Ravi Pradosh Vrat Katha In Hindi 2024: सितंबर के आखिरी प्रदोष व्रत के दिन करें इस कथा का पाठ, शिव जी का मिलेगा आशीर्वाद

Ravi Pradosh Vrat Katha In Hindi 2024: जो प्रदोष व्रत रविवार के दिन पड़ता है, उस प्रदोष व्रत को रवि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। इस दिन कथा का पाठ करना बहुत ही शुभ होता है। आइए यहां पढ़ें रवि प्रदोष व्रत की कथा।

Ravi Pradosh Vrat Katha

Ravi Pradosh Vrat Katha

Ravi Pradosh Vrat Katha In Hindi 2024: सिंतबर महीने के आखिरी प्रदोष आज यानि 29 सितंबर 2024 को रविवार के दिन रखा जाएगा। प्रदोष का व्रत भगवान शिव जी की पूजा के लिए समर्पित होता है। रवि प्रदोष का व्रत रोग, दोष से मु्क्ति पाने के लिए उत्तम माना जाता है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। ये व्रत हर मास की त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है। ये तिथि भगवान भोलेनाथ को अतिप्रिय है। आज रवि प्रदोष व्रत के दिन शाम 6 बजकर 9 मिनट से लेकर रात 7 बजकर 6 मिनट तक होगी। इस व्रत के दिन कथा का पाठ करना भी उत्तम माना जाता है। आइए यहां पढ़ें रवि प्रदोष व्रत की कथा।

Ravi Pradosh Vrat Katha In Hindi (रवि प्रदोष व्रत कथा)

एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नि प्रदोष व्रत का पालन करती थीं। इस व्रत के तप से उसको एक पुत्र की प्राप्ति हुई। उन दोनों की केवल एक ही संतान थी। एक बार उनका पुत्र गंगा स्नान करने के लिए गया। दुर्भागय के कारण उसे रास्ते में चोरों ने घेर लिया और उसको डराने धमाकने लगे। पूछने लगे की उसके पिता ने सारा धन कहां रखा है। उस बालक ने कहा कि हमारे पास कोई गुप्त धन नहीं है। हम तो बहुत गरीब हैं। चोरों ने उसकी हालत पर तरस खाकर उसे जानें दिया। बालक उनसे छुटकारा पाकर अपनी राह की तरफ चल दिया।
जब वो बालक चलते- चलते थक गया, तब वो बरगद के पेड़ के नीचे सो गया। तभी वहां पर पुलिस उन चोर की तलाश में वहां पर आई। पुलिस ने ब्राह्मण के बालक को चोर समझकर पकड़ लिया और राजा के दरबार में ले गई। राजा ने बालक की बात सुने बिना उसको कारागार में डाल दिया। इधर जब बालक नहीं लौटा तो उसकी मां बहुत ही चिंतित हो गई। उसके अगले दिन ही प्रदोष का व्रत भी था। ब्राह्मणी को तुरंत प्रदोष का ध्यान आ गया और वो मन ही मन शिव जी अपने पुत्र की सलामती के लिए कामना करने लगी। उसी रात राजा को स्वप्न आया कि जो बालक तुमने बंदी बना दिया है, वो निर्दोष है। यदि तुम उस बालक को जल्दी नहीं छोड़ोगे तो तुम्हारी सारी संपत्ति नष्ट हो जाएगी। सुबह होते ही राजा ने बालक को बुलाया और बालक ने फिर राजा को सारी बात बताई। राजा ने बालक के माता पिता को दरबार में बुलाया। उनको डरा हुआ देख राजा ने मुसकुरा कर कहा। तुम्हारा बालक निडर और निर्दोष है । तुम्हारी गरीबी के कारण हम तुम्हें पांच गांव दान में देते हैं । इस तरह ब्राह्मण आनन्द से रहने लगा। प्रदोष व्रत की महिमा से और शिव जी की कृपा से उसके सारे दुख दूर हो गए।
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जयंती झा author

बिहार के मधुबनी जिले से की रहने वाली हूं, लेकिन शिक्षा की शुरुआत उत्तर प्रदेश की गजियाबाद जिले से हुई। दिल्ली विश्वविद्यायलय से हिंदी ऑनर्स से ग्रेजुए...और देखें

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