Rash Purnima 2024 Date And Puja Vidhi: कब मनाया जाएगा रास पूर्णिमा का पर्व, जानिए तिथि और पूजा विधि

Rash Purnima 2024 Date And Puja Vidhi: शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। ये पूर्णिमा सारी पूर्णिमा में सबसे उत्तम मानी जाती है। आइए जानें इस साल रास पूर्णिमा कब है और इसकी पूजा विधि के बारे में।

Rash Purnima 2024 Date

Rash Purnima 2024 Date

Rash Purnima 2024 Date And Puja Vidhi: हिंदू धर्म में रास पूर्णिमा का बहुत ही खास महत्व है। शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा और रास पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस पूर्णिमा के दिन रात के समय चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है। इसके साथ ही मां लक्ष्मी की पूजा होती है। शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा, इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसी दिन भगवान कृ्ष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचाया था। महारास के साथ- साथ शरद पूर्णिमा की रात को अन्य धार्मिक महत्व भी है। इस दिन रात के समय चंद्रमा में खीर रखने से उस खीर में अमृत की बूंदे गिरती हैं। इस खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण करना बहुत ही लाभकारी होता है। आइए जानें इस साल रास पूर्णिमा कब और इसकी पूजा विधि के बारे में।

Rash Purnima 2024 Date (रास पूर्णिमा डेट 2024)

रास पूर्णिमा शरद पूर्णिमा को ही कहा जाता है। इस साल अश्विन शुक्ल पूर्णिमा तिथि 16 अक्टूबर बुधवार को रात 8:40 बजे शुरू होगी और इसकी समाप्ति 17 अक्तूबर को शाम 4:55 बजे होगी। ऐसे में इस साल रास पूर्णिमा 16 अक्तूबर 2024 को मनाई जाएगी।

Rash Purnima 2024 Puja Vidhi (रास पूर्णिमा पूजा विधि)

  • रास पूर्णिमा के दिन गुजरात में लोग रास रचाते हैं और गरबा खेलते हैं।
  • इस दिन भगवान कृ्ष्ण और राधा रानी की विधिपूर्वक पूजा की जाती है।
  • इसके साथ ही इस दिन कृष्ण भक्त एक साथ मिलकर रास रचाते हैं।
  • इस दिन कृष्ण को खीर का भोग लगाया जाता है और उस खीर को प्रसाद के रूप ग्रहण किया जाता है।

Rash Purnima Importance (रास पूर्णिमा महत्व)

शास्त्रों के अनुसार रास पूर्णिमा के दिन ही भगवान कृष्ण ने गोपियों और राधा रानी के साथ मिलकर महारास रचाया था। इस दिन कृष्ण ने एक साथ सारी सखियों के साथ नृत्य और गायन किया। ऐसा माना जाता है कि जब कृष्ण महारास रचा रहे थे। तब चंद्रमा से ये सब देखकर मंत्र मुग्ध हो गए और आसमान से अमृत की वर्षा धरती पर करने लगे। इस कारण इस दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होकर आकाश से अमृत की बरसा करते हैं। इस तिथि का शास्त्रों में बहुत ही उत्तम माना गया है। रास पूर्णिमा कई मायनों में बहुत खास मानी जाती है। हर जगह पर इसे अलग- अलग रूप में मनाया जाता है। ये दिन लक्ष्मी पूजन के लिए भी उत्तम दिन होता है।
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जयंती झा author

बिहार के मधुबनी जिले से की रहने वाली हूं, लेकिन शिक्षा की शुरुआत उत्तर प्रदेश की गजियाबाद जिले से हुई। दिल्ली विश्वविद्यायलय से हिंदी ऑनर्स से ग्रेजुए...और देखें

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