Pradosh Vrat Date: कल रखा जाएगा आश्विन मास का आखिरी प्रदोष व्रत, जान लें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Pradosh Vrat Date: सनातन परंपरा में प्रदोशष व्रत का बहुत महत्व होता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। ऐसाी मान्यता है प्रदोष व्रत करने से साधक की तमाम इच्छाएं पूरी होती है। इसके साथ ही उसको शुभ फल की प्राप्ति होती है। कब है आश्विन मास की आखिरी प्रदोष व्रत, पूजा विधि, महत्व । यहां जानें सारी जानकारी हिंदी में।

Pradosh Vrat Date

Pradosh Vrat Kab Hai: आश्विन मास का आखिरी प्रदोष व्रत इस बार 26 अक्टूबर गुरुवार के दिन यानि कल पड़ रहा है। हर महीने में दो प्रदोष व्रत आते हैं। प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है। इस बार ये व्रत गुरुवार के दिन पड़ रहा है इसिलए इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जा रहा है। प्रदोष व्रत के दिन विशेष रूप से भगवान भोलेनाथ की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और साधक को मनवांछित फल की प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं। इस व्रत को श्रद्धा पूर्वक करने से साधक को तमाम संकटों से छुटकारा मिल जाता है। आइए जानते हैं प्रदोष व्रत की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में।

Guru Pradosh Vrat Puja Muhurat: गुरु प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्तहिंदू पंचांग के अनुसार इस महीने का प्रदोष व्रत 26 अक्टूबर को रखा जाएगा। इस बार शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 26 अक्टूबर को सुबह 9: 44 पर होगाी और इसका समापन 27 अक्टूबर को 6:56 पर होगा। प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में ही पूजा की जाती है। इस बार प्रदोष काल में पूजा का समय 26 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 41 मिनट से रात के 8 बजकर 16 मिनट तक होगा। इस समय पूजा करने से साधक को उत्तम फल की प्राप्ति होती है।

प्रदोष व्रत पूजा विधि ( Guru Pradosh Vrat Puja Vidhi)
  • गुरु प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होकर व्रत का संकल्प लें।
  • उसके बाद भगवान शिव की पूजा कर उनके आगे धूप दीप जलाएं।
  • इस दिन मंदिर जाकर पूजा करना भी शुभ होता है और शिवलिंग पर जल चढ़ाएं।
  • शाम के समय पूजा के लिए साफ चौकी पर शिव की मूर्ति स्थापित करें।
  • उसके बाद शिव चालीसा और कथा का पाठ करें।
  • अंत में शिव जी की आरती कर भोग लगाएं।
  • पूजा के दौरान शिव मंत्रों का जाप करना भी उत्तम माना गया है।

प्रदोष व्रत के लाभ

प्रदोष व्रत को सभी व्रतों से अधिक शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को लगातार एक साल तक करने से महादेव सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इस व्रत को करने से साधक की तमाम परेशानियों का नाश हो जाता है। जो भी व्यक्ति प्रदोष व्रत को सच्चे मन से भगवान शंकर उसकी सारी इच्छाओं की पूर्ति करते हैं।

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