोध किया। लक्ष्मी नारायण जी ने राजा बलि की विनती को स्वीकार कर लिया। इसके बाद जब भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी बैकुंठ लौटे तो दीप पर्व दीवाली मनाया गया। कहा यह भी जाता है कि धनतेरस से लेकर दीवाली तक अपनी बहन मां लक्ष्मी की पूजा करने का भी वरदान राजा बलि ने मांगा था। इसके लिए धनतेरस से लेकर दीवाली तक मां लक्ष्मी (Maa Lakshmi Vrat Katha) की पूजा की जाती है।
दिवाली की आरती (Diwali Ki Aarti)
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता, मैय्या तुम ही जग माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता, मैय्या सुख संपत्ति पाता।
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता, मैय्या तुम ही शुभ दाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता, मैय्या सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता, मैय्या वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता, मैय्या क्षीरगदधि की जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता, मैय्या जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
सब बोलो लक्ष्मी माता की जय, लक्ष्मी नारायण की जय।
Diwali Pujan Timing Today, Delhi Diwali Laxmi Ganesh Puja Time 2024: दिल्ली में लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त
नई दिल्ली में दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 35 मिनट से शुरू होकर रात 8 बजकर 11 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में माता लक्ष्मी की पूजा विशेष रूप से फलदायी साबित होगी। इसके अलावा इस दिन निशिता काल पूजा समय रात 11 बजकर 39 मिनट से देर रात 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। स्थिर लग्न शाम 6 बजकर 27 मिनट से रात 8 बजकर 23 मिनट तक रहेगा।Diwali Kali Puja Vidhi: दिवाली काली पूजा विधि
- मां काली की पूजा के लिए सुबह स्नान कर तैयार हो जाएं।
- माता काली की मूर्ति को एक चौकी पर लाल या काले कपड़ा बिछाकर स्थापित करें।
- फिर मां काली का आह्वान करें।
- माता काली की मूर्ति पर जल, दूध और फूल अर्पित करें।
- फिर माता को सिंदूर, हल्दी, कुमकुम और काजल चढ़ाएं।
- माता को फूल माला पहनाएं।
- उनके समक्ष सरसों के तेल का दीपक जलाएं और कपूर से उनकी आरती करें।
- माता की प्रतिमा के आगे धूप या अगरबत्ती जलाएं।
- फिर मिठाई, फल और नैवेद्य मां को अर्पित करें।
- पूजा के समय ॐ क्रीं काली या क्रीं काली का जाप करें।
- फिर मां काली की कपूर से आरती करें। पूजा क बाद प्रसाद सभी में बांट दें।
Ram Ji Ki Aarti: राम जी की आरती
श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भव भय दारुणम्।नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।
कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।
.जु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।
मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।
एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।
दोहा- जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।
Laxmi Ji Ki Aarti: लक्ष्मी जी की आरती
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता, मैय्या तुम ही जग माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता, मैय्या सुख संपत्ति पाता।
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता, मैय्या तुम ही शुभ दाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता, मैय्या सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता, मैय्या वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता, मैय्या क्षीरगदधि की जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता, मैय्या जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
सब बोलो लक्ष्मी माता की जय, लक्ष्मी नारायण की जय।
Diwali Par Deepak Kha Kha Rakhe: दिवाली पर दीपक कहां-कहां रखने चाहिए
- सबसे पहले मंदिर में सरसो और घी का दीपक जलाएं
- मुख्य द्वार पर दीपक जरूर रखें
- लिविंग रूम में दीपक जलाकर रखना चाहिए
- घर की रसोई में दीये जरूर जलाएं
- छत और बालकनी में भी दीपक जरूर जलाएं
- एक दीपक तुलसी के पौधे के पास रखें
- एक दीपक पीपल के पेड़ के नीचे जलाएं
- एक दीया घर के पास किसी मंदिर में जाकर जलाएं
- इसके अलावा घर के हर कमरे के द्वार पर भी दीये रखने चाहिए
Diwali Laxmi Ji Ki Katha (Diwali Laxmi Ji Ki Katha)
एक समय की बात है कार्तिक अमावस्या को लक्ष्मीजी भ्रमण करने के लिए निकलीं थीं। उस दिन चारों तरफ अंधकार व्याप्त था। जिस कारण वो रास्ता भूल गईं। तब उन्होंने निश्चय किया कि वो रात वे मृत्युलोक यानी धरती पर ही गुजार लेंगी और सूर्योदय के बाद बैकुंठधाम वापस चली जाएंगी। उस रात माता ने देखा कि लोग अपने घरों के द्वार बंद कर सो रहे हैं।तभी माता को अंधकार के साम्राज्य में एक द्वार खुला देखा जिसमें दीपक जल रहा था। माता दीपक की रोशनी देख उसी घर की तरफ चल दीं। वहां माता ने एक बूढ़ी महिला को चरखा चलाते देखा। उस रात माता वृद्धि महिला की अनुमति से उसी के घर ठहर गईं। वृद्ध महिला ने माता को आराम करने के लिए बिस्तर दिया। इसके बाद वो फिर से अपने काम में लग गई।
चरख चलाते चलाते बूढ़ी महिला को नींद आ गई। जब दूसरे दिन सुबह उसकी आंख खुली तो उसने देखा जो महिला रात में रूकी थी वो चली गई है। लेकिन बुढ़िया ये देखकर हैरान रह गई कि उसकी कुटिया में महल में बदल चुकी है। चारों तरफ धन-धान्य और रत्न बिखरे हुए थे। कथा अनुसार जो व्यक्ति अमावस्या की रात में माता की सच्चे मन से अराधना करता है उसके जीवन में धन-दौलत की कभी कमी नहीं होती।
हे लक्ष्मी माता जैसे आप उस वृद्ध महिला पर प्रसन्न हुईं ठीक वैसे ही सब पर प्रसन्न होना। कहते हैं तभी से कार्तिक अमावस पर दीप जलाने की परंपरा शुरू हो गई। इसलिए इस दिन लोग द्वार खोलकर और दीपक जलाकर माता लक्ष्मी के आने की प्रतिक्षा करते हैं।
© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited