Ravi Pradosh Vrat 2023: आज है अधिक मास का आखिरी प्रदोष व्रत, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
Pradosh Vrat 2023 Date, Puja Vidhi And Muhurat: अधिक मास का आखिरी प्रदोष व्रत 13 अगस्त को रखा जाएगा। ये रवि प्रदोष व्रत (Ravi Pradosh Vrat 2023) होगा। मान्यता है इस व्रत को करने से व्यक्ति को अपने सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। जानिए अधिक मास प्रदोष व्रत की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त।
Adhik Maas Pradosh Vrat Puja Vidhi And Muhurat
Pradosh Vrat Kab Hai 2023 Puja Vidhi And Muhurat: हिंदू पंचांग अनुसार साल में कुल 24 प्रदोष व्रत आते हैं। लेकिन जिस साल अधिकमास लगता है उस साल 26 प्रदोष व्रत आते हैं। ये व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए खास माना जाता है। खास बात ये है कि इस बार अधिकमास (Purushottam Pradosh Vrat) भगवान शिव के प्रिय महीने सावन में लगा है जिस वजह से इस बार सावन में दो नहीं बल्कि चार प्रदोष व्रत पड़े हैं। जिनमें से सावन का तीसरा प्रदोष व्रत (Sawan Pradosh Vrat 2023) 13 अगस्त को रखा जाएगा। जानिए अधिकमास के रवि प्रदोष व्रत की पूजा विधि (Ravi Pradosh Vrat 2023) और शुभ मुहूर्त।
प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Shubh Muhurat)
अधिकमास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 13 अगस्त की सुबह 8 बजकर 19 मिनट से शुरू हो जाएगी और इसकी समाप्ति 14 अगस्त की सुबह 10 बजकर 25 मिनट पर होगी। ऐसे में प्रदोष व्रत 13 अगस्त को रखा जाएगा। इस दिन भगवान शिव की पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त शाम 07 बजकर 08 मिनट से लेकर रात 09 बजकर 22 मिनट तक रहेगा।
अधिकमास प्रदोष व्रत पूजा सामग्री (Pradosh Vrat Puja Samagri)
जल से भरा हुआ कलश, सफेद पुष्प, पुष्पों की माला, धूपबत्ती, घी का दीपक, सफेद वस्त्र, आंकड़े का फूल, सफेद मिठाइयां, सफेद चंदन, कपूर, बेल-पत्र, धतुरा, भांग, हवन सामग्री, आम की लकड़ी।
अधिकमास प्रदोष व्रत पूजा विधि (Pradosh Vrat Puja Vidhi)
रवि प्रदोष व्रत के दिन प्रात:काल उठकर नित्य कर्म से निवृत हो जाएं और स्नान कर शुद्ध कपड़े पहनकर भगवान शिव जी की पूजा करें। फिर पूरे दिन मन ही मन “ओम नम: शिवाय” मंत्र का जप करें। फिर पूरे दिन निराहार रहें। व्रती शाम को दुबारा स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर पूजा स्थल को शुद्ध कर लें। फिर पांच रंगों से रंगोली बनाकर मंडप तैयार करें। पूजन की सामग्री एकत्रित कर लें। एक कलश में शुद्ध जल भर कर रख लें। कुश के आसन पर बैठ कर शिव जी की विधि विधान पूजा करें और “ऊँ नम: शिवाय” कहते हुए शिव जी को जल अर्पित करें। इसके बाद हाथ जोड़कर शिव जी का ध्यान करें। ध्यान के बाद रवि त्रयोदशी प्रदोष व्रत की कथा सुनें या सुनायें। कथा खत्म होने के बाद हवन सामग्री मिलाकर 11, 21 या 108 बार “ऊँ ह्रीं क्लीं नम: शिवाय स्वाहा” मंत्र से आहुति दें। अंत में शिव जी की आरती करें। सभी को प्रसाद वितरित करें। उसके बाद भोजन ग्रहण करें। ध्यान रहे कि भोजन में केवल मीठी सामग्रियों का ही उपयोग करें।
अधिकमास प्रदोष व्रत उपाय (Pradosh Vrat Ke Upay)
अधिकमास प्रदोष व्रत का दिन रुद्राभिषेक करने का विशेष महत्व माना जाता है। इसलिए इस दिन शिव का जलाभिषेक करें। इसके लिए अभिजित मुहूर्त को चनें। इस दिन शिवलिंग का अभिषेक करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
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