Pradosh Vrat Katha In Hindi: रवि प्रदोष व्रत कथा पढ़ने से सुख, शांति और लंबी आयु का मिलेगा वरदान
Ravi Pradosh Vrat Katha In Hindi (Trayodashi Vrat Katha): जब प्रदोष व्रत रविवार को पड़ता है तो उसे रवि प्रदोष या भानु प्रदोष के नाम से जाना जाता है। रवि प्रदोष व्रत रखने से सुख, शांति और लंबी आयु प्राप्त होती है। यहां देखें रवि प्रदोष व्रत कथा।
Ravi Pradosh Vrat Katha In Hindi
Ravi Pradosh Vrat Katha In Hindi, Trayodashi Vrat Katha (प्रदोष व्रत कथा): आज यानि 24 दिसंबर को रवि प्रदोष व्रत है। जिन लोगों की कुंडली में सूर्य अशुभ प्रभाव में हो उन्हें रवि प्रदोष व्रत रखने की सलाह दी जाती है। धार्मिक मान्यताओंअनुसार इस व्रत को करने से व्यक्ति को मान-सम्मान और यश की प्राप्ति होती है। रवि प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा की जाती है। यहां देखें रवि प्रदोष व्रत कथा।
Ravi Pradosh Vrat Katha In Hindi (रवि प्रदोष व्रत कथा)
एक गांव में अति दीन ब्राह्मण रहता था। उसकी स्त्री प्रदोष व्रत रखती थी। उसे एक ही पुत्र था। एक समय की बात है उसका पुत्र गंगा स्नान करने गया। दुर्भाग्य से रास्ते में उसे चोरों ने घेर लिया और वे कहने लगे कि तुम अपने पिता के गुप्त धन के बारे में हमें बतला दो। हम तुम्हें कुछ नहीं करेंगे। बालक ने कहा कि बंधुओं! हम अत्यंत दु:खी दीन हैं। हमारे पास धन कहां है, तब चोरों ने कहा तेरी पोटली में क्या है। बालक ने नि:संकोच कहा कि इसमें मेरी मां ने मेरे लिए रोटियां दी हैं। (रवि प्रदोष व्रत पूजा विधि और शुभ मुहूर्त)
यह सुनकर चोरों ने उसे जाने दिया। बालक वहां से चलते हुए एक सुंदर नगर में पहुंच गया। उस नगर के पास बरगद का पेड़ था। बालक उसी बरगद के पेड़ के नीचे जाकर सो गया। उसी समय चोरों को खोजते हुए उस नगर के सिपाही वहां पहुंचे और बालक को चोर समझकर बंदी बनाकर राजा के पास ले गए। राजा ने उसे कारावास में डाल दिया।
ब्राह्मणी का लड़का जब घर नहीं लौटा, तो वे परेशान होने लगी। अगले दिन प्रदोष व्रत था। ब्राह्मणी ने प्रदोष व्रत किया और मन-ही-मन अपने पुत्र की कुशलता की भगवान शंकर से प्रार्थना करने लगी। भगवान ने उस ब्राह्मणी की प्रार्थना स्वीकार की।
उसी रात भगवान शंकर उस राजा के सपने में आए और उसे आदेश दिया कि वह बालक चोर नहीं है, उसे प्रात:काल छोड़ दें अन्यथा तुम्हारा सबकुछ नष्ट हो जाएगा। प्रात:काल ही राजा ने उस बालक को कारावास से मुक्त कर दिया गया। बालक ने अपनी कहानी राजा को सुनाई।
वृत्तांत सुनकर राजा ने अपने सिपाहियों को बालक के घर उसके माता-पिता को राजदरबार में बुलाने के लिए भेजा। बालक के माता-पिता बहुत ही भयभीत थे। राजा ने उन्हें कहा कि आप भयभीत न हो। आपका बालक निर्दोष है। राजा ने ब्राह्मण को 5 गांव दान दिए जिससे वे अपना जीवन सुखपूर्वक व्यतीत कर सकें। इस तरह ब्राह्मण परिवार आनन्द से रहने लगा।
अत: जो भी मनुष्य रवि प्रदोष व्रत करता है, वह सुखपूर्वक और निरोगी होकर अपना जीवन जीता है। बोलो शंकर भगवान की जय!
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