Raviwar Vrat Katha, Puja Vidhi: रविवार व्रत कथा, पूजा विधि, आरती, मंत्र और महत्व, पढ़िए यहां

Ravivar Vrat Katha, Puja Vidhi, Aarti in Hindi (रविवार व्रत कथा, पूजा विधि, आरती): रविवार (Raviwar) का दिन ग्रहों के राजा सूर्य देव (Surya Dev) को समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से व्यक्ति की समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही व्यक्ति के मान, सम्मान और तेज में बढ़ोतरी होती है।

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रविवार व्रत कथा, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र और नियम

Ravivar Vrat Katha, Puja Vidhi, Aarti in Hindi (रविवार व्रत कथा, पूजा विधि, आरती): रविवार का दिन भगवान सूर्य को समर्पित माना जाता है। सूर्य देव (Surya Dev) बेहद कल्याणकारी ग्रह हैं। ऐसे में रविवार व्रत (Raviwar Vrat) बेहद फलदाई माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि रविवार का व्रत करने से सूर्यदेव की कृपा बरसती है। रोग, बीमारी, कष्ट, दुविधा दूर होते हैं। जीवन में खुशहाली आती है।
रविवार व्रत की शुरुआत आप किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष वाले रविवार को कर सकते हैं। वैसे भादव माह के रविवार से इस व्रत का आरंभ करना बेहद शुभ होता है। इस व्रत का पालन 51, 30 या 12 रविवार तक करना चाहिए। चलिए अब रविवार व्रत की कथा, मंत्र, आरती, महत्व और पूजा विधि जान लेते हैं।

Ravivar Vrat Katha (रविवार व्रत कथा)

प्राचीन काल की बात किसी नगर में एक बुढ़िया रहती थी। वह हर रविवार को नियमित रूप से व्रत करती थी। इसके लिए रविवार के दिन वह सूर्योदय से पहले जागती और स्नानादि से निवृत्त होकर आंगन की सफाई के लिए गोबर से लीपती थी। इसके बाद सूर्य भगवान की पूजा करती और फिर रविवार व्रत कथा सुनकर सूर्य भगवान को भोग अर्पित करती थी। पूजन के बाद बूढ़ी औरत दिन में सिर्फ एक समय ही भोजन करती। सूर्य भगवान की कृपा से बुढ़िया को किसी प्रकार की चिंता और कष्ट नहीं थे। धीरे-धीरे उसका घर धन-धान्य से भर रहा था। उसको इतनी अच्छी स्थिति में देख उसकी पड़ोसन उससे जलने लगी।
बुढ़िया ने कोई गाय नहीं पाल रखी थी। तो वह आंगन लिपने के लिए पड़ोसन से ही गोबर मांग कर लाती थी।पड़ोसन ने फिर अपनी गाय को घर के भीतर बांध दिया। रविवार के दिन गोबर न मिलने के कारण बुढ़िया अपना आंगन नहीं लीप पाई। यह बात उसे अंदर ही अंदर दुखी कर देता है। इसलिए उस दिन न तो वो सूर्य भगवान को भोग लगाए और न ही स्वयं भोजन किया। सूर्यास्त होने पर खुद को सजा देते हुए बुढ़िया भूखी-प्यासी सो गई।
अगले दिन सूर्योदय से पहले उस बुढ़िया की आंख खुली तो वह अपने आंगन में एक सुंदर गाय और बछड़े को देख हैरान हो गई। उसने खुशी खुशी गाय को आंगन में बांधकर जल्दी से उसे चारा लाकर खिलाया। पड़ोसन की जलन और बढ़ गई। तभी गाय ने सोने का गोबर किया। गोबर देखते ही पड़ोसन की आंखें फटी की फटी रह गई।
पड़ोसन उस बुढ़िया से छिपकर फौरन गाय के पास गई और उस गोबर को उठाकर अपने घर ले आई। साथ ही अपनी गाय का गोबर वहां रख आई। सोने का गोबर पाकर पड़ोसन कुछ ही दिनों में धनवान हो गई। बुढ़िया के आंगन में गाय प्रति दिन सूर्योदय से पहले सोने का गोबर किया करती थी। उस गोबर को पड़ोसन है दिन बुढ़िया से छिपकर उठा ले जाती थी।
काफी दिनों तक बुढ़िया को सोने के गोबर के बारे में कुछ पता नहीं था।बुढ़िया हमेशा की तरह हर रविवार को सूर्यदेव का व्रत करती रही और कथा सुनती रही। लेकिन जैसे ही पड़ोसन की चालाकी का पता, सूर्य भगवान को चला तो उन्होंने तेज आंधी चलाई। इस भयानक आंधी को देख बुढ़िया ने गाय को घर के भीतर बांध दिया। फिर अगली सुबह उठकर बुढ़िया सोने का गोबर हैरान हो गई।
फिर बुढ़िया अपनी गाय को हमेशा घर के भीतर बांधने लगी। सोने का गोबर पाकर बुढ़िया कुछ ही दिन में बहुत धनी हो गई। बुढ़िया के धनी होने पर पड़ोसन बुरी तरह से जल-भुनकर राख हो गई। पड़ोसन ने अपने पति को समझा-बुझाकर नगर के राजा के पास भेज दिया। सुंदर गाय को देख राजा बेहद प्रसन्न हुआ। अगली सुबह गाय के सोने का गोबर देख तो राजा के होश उड़ गए। फिर राजा ने बुढ़िया से गाय और बछड़ा दोनों छीन लिया। इसके बाद बुढ़िया की स्थिति फिर से दयनीय हो गई।
बुढ़िया ने काफी दुखी होकर सूर्य देव से प्रार्थना करने लगी। भगवान सूर्य को भूखी-प्यासी बुढ़िया पर बहुत दया आई। उसी रात सूर्य भगवान ने उस राजा को स्वप्न में कहा, हे राजन! बुढ़िया की गाय और बछड़ा उसे तुरंत लौटा दो। नहीं तो तुम पर संकटों का पहाड़ टूट पड़ेगा। तुम्हारे महल नष्ट कर दिए जाएंगे। सबकुछ खत्म हो जाएगा। सूर्य भगवान के स्वप्न से भयभीत राजा ने सुबह उठते ही गाय और बछड़ा बुढ़िया को लौटा दिया।
साथ ही राजा ने बहुत धन-जेवर देकर बुढ़िया से अपनी गलती का प्रायश्चित करते हुए माफी मांगा। इसके बाद राजा ने पड़ोसन और उसके पति को दुष्टता के लिए दंड भी दिया। इस तरह राजा ने पूरे राज्य में घोषणा कराई कि सारे लोग रविवार का व्रत विधिवत रूप से किया करें। इस व्रत के करने से घर में धन-धान्य की कभी कमी नहीं रहेगी। सभी ने व्रत का नियमित ढंग से पालन किया। राज्य में चारों ओर खुशहाली छा गई। स्त्री-पुरुष के जीवन में खुशियां ही खुशियां रहने लगी। साथ ही सबके शारीरिक कष्ट भी दूर हो गए।

