राम नाम का संस्कृत में अर्थ और उसकी महिमा

प्रभु श्री राम भगवान विष्णु के मानव अवतार माने जाते हैं। जिनका जन्म अधर्म का नाश करने के लिए हुआ था। हिंदू धर्म में राम नाम की काफी महिमा बताई जाती है। मान्याताओं अनुसार जो व्यक्ति सच्चे मन से राम नाम का जाप करता है उसके सारे दुखों का अंत हो जाता है।

Ram Naam Ka Arth

Ram Naam Ka Arth: 'राम' संस्कृत भाषा का शब्द है। जिसका अर्थ बताया जाता है जो इस दृष्टिगोचर जगत की सभी चराचर वस्तुओं और तत्वों में ही नहीं अपितु संपूर्ण ब्रह्मांड के सभी तत्वों में व्याप्त होकर रमा हुआ है उसे ही राम कहते हैं। यानी जो पूरी सृष्टि की व्यवस्था बनाए रखता है। जिनका साकार रूप भगवान विष्णु हैं। अधिकांश संत-महात्मा ‘राम’ शब्द को एक शक्तिशाली मंत्र मानते हैं। इसलिए ही राम नाम जपने की सलाह दी जाती है। इतना ही नहीं पौराणिक ग्रंथों में भी राम नाम की महिमा का वर्णन किया गया है। प्राचीन और आधुनिक काल के विद्वानों ने भी अपने-अपने तरीके से राम शब्द की व्याख्या की है।

राम शब्द का संस्कृत अर्थ

राम शब्द संस्कृत के दो धातुओं रम् और घम से मिलकर बना है। जिसमें रम् का अर्थ है रमना यानी निहित होना और घम का अर्थ है ब्रह्मांड का खाली भाग। इस तरह से राम का अर्थ हुआ, सकल ब्रह्मांड में रमा हुआ तत्व यानी चराचर में विराजमान स्वयं ब्रम्ह।

शास्त्रों में राम नाम का अर्थ

“रमन्ते योगिनः अस्मिन सा रामं उच्यते” इसका मतलब है योगी ध्यान में जिस शून्य में रमते हैं उसे राम कहते हैं।

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