Ram Navami Katha In Hindi: यहां देखें राम नवमी की कथा, इसे पढ़ने से भगवान राम की बरसने लगेगी कृपा
Ram Navami 2023 Vrat Katha in Hindi: धार्मिक मान्यताओं अनुसार रामनवमी का व्रत करने से श्रीराम के साथ-साथ माता सीता की भी असीम कृपा प्राप्त होती हैं। राम नवमी पूजा के समय जरूर पढ़ें ये कथा।
Ram Navami Vrat Katha: राम नवमी व्रत कथा हिंदी में यहां देखें
Ram Navami 2023 Vrat Katha in Hindi: सनातन धर्म में चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि का बेहद खास महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान राम ने सूर्यवंशी राजा दशरथ के घर में जन्म लिया था। यही वजह है कि इस दिन भगवान राम की पूजा होती है और व्रतधारी कथा सुनते हैं। राम नवमी पर कथा सुनना बेहद लाभदायक माना जाता है। इस बार राम नवमी का पर्व 30 मार्च, गुरुवार को मनाया जाएगा। ऐसे में हम आज आपको राम नवमी की व्रत कथा के बारे में बताएंगे।
रामनवमी व्रत 2022 की कथा हिन्दी में (Ram Navami Vrat 2023 Katha in hindi)
पौराणिक कथा अनुसार, भगवान राम, मां सीता और लक्ष्मण वनवास के दौरान जंगल में घूम रहे थे। कुछ देर बाद थकान महसूस करने पर भगवान राम ने थोड़ा विश्राम करने का विचार किया। विश्राम स्थल की तलाश के दौरान उन्हें एक बुढ़िया की कुटिया दिख गई। इस कुटिया में जब राम, सीता और लक्ष्मण पहुंचे तो देखा कि वह सूत कात रही थी। जैसे ही बुढ़िया ने देखा तो आवभगत में लग गई और विश्राम करने को कहा। इसके साथ ही भगवान राम, सीता और लक्ष्मण को भोजन करने का आग्रह किया। इस पर भगवान राम ने बुढ़िया से कहा-माई मेरा हंस भूखा है, पहले इसके लिए दो मोती दे दो। ताकि इसके बाद मैं मैं भी भोजन कर सकूं।
बुढ़िया के लिए काफी मुश्किल वक्त था क्योंकि उसके पास मोती नहीं थे। बुढ़िया दौड़ी-दौड़ी राजा के पास गई और उनसे उधार में मोती मांगे। चूंकि राजा यह जानता था कि बुढ़िया दो मोती वापस लौटाने में सक्षम नहीं है तो पहले इनकार किया। कई बार अनुरोध करने के बाद राजा ने बुढ़िया पर तरस खाकर मोती दे दिए। बुढ़िया ने हंस को मोती खिला दिया, जिसके बाद भगवान राम ने भी भोजन ग्रहण किया। भगवान प्रसन्न होकर बुढ़िया के आंगन में एक मोतियों का पेड़ लगा गए।
एक बार पेड़ से मिले मोती को बुढ़िया समेटकर राजा के पास ले गई। हैरान राजा ने पता किया कि आखिर बुढ़िया के पास इतने मोती कहां से आए। राजा को मालूम हुआ कि बुढ़िया के आंगन में पेड़ है, जिसके बाद राजा ने वह पेड़ ही अपने आंगन में मंगवा लिया। लेकिन राजा के आंगन में आते ही पेड़ पर कांटे उगने लगे। एक दिन उस पेड़ का एक कांटा रानी के पैर में चुभा गया। राजा परेशान होकर दोबारा वह पेड़ बुढ़िया के आंगन में लगवा दिया। प्रभु श्री राम की कृपा से पेड़ में फिर से मोती लगने लगें। अब जब पेड़ से मोती गिरता बुढ़िया उसे उठाकर प्रभु के प्रसाद के रूप में सभी को बांट देती थी।
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लवीना शर्मा author
धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 सा...और देखें
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