Shani Pradosh Vrat Katha In Hindi: आज है शनि प्रदोष व्रत, यहां पढ़ें इसकी कथा और कहानी
Shani Pradosh Vrat Katha: एकादशी के बाद प्रदोष व्रत पड़ता है। इस व्रत में भगवान शिव की पूजा की जाती है। 29 अगस्त को अजा एकादशी व्रत रखा गया है जानिए अब प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा और इसकी व्रत कथा क्या है।
Shani Pradosh Vrat Katha In Hindi
Shani Pradosh Vrat Katha In Hindi (शनि प्रदोष व्रत कथा): हिंदू पंचांग अनुसार हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। इस व्रत में भगवान शिव की उपासना की जाती है। कहते हैं जो भक्त सच्चे मन से ये व्रत रखना है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। ये व्रत दिन में एक समय भोजन करके भी रखा जा सकता है। 31 अगस्त 2024 को शनि प्रदोष व्रत रखा जाएगा। यहां जानिए इसका पूजा मुहूर्त और व्रत कथा।
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Pradosh Vrat Puja Muhurat 2024 (प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त 2024)
31 अगस्त को प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06:43 से रात 08:59 बजे तक रहेगा। भाद्रपद कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 31 अगस्त को 02:25 AM से होगा और इसकी समाप्ति 1 सितंबर को 03:40 बजे होगी।
Shani Pradosh Vrat Katha In Hindi (शनि प्रदोष व्रत कथा)
प्राचीन काल में एक नगर में सेठडी रहते थे। जिनके पास तमाम सुख-सुविधाएं थीं लेकिन उनकी कोई संतान न होने के कारण वे काफी दुखी रहते थे। काफी सोच-विचार करके सेठजी अपना सारा काम नौकरों को सौंपकर अपनी पत्नी संग तीर्थयात्रा पर निकल पड़े। जब वह नगर से बाहर निकले तो उन्हें एक साधु मिले, जो ध्यानमग्न बैठे थे। सेठजी साधु महाराज से आशीर्वाद लेने के लिए वहीं बैठ गए। साधु ने जब आंखें खोलीं तो उन्हें ज्ञात हुआ कि सेठ और सेठानी बहुत समय से उनका आशीर्वाद लेने के लिए यहां बैठे हैं।
तब साधु ने सेठ और सेठानी से कहा कि मैं तुम दोनों का दुःख जानता हूं। तुम एक काम करो शनि प्रदोष का विधि विधान व्रत करो, इससे तुम्हें संतान की प्राप्ति अवश्य होगी। इसके बाद साधु ने सेठ-सेठानी को प्रदोष व्रत की विधि बताई और शंकर भगवान की निम्न वंदना बताई।
- हे रुद्रदेव शिव नमस्कार ।
- शिवशंकर जगगुरु नमस्कार ॥
- हे नीलकंठ सुर नमस्कार ।
- शशि मौलि चन्द्र सुख नमस्कार ॥
- हे उमाकांत सुधि नमस्कार ।
- उग्रत्व रूप मन नमस्कार ॥
- ईशान ईश प्रभु नमस्कार ।
- विश्वेश्वर प्रभु शिव नमस्कार ॥
सेठ-सेठानी प्रदोष व्रत की विधि जानने के बाद तीर्थयात्रा के लिए निकल गए। जब वे दोनों तीर्थयात्रा से लौटे तो उन्होंने विधि विधान शनि प्रदोष व्रत किया जिसके प्रभाव से उन्हें सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई और उनका जीवन सुख से भर गया।
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें
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