Sant Ravidas Ji Ki Aarti: जय गुरु रविदास जगत गुरु... यहां देखें संत रविदास जी की आरती

Ravidas Ji Ki Aarti: माघी पूर्णिमा के दिन संत रविदास जयंती भी मनाई जाती है। इस मौके पर संत रविदास जी के अनुयायी उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। यहां देखें संत रविदास जी की आरती।

sant ravidas ji ki aarti

Sant Ravidas Ji Ki Aarti

Ravidas Ji Ki Aarti (रविदास जी की आरती): कहते हैं संत रविदास जी की आरती भक्ति जागृत करती है। कहते हैं जो सच्चे मन से रविदास जी की आरती करता है उसकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। इतना ही नहीं इस आरती के गान से मन शुद्ध हो जाता है और जीवन की तमाम परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है। इस साल 25 फरवरी संत रविदास जी की जयंती मनाई जा रही है। ऐसे में इस शुभ अवसर पर जरूर पढ़ें रविदास जी की आरती।

संत रविदास जी की आरती (Sant Ravidas Ji Ki Aarti)

जय गुरु रविदास जगत गुरु, जय गुरु रविदास जगत गुरु।

सब के प्राणपति सदा के सुखदाता, सब के पालनहार जगदगुरु।।

धरती अम्बर सुर असुर मुनि, सब बोलते जय जय गुरुदेव।

शारदा माता संकट हरनी, भव विधाता सदा सुखदाता।।

जीवन बीते दिन दो घड़ी, करम करे जैसे कोई मूरख।

दिव्य ज्योति मे ज्ञान पाये, करे जैसे जागत महान।।

भव बंधन से मुक्त हो, दुःख शोक सब नाश हो।

श्री गुरु रविदास की आरती जो कोई नर गावे।।

जो श्रद्धा से जपे मन में, सब कष्ट निवार देता।

भव ताप नाश महान, सदा सुख की धन देता।।

जय गुरु रविदास जगत गुरु, जय गुरु रविदास जगत गुरु।

सब के प्राणपति सदा के सुखदाता, सब के पालनहार जगदगुरु।।

गुरु रविदास की जय!

रविदास जी की आरती (Ravidas Ji Ki Aarti)

नामु तेरो आरती भजनु मुरारे |

हरि के नाम बिनु झूठे सगल पसारे ||

नाम तेरा आसानी नाम तेरा उरसा,

नाम तेरा केसरो ले छिटकारे |

नाम तेरा अंभुला नाम तेरा चंदनोघसि,

जपे नाम ले तुझहि कउ चारे |

नाम तेरा दीवा नाम तेरो बाती,

नाम तेरो तेल ले माहि पसारे |

नाम तेरे की जोति जलाई,

भइओ उजिआरो भवन समलारे |

नाम तेरो तागा नाम फूल माला,

भार अठारह सगल जुठारे |

तेरो किया तुझही किया अरपउ,

नामु तेरा तुही चंवर ढोलारे |

दस अठा अठसठे चार खाणी,

इहै वरतणि है संगल संसारे |

कहै रविदास नाम तेरो आरती,

सतिनाम है हरि भोग तुम्हारे |

बता दें संत रविदास जी भारतीय समाज के एक प्रसिद्ध और सम्मानित संत थे जिनका जन्म वाराणसी में हुआ था। वे छोटी जाति से संबंध रखते थे और भगवान राम के बड़े भक्त थे। संत रविदास जी की वाणी में उनकी भगवान के प्रति असीम भक्ति दिखती थी और वह अपनी कविताओं के जरिए समाज को बिना भेदभाव के रहने की प्रेरणा देते थे। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज को अस्पृश्यता और एकता का संदेश दिया।

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