Purnima March 2024: मार्च में पूर्णिमा कब पड़ेगी? जानिए कैसे रखा जाता ये व्रत

Purnima March 2024 Date And Time: मार्च में पूर्णिमा दो दिन मनाई जाएगी। ये फाल्गुन पूर्णिमा होगी जिसे वसंत पूर्णिमा (Vasant Purnima 2024) और दोल पूर्णिमा (Dol Purnima 2024) के नाम से भी जाना जाता है। यहां जानिए इस पूर्णिमा की तारीख।

march Purnima 2024 Date

Purnima March 2024 Date And Time

March Purnima 2024 Date: मार्च में पूर्णिमा 24 और 25 दोनों तारीखों में मनाई जाएगी। 24 मार्च को पूर्णिमा व्रत (Purnima Vrat 2024) रखा जाएगा तो 25 मार्च को भी पूर्णिमा तिथि रहेगी। हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व माना जाता है। मान्यता है इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति के सारे दुखों का नाश हो जाता है और भगवान विष्णु (LordVishnu) की विशेष कृपा प्राप्त होती है। मार्च में पूर्णिमा के दिन होली का त्योहार (Holi Ka Tyohar) मनाया जाता है। इसके अलावा देवी लक्ष्मी जयंती (Laxmi Jayanti 2024) और चैतन्य महाप्रभु जयंती (Chaitanya Mahaprabhu Jayanti 2024) भी इसी दिन मनाई जाएगी। जानिए फाल्गुन पूर्णिमा (Phalgun Purnima 2024) का शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में।

March Purnima 2024 Date And Time (मार्च पूर्णिमा 2024 तिथि व मुहूर्त)

मार्च में वसन्त पूर्णिमा यानी फाल्गुन पूर्णिमा मनााई जाती है जो इस साल 25 मार्च को पड़ रही है। पूर्णिमा तिथि का प्रारम्भ 24 मार्च 2024 की सुबह 07 बजकर 24 मिनट से होगा और इसकी समाप्ति 25 मार्च 2024 को 09:59 AM पर होगी।

Purnima Ka Vrat Kaise Kare (पूर्णिमा का व्रत कैसे करें)

  • माघ पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें।
  • भगवान विष्णु की पूजा के बाद अपने पितरों का तर्पण करें।
  • फिर अपने क्षमता अनुसार जरूरतमंदों या गरीबों को भोजन, तिल, गुड़, कपड़े, कंबल और घी आदि चीजों का दान करें।
  • अगर आपके लिए संभव हो तो इस दिन गाय का दान जरूर करें। क्योंकि इस दिन गौ-दान का विशेष महत्व माना गया है।
  • कहते हैं इस व्रत को जो कोई भी पूरी सच्ची निष्ठा से करता है उसकी सभी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं।
  • आप अपनी इच्छानुसार इस व्रत को बिना खाए या फलाहार लेकर भी रख सकते हैं।

Phalgun Purnima Ki Katha (फाल्गुन पूर्णिमा की कथा)

फाल्गुन पूर्णिमा की कथा के अनुसार राक्षस हरिण्यकश्यपु के कहने पर उसकी बहन होलिका जिसे आग में न जलने का वरदान प्राप्त था वो अपने भतीझे प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई थी लेकिन प्रभु की कृपा से भक्त प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ बल्कि होलिका स्वयं ही जलकर भस्म हो गई। कहते हैं इस वजह से ही हर साल फाल्गुन पूर्णिमा पर होलिका दहन करने की परंपरा शुरू हो गई।

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