Purnima Katha And Aarti: माघ पूर्णिमा व्रत पूजा के समय जरूर करें ये दो आरती

Purnima Ki Aarti In Hindi: 24 फरवरी को माघ पूर्णिमा मनाई जा रही है। इस दिन भगवान नारायण की पूजा की जाती है। यदि आप इस दिन का व्रत कर रहे हैं तो इस पूर्णिमा की व्रत कथा के बाद ये आरती जरूर करें।

Purnima Vrat Katha Aarti

Purnima Vrat Katha Aarti

Purnima Katha And Aarti (पूर्णिमा कथा आरती): हिंदू धर्म में माघ पूर्णिमा का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन सुबह-सुबह पवित्र नदी में स्नान करने के बाद भगवान विष्णु, हनुमान जी और अपने ईष्ट देव की पूजा जरूर करनी चाहिए। इस दिन कई लोग भगवान सत्यनारायण का व्रत भी रखते हैं। जो लोग इस व्रत को रखते हैं उन्हें इस दिन सत्यनारायण की कथा भी जरूर सुननी चाहिए। इसके अलावा इस दिन भगवत गीता और रामायण का पाठ करना भी शुभ माना जाता है। यहां देखें पूर्णिमा की आरती।

माघ पूर्णिमा व्रत कथा

श्री सत्यनारायण जी आरती (Satyanarayan Bhagwan Ki Aarti)

जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

सत्यनारायण स्वामी, जन पातक हरणा ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

रत्‍‌न जडि़त सिंहासन, अद्भुत छवि राजै ।

नारद करत निराजन, घण्टा ध्वनि बाजै ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

प्रकट भये कलि कारण, द्विज को दर्श दियो ।

बूढ़ा ब्राह्मण बनकर, कंचन महल कियो ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

दुर्बल भील कठारो, जिन पर कृपा करी ।

चन्द्रचूड़ एक राजा, तिनकी विपत्ति हरी ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

वैश्य मनोरथ पायो, श्रद्धा तज दीन्ही ।

सो फल भोग्यो प्रभुजी, फिर-स्तुति कीन्हीं ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

भाव भक्ति के कारण, छिन-छिन रूप धरयो ।

श्रद्धा धारण कीन्हीं, तिनको काज सरयो ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

ग्वाल-बाल संग राजा, वन में भक्ति करी ।

मनवांछित फल दीन्हों, दीनदयाल हरी ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

चढ़त प्रसाद सवायो, कदली फल, मेवा ।

धूप दीप तुलसी से, राजी सत्यदेवा ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

श्री सत्यनारायण जी की आरती, जो कोई नर गावै ।

ऋद्धि-सिद्ध सुख-संपत्ति, सहज रूप पावे ॥

जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

सत्यनारायण स्वामी, जन पातक हरणा ॥

ओम जय जगदीश हरे आरती (Om Jai Jagdish Hare Aarti)

ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।

भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ ओम जय जगदीश हरे।

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का। स्वामी दुःख विनसे मन का।

सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥ ओम जय जगदीश हरे।

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी। स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।

तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ओम जय जगदीश हरे।

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।

स्वामी तुम अन्तर्यामी। पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ओम जय जगदीश हरे।

तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता। स्वामी तुम पालन-कर्ता।

मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ओम जय जगदीश हरे।

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति। स्वामी सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥ ओम जय जगदीश हरे।

दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे। स्वामी तुम ठाकुर मेरे।

अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ओम जय जगदीश हरे।

विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा। स्वमी पाप हरो देवा।

श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, संतन की सेवा॥ ओम जय जगदीश हरे।

श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे। स्वामी जो कोई नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥ ओम जय जगदीश हरे।

पूर्णिमा व्रत की पूजा के समय सबसे पहले गणेश जी की आरती करें। फिर ऊपर दी गई आरतियां करें। बता दें पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की कथा करना बेहद शुभ माना जाता है।

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    TNN अध्यात्म डेस्क author

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