Putrada Ekadashi Vrat Katha In Hindi: पुत्रदा एकादशी की कथा लिखित में यहां देखें

Putrada Ekadashi Vrat Katha In Hindi (पुत्रदा एकादशी व्रत कथा): हिंदू धर्म में पौष महीने में आने वाली पुत्रदा एकादशी का खास महत्व माना गया है। मान्यता है इस व्रत को करने से संतान सुख से लेकर तमाम भौतिक सुखों तक की प्राप्ति हो जाती है।

Putrada Ekadashi Vrat Katha In Hindi

Putrada Ekadashi Vrat Katha In Hindi

Putrada Ekadashi Vrat Katha In Hindi (पुत्रदा एकादशी व्रत कथा): इस साल पुत्रदा एकादशी व्रत 21 जनवरी 2024 को रखा जाएगा। पुराणों में इस व्रत की काफी महिमा बताई गई है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को रखने से जीवन की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं। खासकर महिलाओं के लिए ये व्रत बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान प्राप्ति के मार्ग में आ रही बाधाएं भी दूर हो जाती हैं। इतना ही नहीं इस व्रत के प्रभाव से संतान को अच्छे स्वास्थ्य और खुशहाल जीवन की भी प्राप्ति होती है। अब जानिए पौष पुत्रदा एकादशी व्रत कथा।

पौष पुत्रदा एकादशी व्रत कथा

कहते हैं पुत्रदा एकादशी का महत्व स्वयं भगवान श्रीकृष्ण धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था। पुत्रदा एकादशी व्रत की पौराणिक कथा के अनुसार, एक नगरी में सुकेतुमान नाम का राजा रहता था। उसके पास सबकुछ होने के बाद भी वह और उसकी पत्नी दुखी रहते थे। ऐसा इसलिए क्योंकि राजा-रानी की कोई संतान नहीं थी। वो हमेशा इस बात को सोचकर परेशान रहते थे कि उनके बाद उनका राजपाट कौन संभालेगा और उनकी मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार, श्राद्ध, पिंडदान आदि कर्म कौन करेगा।
एक दिन राजा जंगल भ्रमण करने निकले। वहां जाकर प्रकृति की सुंदरता को देखने लगे, जहां उन्होंने देखा कि कैसे हिरण, मोर व अन्य पशु पक्षी अपने बच्चों के साथ जिंदगी का आनंद ले रहे हैं। यह देखकर उनका मन विचलित होने लगा। वह सोचने लगा कि इतने पुण्यकर्मों के बाद भी मेरी कोई संतान नहीं है। तभी राजा को प्यास लगी और वह जल की तलाश में जंगल में भटकने लगा। वहां उनकी नज़र एक नदी के किनारे बने ऋषि-मुनियों के आश्रम पर पड़ी। राजा ने वहां जाकर सभी ऋषियों को दंडवत प्रणाम किया।
राजा का सरल स्वभाव देख सभी ऋषि अत्यधिक प्रसन्न हुए और उन्होंने राजा से वरदान मांगने को कहा। जिसपर राजा ने उत्तर दिया, “हे देव! भगवान और आप संत महात्माओं की कृपा से मेरे पास सब कुछ है, केवल संतान सुख की कमी है, जिसके कारण मेरा जीवन व्यर्थ है।”
यह सुन ऋषि बोले, “राजन! आज पुत्रदा एकादशी है और आप पूरी निष्ठा से इस एकादशी का व्रत करें। इस व्रत के पुण्य प्रभाव से आपको पुत्र की प्राप्ति जरूर होगी। ऋषि की बात सुनकर राजा ने उस व्रत का पालन किया और द्वादशी के दिन व्रत पारण किया। व्रत के कुछ दिनों बात रानी गर्भवती हुईं और उन्होनें एक तेजस्वी और यशस्वी पुत्र को जन्म दिया और अंत में राजा को मोक्ष की प्राप्ति हुई।
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