Ram Navami 2023 Bhajan: भए प्रगट कृपाला दीनदयाला,कौसल्या हितकारी...राम नवमी का पर्व बिना इन भजनों के है अधूरा

Ram Ji Ke Bhajan On Ram Navami 2023 (भए प्रगट कृपाला दीनदयाला,कौसल्या हितकारी): राम नवमी के अवसर पर भगवान राम के भजनों को खूब सुना जाता है। यहां आप देखेंगे श्रीराम के दिल छू लेने वाले भजन।

ram ji ke bhajan

राम जी के भजन

Ram Navami 2023 Bhajan: राम नवमी का त्योहार देश भर में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीराम के बालरूप की पूजा की जाती है। इस खास मौके पर राम जी के मंदिरों में एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है। इस दिन रामलला का खास श्रृंगार किया जाता है और उनकी प्रतिमा को झूला झुलाया जाता है। साथ ही इस मौके पर राम जी के भजनों को भी खूब सुना जाता है।

यहां आप जानेंगे राम जी के एक से बढ़कर एक भजन जो आपको भक्ति के रस से सराबोर कर देंगे। साथ ही आपके अंदर एक अलग ही उत्साह और जोश भर देंगे। राम नवमी के मौके पर श्रीराम भगवान के इन भजनों को सबसे ज्यादा सुना जाता है।

राम जी के भजन (Ram Ji Ke Bhajan)

सजा दो घर को गुलशन सा, अवध में राम आये हैं

मेरे सरकार आये हैं, अवध में राम आये हैं...

श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन, हरण भवभय दारुणं ।

नव कंज लोचन कंज मुख, कर कंज पद कंजारुणं...

हो.. मगंल भवन अमंगल हारी, द्रबहु सु दशरथ अचर बिहारी

राम सिया राम सिया राम जय जय राम, राम सिया राम सिया राम जय जय राम...

भए प्रगट कृपाला दीनदयाला, कौसल्या हितकारी ।

हरषित महतारी, मुनि मन हारी, अद्भुत रूप बिचारी...

रघुपति राघव राजाराम, पतित पावन सीताराम ॥

सुंदर विग्रह मेघश्याम, गंगा तुलसी शालग्राम...

भए प्रगट कृपाला दीनदयाला - भजन (Bhaye Pragat Kripala Din Dayala)

छंद:

भए प्रगट कृपाला दीनदयाला,

कौसल्या हितकारी ।

हरषित महतारी, मुनि मन हारी,

अद्भुत रूप बिचारी ॥

लोचन अभिरामा, तनु घनस्यामा,

निज आयुध भुजचारी ।

भूषन बनमाला, नयन बिसाला,

सोभासिंधु खरारी ॥

कह दुइ कर जोरी, अस्तुति तोरी,

केहि बिधि करूं अनंता ।

माया गुन ग्यानातीत अमाना,

वेद पुरान भनंता ॥

करुना सुख सागर, सब गुन आगर,

जेहि गावहिं श्रुति संता ।

सो मम हित लागी, जन अनुरागी,

भयउ प्रगट श्रीकंता ॥

ब्रह्मांड निकाया, निर्मित माया,

रोम रोम प्रति बेद कहै ।

मम उर सो बासी, यह उपहासी,

सुनत धीर मति थिर न रहै ॥

उपजा जब ग्याना, प्रभु मुसुकाना,

चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै ।

कहि कथा सुहाई, मातु बुझाई,

जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै ॥

माता पुनि बोली, सो मति डोली,

तजहु तात यह रूपा ।

कीजै सिसुलीला, अति प्रियसीला,

यह सुख परम अनूपा ॥

सुनि बचन सुजाना, रोदन ठाना,

होइ बालक सुरभूपा ।

यह चरित जे गावहिं, हरिपद पावहिं,

ते न परहिं भवकूपा ॥

दोहा:

बिप्र धेनु सुर संत हित,

लीन्ह मनुज अवतार ।

निज इच्छा निर्मित तनु,

माया गुन गो पार ॥

- तुलसीदास रचित, रामचरित मानस, बालकाण्ड-192

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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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