Ravi Pradosh Vrat Katha In Hindi: रवि प्रदोष व्रत कथा पढ़ने से दूर हो जाएंगे सारे कष्ट
Ravi Pradosh Vrat Katha In Hindi: जब प्रदोष व्रत रविवार को पड़ता है तो उसे रवि प्रदोष व्रत कहते हैं। रवि प्रदोष व्रत 10 दिसंबर को पड़ा है। इस दिन प्रदोष काल में शिव जी की पूजा करने के बाद रवि प्रदोष की कथा जरूर सुनें।
Ravi Pradosh Vrat Katha In Hindi
Ravi Pradosh Vrat Katha In Hindi (रवि प्रदोष व्रत कथा): एक गांव में एक बहुत गरीब ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी प्रदोष व्रत किया करती थी। उसे एक ही पुत्र था। एक समय ब्राह्मण का पुत्र गंगा स्नान करने के लिए गया। दुर्भाग्य से उसे मार्ग में चोरों ने घेर लिया और वो कहने लगे कि हम तुम्हें मारेंगे नहीं, अगर तुम हमें अपने पिता के गुप्त धन के बारे में बता देते हो।संबंधित खबरें
बालक दीनभाव से कहने लगा कि बंधुओं! हमारे पास कुछ नहीं है हम बहुत गरीब हैं। हमारे पास धन कहां से आयेगा? तब चोरों ने पूछा कि तेरे इस पोटली में क्या बंधा है? बालक ने नि:संकोच कहा कि मेरी मां ने मेरे लिए रोटियां दी हैं। चोरों ने उस बालक को जाने दिया। बालक वहां से चलते हुए एक नगर में पहुंचा। नगर में वह बरगद के वृक्ष की छाया में सो गया। उसी समय उस नगर के सिपाही चोरों को ढूंढ रहे थे खोजते हुए वे उस बरगद के वृक्ष के पास पहुंचे जहां वो गरीब बालक सो रहा था। नगर के सिपाही ने उसे ही चोर समझकर बंदी बना लिया और राजा के पास ले गए। राजा ने उसे कारावास में डाल दिया।संबंधित खबरें
लड़का जब अपने घर नहीं लौटा, तब उसके घर वाले परेशान हो गए। अगले दिन प्रदोष व्रत था। ब्राह्मणी ने प्रदोष व्रत रखा था और वह भगवान शंकर से मन-ही-मन अपने पुत्र की कुशलता की प्रार्थना करने लगी। भगवान शंकर ने उस ब्राह्मणी की प्रार्थना स्वीकार की। उसी रात भोलेनाथ उस राजा के सपने में आए और उसे आदेश दिया कि वह बालक चोर नहीं है, उसे प्रात:काल छोड़ दें अन्यथा तुम्हारा सबकुछ नष्ट हो जाएगा।संबंधित खबरें
प्रात:काल राजा नेबालक को कारावास से मुक्त कर दिया गया। बालक ने अपनी सारी कहानी राजा को सुनाई। राजा ने अपने सिपाहियों से कहा कि इस लड़के के माता-पिता को राजदरबार में लाया जाए। कुछ ही समय बाद लड़के के माता-पिता दरबार में पहुंच गए वो बहुत ही भयभीत थे। राजा ने उन्हें भयभीत देखकर कहा कि परेशान न हों। मैं जानता हूं आपका बालक निर्दोष है। राजा ने ब्राह्मण को 5 गांव दान में दिए जिससे वो अपना जीवन सुख से बीता सके। इस तरह ब्राह्मण आनन्द से रहने लगा। शिव जी की कृपा से उसकी दरिद्रता दूर हो गई।संबंधित खबरें
अत: जो भी मनुष्य रवि प्रदोष व्रत करता है, वह सुखपूर्वक और निरोगी होकर अपना जीवन जीता है।संबंधित खबरें
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल
End of Article
TNN अध्यात्म डेस्क author
अध्यात्म और ज्योतिष की दुनिया बेहद दिलचस्प है। यहां हर समय कुछ नया सिखने और जानने को मिलता है। अगर आ...और देखें
End Of Feed
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited