वृंदावन और मथुरा दर्शन के लिए आने वाले भक्तों को किन बातों का रखना चाहिए विशेष ध्यान? जानिए प्रेमानंद महाराज की सलाह
Premanand Maharaj Ki Salah (प्रेमानंद महाराज की सलाह): भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक भूमि पर कई धर्म स्थल या धाम हैं, जहां पर दूर-दूर से भक्त आते हैं और देवी-देवताओं सहित संत-महात्माओं का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। ऐसे ही पावन धाम वृंदावन और मथुरा के हैं, जहां आने वाले भक्तों के लिए प्रेमानंद महाराज ने कुछ महत्वपूर्ण बातें बताई हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं क्या है प्रेमानंद महाराज की सलाह।

Premanand Maharaj Ki Salah
Premanand Maharaj Ki Salah (प्रेमानंद महाराज की सलाह): वृंदावन और मथुरा हिंदू धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक माने जाते हैं। ये स्थान भगवान कृष्ण की लीलाओं से जुड़े हुए हैं और विशेष रूप से वैष्णव संप्रदाय के भक्तों के लिए श्रद्धा के केंद्र हैं। मथुरा को भगवान कृष्ण की जन्मभूमि माना जाता है, वहीं वृंदावन उनकी बाल लीलाओं का और राधा रानी संग उनकी दिव्य प्रेम गाथाओं का प्रमुख स्थल है। प्रेमानंद महाराज, जो कि राधाकृष्ण के परम भक्त और वृंदावन के प्रसिद्ध संत हैं, अपने भजन मार्ग व कथा से मोक्ष प्राप्ति का ज्ञान देते हैं। इनके प्रवचन देश-विदेश में लोकप्रिय होने के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी ट्रेंड करते हैं। हाल ही में प्रेमानंद महाराज ने एक भक्त के पूछे जाने पर ये बताया कि जो लोग वृंदावन और मथुरा आने वाले हैं , उन्हें किन बातों का ध्यान देना चाहिए। आज हम आपको प्रेमानंद महाराज की वो सलाह बताएंगे जिससे आप अपनी धर्म यात्रा को सफल और सिद्ध बना सकते हैं।
मथुरा-वृंदावन आने वालों के लिए प्रेमानंद महाराज की सलाह
दोष दर्शन न करें
प्रेमानंद महाराज के अनुसार यदि व्यक्ति किसी भी पवित्र धाम में जा रहा है तो उसे वहां पर किसी के दोष न ही देखने, सुनने और कहने चाहिए। इससे पाप लगता है तथा भगवान नाराज होते हैं। धाम में व्यक्ति का पूरा ध्यान ईश्वर पर होना चाहिए।
भोग विलास से बचें
यदि व्यक्ति किसी पावन धाम में जा रहा है तो उसे सांसारिक भोग विलास और क्रियाओं से स्वयं को मुक्त करना चाहिए तथा ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। व्यक्ति को अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण करके प्रभु भक्ति में लीन रहना चाहिए।
खान-पान
प्रेमानंद महाराज के मुताबिक यदि व्यक्ति 3-4 दिन के लिए वृंदावन या मथुरा जैसे पवित्र धाम में आया है तो उसे सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए साथ ही अगर वो गृहस्थ जीवन में हैं तो उसे भंडारे का भोजन नहीं खाना चाहिए बल्कि अपनी आय के अनुसार भोजन ग्रहण करना चाहिए। यदि संभव हो तो व्यक्ति को एक दिन का उपवास प्रभु के नाम पर रखना चाहिए और फलाहार का सेवन करना चाहिए।
दान-पुण्य करें
अपनी श्रद्धा के अनुसार दीन दुखियों को अन्न का दान करने से भी ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है। किसी भी पावन धाम में व्यक्ति को दान-पुण्य जरूर करना चाहिए, जिससे वो भगवान की भक्ति के अलावा मानव सेवा में भी अपना योगदान दे सकता है।
भजन कीर्तन का महत्व
भजन और कीर्तन से मन को शांति मिलती है और तनाव दूर होता है। इससे व्यक्ति की आत्मशक्ति तो बढ़ती ही है साथ ही भक्ति में एकाग्रता का संचार है। ऐसे में जो भी लोग वृंदावन या मथुरा जाते हैं उन्हें अपनी यात्रा के दौरान भजन कीर्तन करते रहना चाहिए।
संतों की सेवा
प्रेमानंद महाराज के अनुसार जो भी भक्त धर्म स्थलों पर जाते हैं, उन्हें वहां जाकर संत-महात्माओं की सेवा भी करनी चाहिए। संतों की सेवा करना ईश्वर का सानिध्य पाने का एक माध्यम होता है। संतों की सेवा करने से पाप दूर होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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हरियाणा की राजनीतिक राजधानी रोहतक की रहने वाली हूं। कई फील्ड्स में करियर की प्लानिंग करते-करते शब्दों की लय इतनी पसंद आई कि फिर पत्रकारिता से जुड़ गई।...और देखें

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