Rang Panchami 2025 Katha in Hindi: रंग पंचमी का व्रत रखने वाले जरूर पढ़ें ये पौराणिक कथा

Rang Panchami 2025 Katha in Hindi: होली की तरह ही रंग पंचमी के पर्व को लोग बड़े जोश और उत्साह के साथ मनाते हैं। कई जगहों पर इसी दिन होली पर्व का समापन होता है। इसे देव पंचमी के नाम से भी जाना जाता है।

rang panchami vrat katha

Rang Panchami Vrat Katha in Hindi

Rang Panchami 2025 Katha in Hindi (रंग पंचमी व्रत कथा): इस साल रंग पंचमी का त्योहार 19 मार्च को मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं अनुसार इस दिन सभी देवी-देवता अपने भक्तों के साथ होली खेलने पृथ्वी पर आते हैं। इसलिए इस दिन आसमान की तरफ रंग और गुलाल फेका जाता है जिससे देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त हो सके। कहते हैं इस तिथि पर अबीर-गुलाल, हल्दी और चंदन को आसमान में उड़ाने से राजसिक और तामसिक शक्तियों का प्रभाव कम होता है। चलिए अब जानते हैं रंग पंचमी की व्रत कथा।

रंग पंचमी की व्रत कथा (Rang Panchami Ki Vrat Katha)

रंग पंचमी की पौराणिक कथा का संबंध भक्त प्रहलाद और होलिका से है। कहते हैं प्राचीन काल में दैत्यों का राजा हिरण्यकश्यप था जिसने खुद को भगवान मान लिया था और वो चाहता था कि हर कोई उसकी ही पूजा करे। हिरण्यकश्यप से भयभीत होकर सबने उसे ही पूजना शुरू कर दिया, परंतु हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद भगवान श्रीहरि विष्णु का अनन्य भक्त निकला और उसने अपने पिता को भगवान मानने से इंकार कर दिया। इससे क्रोधित होकर हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मारने का निर्णय लिया। लेकिन जितनी बार वो अपने बेटे को मारने जाता उतनी बार उसकी हार होती।

Rang Panchami 2025 Muhurat And Puja Vidhi

यह सब देखकर हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को बुलाया जो एक राक्षसी थी और उसे वरदान मिला था कि उसे आग जला नहीं सकेगी। एक दिन होलिका प्रहलाद को नुकसान पहुंचाने की मंशा से उसे अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई। प्रहलाद विष्णु जी के नाम का जाप करता रहा और देखते ही देखते होलिका स्वयं ही आग में जल गई और प्रहलाद सुरक्षित बच गया।

रंग पंचमी की एक और कथा है जो भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी है। कहते हैं श्रीकृष्ण ने अपने बाल्यकाल में राक्षसी पूतना का वध कर दिया था जिसे उनके मामा कंस ने भेजा था। मथुरा का राजा कंस एक दुष्ट राजा था और जब उसे पता चला कि उनकी बहन देवकी की आठवीं संतान ही उसका वध करेगी। तो उसने भगवान कृष्ण का वध करने के लिए राक्षसी पूतना को गोकुल भेजा। पूतना ने अपने स्तन पर जहर लगा लिया और वह कृष्ण जी को स्तनपान कराने लगी। कन्हैया ने बालस्वरूप में ही पूतना का संहार कर दिया। कहते हैं जब गोकुल वासियों को पता लगा कि कि पूतना ने अपने शरीर पर जहर लगा रखा है, तो उन्होंने उसे आग के हवाले कर दिया। ऐसा माना जाता है कि जिस दिन ये घटना हुई उस दिन से ही रंग पंचमी का त्योहार मनाया जाने लगा।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। अध्यात्म (Spirituality News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।

लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

End of Article
Subscribe to our daily Newsletter!

© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited