Pradosh Vrat Puja Time, Katha 2024: आज इस मुहूर्त में पढ़ें रवि प्रदोष व्रत की कथा, हर कामना होगी पूरी
Pradosh Vrat Puja Time, Katha 2024 (रवि प्रदोष व्रत कथा): जब प्रदोष व्रत रविवार के दिन पड़ता है तो उसे रवि प्रदोष व्रत और भानु प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। कहते हैं रवि प्रदोष व्रत करने से सुख, शांति और लंबी आयु की प्राप्ति होती है। चलिए जानते हैं रवि प्रदोष व्रत की कथा क्या है।

Ravivar Pradosh Vrat Katha In Hindi
Pradosh Vrat Puja Time, Katha 2024 (रवि प्रदोष व्रत कथा): रवि प्रदोष व्रत को सूर्य देव से जोड़कर देखा जाता है। कहते हैं जिनकी कुंडली में सूर्य अशुभ प्रभाव में हों उन्हें रवि प्रदोष व्रत जरूर करना चाहिए। क्योंकि इस व्रत को करने से सूर्य की स्थिति मजबूत होती है। जिससे व्यक्ति के यश और सम्मान में वृद्धि होती है। साथ ही लंबी आयु का वरदान भी प्राप्त होता है। ये व्रत बेहद कल्याणकारी माना जाता है। चलिए जानते हैं रवि प्रदोष व्रत की पौराणिक कथा।
प्रदोष व्रत पूजा टाइम 2024 (Today Pradosh Puja Time 2024)
15 सितंबर 2024 को प्रदोष पूजा का टाइम शाम 06:26 से रात 08:46 बजे तक रहेगा। इस समय पर प्रदोष व्रत की कथा जरूर पढ़ें।
रविवार प्रदोष व्रत कथा (Today Pradosh Vrat Katha In Hindi)
प्राचीन समय की बात है एक गांव में अति दीन ब्राह्मण निवास करता था। जिसकी पत्नी प्रदोष व्रत किया करती थी। उनका एक पुत्र भी था। एक समय वह पुत्र गंगा स्नान के लिए गया लेकिन दुर्भाग्यवश उसे मार्ग में चोरों ने घेर लिया और वे कहने लगे कि तुम्हारे पास जो भी धन है हमें दे दो। बालक दीनभाव से कहने लगा कि हे बंधुओं! हम अत्यंत दु:खी दीन हैं। हमारे पास धन कहां से आएगा। मेरी इस पोटली में मेरी मां के हाथ की बनी रोटियां हैं। यह सुनकर चोरों ने उसे जाने दिया। बालक वहां से चलते हुए एक नगर में जा पहुंचा।
वे काफी थक चुका था इसलिए नगर के पास एक बरगद का पेड़ था वो वहीं जाकर वह सो गया। उसी समय उस नगर के सिपाही चोरों को खोजते हुए वहां पहुंचे और उन्होंने बालक को चोर समझकर बंदी बना लिया और उसे राजा के पास ले गए। राजा ने उसे कारावास में बंद कर दिया। ब्राह्मणी का लड़का जब घर नहीं लौटा तो उसे बहुत चिंता होने लगी। अगले दिन प्रदोष व्रत था। ब्राह्मणी ने विधि विधान प्रदोष व्रत किया और भगवान शंकर से अपने पुत्र की कुशलता की प्रार्थना की। उसी रात भगवान शंकर राजा के सपने में आए और उसे आदेश दिया कि वह बालक चोर नहीं है, इसलिए इसे तुरंत छोड़ दिया जाए अन्यथा तुम्हारा सारा राज्य-वैभव नष्ट हो जाएगा।
सुबह होती ही राजा ने शिवजी की आज्ञानुसार उस बालक को जेल से मुक्त कर दिया। फिर बालक ने अपनी सारी कहानी राजा को सुनाई। इसके बाद राजा ने अपने सिपाहियों को भेजकर उसके माता-पिता को राजदरबार में बुलाया। राजा ने ब्राह्मण परिवार को 5 गांव दान में दिए जिससे वे सुखपूर्वक अपना जीवन व्यतीत करने लगें।इस तरह प्रदोष व्रत करने से उसकी दरिद्रता दूर हो गई।
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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