Mangal Pradosh Vrat Katha In Hindi: आज इस मुहूर्त में पढ़ें प्रदोष व्रत कथा, भोलेनाथ की बरसेगी विशेष कृपा
Pradosh Vrat Katha Today: आज प्रदोष व्रत पूजा का समय शाम 07:05 से रात 09:13 बजे तक रहेगा जबकि सूर्यास्त शाम 07:05 बजे होगा। यहां आप जानेंगे मंगल प्रदोष व्रत की कथा।
Mangal Pradosh Vrat Katha In Hindi
Pradosh Vrat Katha Mangalwar In Hindi (भौम प्रदोष व्रत कथा): जो प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन पड़ता है उसे भौम प्रदोष व्रत या मंगल प्रदोष व्रत कहा जाता है। हिंदू धर्म में मंगलवार प्रदोष व्रत का विशेष महत्व माना जाता है। कहते हैं जो कोई भी इस व्रत को विधि विधान रखकर इसकी व्रत कथा सुनता है उसके जीवन के सारे दुख दूर हो जाते हैं। ये व्रत साहस में वृद्धि करता है और शत्रुओं से भी मुक्ति दिलाता है। 4 जून को यानी आज मंगल प्रदोष व्रत है। यहां पढ़ें मंगलवार प्रदोष व्रत की कथा।
प्रदोष व्रत कब, कैसे और क्यों रखा जाता है, जानिए इस व्रत के बारे में सबकुछ
मंगल प्रदोष व्रत कथा (Mangal Pradosh Vrat Katha In Hindi)
मंगल प्रदोष व्रत की कथा अनुसार एक समय की बात है एक नगर में एक वृद्धा रहती थी। जिसका एक ही पुत्र था। वृद्धा हनुमानजी की बड़ी भक्त थी। वह प्रत्येक मंगलवार को विधि विधान व्रत रखकर हनुमानजी की सच्चे मन से आराधना करती थी। एक दिन हनुमानजी ने उस वृद्ध महिला की श्रद्धा का परीक्षण करने का विचार किया। हनुमानजी उसके घर साधु का वेश में पहुंचे और पुकारने लगे- है कोई हनुमान भक्त! जो मेरी इच्छा पूर्ण कर सके?
आवाज सुन वृद्धा जल्दी से बाहर आई और साधु को प्रणाम कर बोली- आज्ञा महाराज!
साधु बोले- मैं भूखा हू, भोजन करूंगा, इसलिए तुम थोड़ी सी जमीन लीप दो। वृद्धा दुविधा में पड़ गई और अंतत: हाथ जोड़कर बोली- महाराज! आप इस कार्य के अतिरिक्त कोई दूसरी आज्ञा दें, मैं उसे अवश्य पूर्ण करूंगी। साधु ने वृद्धा से तीन बार प्रतिज्ञा कराने के बाद कहा- तू अपने बेटे को बुला। अब मैं उसकी पीठ पर आग जलाकर भोजन बनाऊंगा। साधु महाराज की ये बात सुनकर वृद्धा घबरा गई लेकिन वह प्रतिज्ञाबद्ध थी इसलिए कुछ नहीं कर सकती थी। उसने अपने पुत्र को बुलाकर साधु को सौंप दिया।
साधु के वेश में हनुमानजी ने वृद्धा के हाथों से ही उसके पुत्र को पेट के बल लिटवाया और उसकी पीठ पर आग जलवाई। इसके बाद वृद्धा दु:खी मन से अपने घर को चली गई। इधर भोजन बनाकर साधु ने वृद्धा को बुलाया और कहा कि उनका भोजन बन गया है। अब तुम अपने पुत्र को पुकारो जिससे वह भी आकर भोग लगा ले। इस पर वृद्धा ने कहा कि उसका नाम लेकर मुझे कष्ट न दें।
साधु महाराज ने फिर से वृद्धा को उसके बेटे को पुकारने के लिए कहा तब उसने अपने पुत्र को आवाज लगाई। मां की आवाज सुनते ही उसका पुत्र सामने आ गया। अपने पुत्र को जीवित देख वृद्धा आश्चर्यचकित रह गई और वह साधु के चरणों में गिर पड़ी। तब हनुमानजी अपने वास्तविक रूप में ऐए और वृद्धा को आशीर्वाद दिया। बोलो बजरंगबली की जय ! हर हर महादेव !
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें
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