अविस्मरणीय होगा प्रयागराज महाकुंभ 2025, CM योगी बोले- आयोजन को भव्य और दिव्य बनाने में न रहे कोई कसर

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज महाकुंभ 2025 की तैयारियों के संबंध में बैठक की और कहा कि नए भारत के नए उत्तर प्रदेश का प्रतीक उत्सव होगा महाकुंभ 2025।

Prayagraj Maha Kumbh 2025: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि प्रयागराज कुंभ 2019 के भव्य और दिव्य आयोजन ने उत्तर प्रदेश को वैश्विक पटल पर एक विशिष्ट पहचान दी है। यूनेस्को ने इसे 'विश्व की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर' घोषित किया है। आगामी महाकुंभ 2025 से दुनिया भर की अपेक्षाएं जुड़ी हैं, इसलिए महाकुंभ 2025 प्रदेश की 24 करोड़ जनता के लिए पूरी दुनिया के समक्ष उत्तर प्रदेश की प्रशासनिक क्षमता सांस्कृतिक समृद्धि एवं पर्यटन की सुविधाओं को प्रदर्शित करते हुए इस आयोजन को नए भारत के नए उत्तर प्रदेश के प्रतीक चिन्ह के रूप प्रस्तुत करने का एक अवसर है। इस अवसर को पहचानते हुए अगले 02 वर्ष में टीमवर्क, अनुकरणीय प्रोजेक्ट मैनेजमेन्ट परियोजनाओं के क्रियान्वयन की उत्कृष्ट क्षमता का परिचय देते हुए सभी विभाग टीम बनकर किया जाना चाहिए।

गुरुवार को प्रयागराज पहुंचे मुख्यमंत्री ने महाकुंभ 2025 की तैयारियों के संबंध में पहली औपचारिक बैठक की। महाकुंभ मेले की निविदाओं में कार्यों की गुणवत्ता एवं समयबद्धता पर जोर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस सम्बन्ध में शिथिलता बरतने वाले अधिकारियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने निर्देश दिए कि मण्डलायुक्त की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया जाए और प्रत्येक सप्ताह परियोजनाओं की मॉनीटरिंग की जाए। सभी परियोजनाओं को ऑनलाइन व्यवस्था से जोड़ा जाए।

बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में प्रदेश सरकार द्वारा प्रयागराज कुंभ-2019 का सफल आयोजन दिव्य और भव्य कुम्भ के रूप में किया गया, जिसमें स्वच्छता, सुरक्षा सुव्यवस्था के मानक स्थापित हुए थे। प्रयागराज कुंभ-2019 कई मायनों में अभूतपूर्व था। 200 वर्षों में प्रथम बार किसी भी दुर्घटना के बिना कुंभ मेले का आयोजन किया गया। प्रयागराज शहर को एक आधुनिक स्मार्ट सिटी के रूप में कायाकल्पित किया गया। आयोजन से जुड़ी सभी परियोजनाओं को गुणवत्ता के साथ ससमय पूरा किया गया। भारत सरकार और राज्य सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा अन्तर्विभागीय समन्वय स्थापित कर स्वच्छता, सुरक्षा, भव्यता, सुव्यवस्था से जुड़े सभी पहलुओं पर सराहनीय कार्य किया गया। पहली बार कुंभ को एक नया 'लोगो' दिया गया। 450 वर्षो से बंद अक्षयवट व सरस्वती कूप को दर्शन के लिए खोला गया। 24 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं और तीर्थ यात्रियों ने गंगा जी के स्वच्छ और निर्मल जल में स्नान किया।

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