Ravivar Vrat Puja Vidhi (रविवार व्रत पूजा विधि)

  • रविवार को सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर लाल रंग के कपड़े पहनें।
  • सबसे पहले सूर्य देव को जल का अर्घ्य देकर पूजन शुरू करें।
  • पूजन के लिए घर के मंदिर में भगवान सूर्य के स्वर्ण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • इसके बाद अक्षत, रक्त चंदन, लाल पुष्प और दुर्वा से भगवान सूर्य की विधिवत पूजन करें।
  • पूजन के बाद व्रतकथा सुनें।
  • व्रतकथा सुनकर नियमित रूप से आरती करें।

Ravivar Vrat Puja Aarti (रविवार व्रत पूजा आरती)

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

Ravivar Vrat Importance (रविवार व्रत महत्व)

जो कोई भी रविवार व्रत विधि पूर्वक करता है उसे लंबी आयु और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही उस व्यक्ति के सारे मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं और स्वास्थ्य अच्छा रहता है। इस दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने का भी विशेष महत्व माना जाता है। रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा करने से व्यक्ति के मान, सम्मान और तेज में बढ़ोतरी होती है।

Ravivar Mantra (रविवार व्रत के मंत्र)

  • ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ।
  • ॐ घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य:।
  • ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर: ।।
  • ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः ।।
  • ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा ।।

Ravivar Vrat Ke Niyam (रविवार व्रत के नियम)

व्रत वाले दिन तांबे से बनी वस्तु की खरीदारी से बचें। इस दिन नीला, काला या ग्रे रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए। रविवार के दिन लाल रंग कपड़े पहनने चाहिए। रविवार व्रत में पूरे दिन रख कर सूर्यास्त के बाद एक बार ही भोजन ग्रहण करें। भोजन के लिए गेहूं की रोटी, दलिया, दूध, दही और घी का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस दिन भोजन में तेल या नमक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इस दिन चावल में दूध और गुड़ मिलाकर अवश्य खाएं।
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