Purnima Vrat Katha In Hindi: भाद्रपद पूर्णिमा की व्रत कथा, इसे पढ़ने से हर मनोकामना होगी पूरी
Purnima Vrat Katha In Hindi: भाद्रपद पूर्णिमा के दिन उमा-महेश्वर व्रत रखा जाता है। इस व्रत में भगवान शंकर, माता पार्वती के साथ भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है। मान्यता है जो व्यक्ति भाद्रपद पूर्णिमा पर उमा-महेश्वर व्रत कथा (Uma Maheshwar Vrat Katha) पढ़ता है उसके जीवन में सुख-समृद्धि हमेशा बनी रहती है।
Bhadrapada Purnima Vrat Katha In Hindi
Purnima Vrat Katha In Hindi (पूर्णिमा व्रत कथा): आज यानि 28 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा की शुरुआत शाम 06:49 बजे से हो जाएगी और इसकी समाप्ति 29 सितंबर 2023 की दोपहर 03:26 बजे पर होगी। कुछ लोग भादो पूर्णिमा व्रत 28 सितंबर को तो कुछ 29 सितंबर को रखेंगे। लेकिन पूर्णिमा स्नान-दान के लिए 29 सितंबर का दिन ज्यादा शुभ रहेगा। भाद्रपद पूर्णिमा पर उमा-महेश्वर व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान शंकर, माता पार्वती और श्री हरि विष्णु भगवान की पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन चांद को अर्घ्य भी दिया जाता है। यहां आप जानेंगे पूर्णिमा की व्रत कथा।
Bhadrapada Purnima Puja Vidhi And Shubh Muhurat
भाद्रपद पूर्णिमा व्रत की कथा (Bhadrapad Purnima Vrat Katha)
एक बार की बात है महर्षि दुर्वासा भगवान शंकर से भेंट करके लौट रहे थे तभी उनकी मुलाकात भगवान विष्णु से हो गई। महर्षि दुर्वासा ने उन्हें बताया कि वो महादेव जी से मिलकर आ रहे हैं और इसके बाद उन्होंने बिल्वपत्र की माला भगवान विष्णु को भेंट की। लेकिन श्री हरि विष्णु जी ने उस माला को स्वयं पहनने के बजाय अपने वाहन गरुड़ को पहना दिया। जिस पर महर्षि दुर्वासा क्रोधित हो गए और उन्होंने भगवान विष्णु को श्राप दिया कि तुम्हें अपने ऊपर बहुत घमंड है ना, जाओ तुम्हारा सारा सुख खत्म हो जाएगा, तुम्हारी पत्नी लक्ष्मी तुमसे अलग हो जाएगी। क्षीर सागर से भी तुम्हें हाथ धोना पड़ेगा। ये सुनने के बाद भगवान विष्णु ने महर्षि दुर्वासा को प्रणाम करते हुए इस श्राप से मुक्त होने का उपाय पूछा।
भगवान विष्णु को अपनी गलती का अहसास होने पर दुर्वासा शांत हो गए लेकिन उन्होंने कहा कि अब मैं श्राप तो वापस नहीं ले सकता लेकिन तुम्हें इस श्राप से मुक्ति का उपाय बतलाता हूं। आपको पूर्णिमा के दिन महादेव और चांद की पूजा करनी होगी जिसके बाद ही आप सभी श्राप के कष्ट से मुक्त पा सकेंगे। जिसके बाद भगवान विष्णु ने महर्षि दुर्वासा के कहे अनुसार उमा-महेश्वर का व्रत रखा और पूर्णिमा के दिन शिव और चांद की विधि विधान पूजा की। जिससे उनके सारे कष्ट दूर हो गए और भगवान विष्णु को अपनी समस्त शक्तियां पुनः प्राप्त हो गईं।
भाद्रपद पूर्णिमा पर उमा-महेश्वर व्रत के लाभधार्मिक मान्यताओं अनुसार उमा-महेश्वर व्रत रखने से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। सात ही ये व्रत जीवन में संतुलन और शांति बनाए रखने में मदद करता है। इस व्रत को रखने से शारीरिक और मानसिक शक्ति बढ़ती है। ये व्रत प्रेम-संबंधों में भी मधुरता लाता है।
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