Ravi Pradosh Vrat 2024: आज है रवि प्रदोष व्रत, जान लें पूजा विधि, मुहूर्त, उपाय और महत्व
Ravi Pradosh Vrat 2024 Puja Vidhi And Muhurat: हिंदू पंचांग अनुसार रवि प्रदोष व्रत 21 अप्रैल को रखा जाएगा। ये चैत्र शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत होगा। यहां जानिए रवि प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व।
Ravi Pradosh Vrat 2024
Ravi Pradosh Vrat 2024 Puja Vidhi And Muhurat: पंचांग अनुसार 21 अप्रैल को प्रदोष व्रत है। जिसकी शुरुआत 20 अप्रैल की रात 10 बजकर 41 मिनट से हो जाएगी और समाप्ति 22 अप्रैल को 1 बजकर 11 मिनट पर होगी। उदया तिथि के अनुसार ही 21 तारीख को ये व्रत रखा जा रहा है। इस व्रत में पूजन सूर्यास्त के समय किया जाता है। इस दिन व्रती नमकरहित भोजन करता है यानी व्रत रखने वाला व्यक्ति इस दिन नमक नहीं खाता है। मान्यता है रवि प्रदोष व्रत रखने से अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
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Ravi Pradosh Vrat 2024 Date And Muhurat (रवि प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त 2024)
रवि प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त 21 अप्रैल की शाम 6 बजकर 51 मिनट से रात 9 बजकर 2 मिनट तक रहेगा। प्रदोष व्रत तिथि 20 अप्रैल की रात 10:41 से 21 अप्रैल की देर रात 01:11 तक रहेगी।
Ravi Pradosh Vrat Vidhi (प्रदोष व्रत की विधि)
- प्रदोष व्रत के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाना चाहिए।
- इसके बाद स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए और घर के मंदिर की सफाई करनी चाहिए।
- इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। इसलिए प्रदोष व्रत की पूजा में शिव की प्रिय चीजें जैसे बेल पत्र, अक्षत, धूप, गंगा जल इत्यादि का इस्तेमाल जरूर करें।
- इस व्रत को आप निर्जला या फलाहार लेकर भी रख सकते हैं।
- सूर्यास्त से कुछ देर पहले यानी शाम के समय दोबारा से स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।
- फिर उत्तर पूर्व दिशा की तरफ मुंह करके कुशा के आसन पर बैठ जाएं।
- इसके बाद ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करते हुए भगवान शिव को जल अर्पित करना चाहिए।
- जिस दिन का प्रदोष व्रत कर रहे हैं उस दिन से जुड़ी प्रदोष की कथा जरूर पढ़नी चाहिए।
Pradosh Vrat Udyapan Vidhi (प्रदोष व्रत उद्यापन विधि)
- 11 या फिर 26 प्रदोष व्रत करने के बाद आप इस व्रत का उद्यापन कर सकते हैं।
- इस व्रत का उद्यापन त्रयोदशी के दिन ही यानी प्रदोष व्रत के दिन ही करना चाहिए।
- उद्यापन से 1 दिन पहले भगवान गणेश की विधिवत पूजा करें और उद्यापन की रात को कीर्तन करें।
- इसके बाद अगली सुबह मंडप तैयार करें और रंगोली से उस मंडप को सज़ाएँ।
- फिर ‘ॐ उमा सहित शिवा नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करते हुए हवन करना चाहिए।
- हवन के बाद कपूर से भगवान शिव की आरती करें और साथ में शांति पाठ अवश्य करें।
- इसके बाद अपनी यथाशक्ति अनुसार ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दान दक्षिणा देंकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
Ravi Pradosh Vrat Ka Mahatva (रवि प्रदोष व्रत का महत्व)
रवि प्रदोष व्रत को भानु प्रदोष भी कहते हैं। मान्यता है रवि प्रदोष व्रत को करने से व्यक्ति को सुख, शांति और लंबी आयु की प्राप्ति होती है। इसके अलावा रवि प्रदोष व्रत का संबंध सूर्य देव से माना जाता है। ऐसे में जिस भी इंसान की कुंडली में सूर्य खराब स्थिति में है या बलहीन अवस्था में है उन्हें रवि प्रदोष व्रत जरूर करना चाहिए। इस व्रत को करने से व्यक्ति को मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।
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