Ramanujacharya Jayanti 2024: कौन थे महान संत रामानुजाचार्य जिनके मृत शरीर की आज भी होती है पूजा

Ramanujacharya Ka Jivan Parichay In Hindi: संत रामानुजाचार्य वैष्णव परंपरा के महान दार्शनिक के तौर पर जाने जाते हैं। हर साल वैशाख शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को इनकी जयंती मनाई जाती है जो इस साल 12 मई को पड़ी है। इस शुभ अवसर पर जानिए रामानुजाचार्य का जीवन परिचय।

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Ramanujacharya Ji Ka Jivan Parichay In Hindi

Ramanujacharya Jayanti 2024 (रामानुजाचार्य कौन थे): रामानुजाचार्य एक महान संत होने के साथ-साथ दार्शनिक भी थे। ये हिंदू धर्म शास्त्र के बड़े जानकार थे। इनका जन्म तमिलनाडु के श्रीपेरुमबुदुर गांव में हुआ था। हर साल वैशाख शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को रामानुजाचार्य जी की जयंती मनाई जाती है और इस साल 12 मई को इनकी 1007वां जन्म वर्षगांठ मनाई जाएगी। इनकी जयंती को भारत के दक्षिणी और उत्तरी हिस्सों में बेहद ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

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Ramanujacharya Ka Jivan Parichay In Hindi (रामानुजाचार्य का जीवन परिचय)

वास्तविक नाम - रामानुज

जन्म - 25 अप्रैल 1017

जन्म स्थान - श्रीपेरंबदूर, तमिलनाडु

मृत्यु - 1137 CE (120 वर्ष की आयु)

पिता - केशव सोमजी

माता - कांतिमथी

गुरु - यादव प्रकाश

आराध्य - भगवान विष्णु

भाषा - तमिल और संस्कृत

प्रसिद्ध - दार्शनिक, आध्यात्मिक नेता

श्री रामानुज आचार्य की जन्म और मृत्यु

श्री रामानुज आचार्य श्री रामानुज आचार्य हैं। माना जाता है कि इनका जन्म 11वीं शताब्दी में 1017 ई.पू में हुआ था। माना जाता है कि वह 1137 ई. में 120 वर्ष की आयु में तमिलनाडु के श्रीरंगम में अन्तर्ध्यान हो गये थे। श्री रामानुज को श्री रामानुजाचार्य के नाम से भी जाना जाता है।

आज भी इस मंदिर में संरक्षित है रामानुजाचार्य का वास्तविक शरीर

श्री रामानुजाचार्य ऐसा मानते थे कि भक्ति का मतलब सिर्फ पूजा-पाठ या भजन कीर्तन ही नहीं होता है बल्कि भक्ति का सही अर्थ ध्यान करना या ईश्वर की प्रार्थना करना है। रामानुजाचार्य जी के जीवन से जुड़ी सबसे खास बात ये है कि इनके मूल शरीर यानी ममी को आज भी श्री रंगनाथस्वामी मंदिर में संभाल कर रखा गया है। श्री रंगनाथस्वामी मंदिर तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में श्रीरंगम के कावेरी नदी के तट पर स्थित है। कहा जाता है रामानुजाचार्य इस जगह पर अपनी वृद्धावस्था में आए थे।

कहा जाता है कि करीब 120 साल की आयु तक रामानुजाचार्य श्रीरंगम में रहे और बाद में उन्होंने भगवान श्री रंगनाथ से अपना देह त्यागने की अनुमति ली। माना जाता है कि स्वामी रामानुजाचार्य की आज्ञा के अनुसार ही उनके मूल शरीर को इस मंदिर में रखा गया है। बता दें ये दुनिया का एकमात्र ऐसा हिंदू मंदिर है जहां वास्तविक मृत शरीर को मंदिर के अंदर रखकर उसकी पूजा की जाती है। मंदिर में रामानुजाचार्य की ममी यानी शरीर सामान्य बैठने की दशा में है। रामानुजाचार्य जी के शरीर को सुरक्षित रखने के लिए उनके शरीर को हर रोज हल्दी का लेप लगाया जाता है। इसे अलावा साल में 2 से 3 बार केसर, चंदन और कपूर का मिश्रण चढ़ाया जाता है। जिससे इनका शरीर बैक्टीरिया या फंगस से सुरक्षित रह सके।

रामानुजाचार्य जयंती पर क्या करते हैं

श्री रामानुजाचार्य जयंती के दिन देश भर के मंदिरों को सजाया जाता है साथ ही भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक उत्सव का आयोजन होता है। इसके अलावा भक्त इस दिन उपनिषदों के अभिलेख को भी सुनते हैं। इस शुभ अवसर पर भक्त श्री रामानुजाचार्य जयंती की मूर्ति पर फूल चढ़ाकर सुखी जीवन की प्रार्थना की जाती है।

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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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