Ravivar Pradosh Vrat Katha In Hindi: रवि प्रदोष व्रत वाले दिन पढ़ें ये पावन कथा, भोलेनाथ की खूब बरसेगी कृपा

Ravi Pradosh Vrat Katha In Hindi: हर पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रवि प्रदोष व्रत रखा जाता है। हिंदू धर्म में इस व्रत का विशेष महत्व माना गया है। जब प्रदोष रविवार के दिन पड़ता है तो ये रवि प्रदोष व्रत कहलाता है। यहां जानिए रवि प्रदोष व्रत की कथा।

Ravi Pradosh Vrat Katha

Ravi Pradosh Vrat Katha In Hindi: हर महीने में दो प्रदोष व्रत पड़ते हैं इस तरह से एक साल में कुल 24 और कभी कभार 25 प्रदोष व्रत भी होते हैं। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और भगवान शंकर की विधि विधान पूजा करते हैं। मान्यताओं अनुसार प्रदोष व्रत करने से जीवन के सारे दोषों से छुटकारा मिल जाता है। इस व्रत की पूजा के लिए प्रदोष काल का समय बेहद शुभ होता है। दिन में सूर्य के अस्त होने के बाद और रात होने से पहले का समय प्रदोष काल कहलाता है। यहां आप जानेंगे रवि प्रदोष की कथा।

Ravi Pradosh Vrat Katha In Hindi (रवि प्रदोष व्रत कथा)

रवि प्रदोष व्रत की पौराणिक कथा अनुसार एक गांव में अति दीन ब्राह्मण निवास करता था। उसकी स्त्री नियमित रूप से प्रदोष व्रत किया करती थी। उसा एक ही पुत्र था। एक समय जब वह पुत्र गंगा स्नान करने के लिए गया हुआ था तब दुर्भाग्यवश मार्ग में उसे चोरों ने घेर लिया और वे कहने लगे कि हम तुम्हें हम मारेंगे नहीं बस तुम ये बता दो कि तुम्हारे पिता ने गुप्त धन कहां रखा है। बालक दीनभाव से कहने लगा कि बंधुओं! हम अत्यंत दु:खी और दीन हैं हमारे पास कुछ नहीं है। तब चोरों ने कहा कि तेरे पोटली में क्या बंधा है? बालक ने बताया कि मेरी मां ने मेरे लिए रोटियां बांधी हैं। यह सुनकर चोरों ने उसे जाने दिया।
बालक चलते-चलते एक नगर में पहुंचा। नगर में एक बरगद का पेड़ लगा था। बालक बहुत ठक गया था ऐसे में वह उसी बरगद के वृक्ष की छाया में सो गया। उसी समय नगर के सिपाही चोरों को खोजते हुए बरगद के पेड़ के पास पहुंचे। उन्होंने उस बालक को ही चोर समझ लिया और बंदी बनाकर राजा के पास ले गए। राजा ने उसे कारावास में डाल दिया। उधर ब्राह्मणी अपने लड़के के वापस न लौटने की वजह से चिंता में थी। अगले दिन प्रदोष व्रत था। ब्राह्मणी ने नियमपूर्वक प्रदोष व्रत किया और भगवान शंकर से अपने पुत्र की कुशलता की प्रार्थना की।
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