Ravivar Vrat Katha, Mantra, Aarti: रविवार के दिन करें सूर्यदेव की पूजा, यहां पढ़ें व्रत कथा, आरती, मंत्र
Ravivar Vrat Katha, Mantra, Aarti In Hindi: रविवार का दिन भगवान सूर्यदव को समर्पित होता है। इस दिन सूर्यदेव की विधिवत पूजा की जाती है और उन्हें जल अर्पित किया जाता है। इस दिन सूर्यदेव की पूजा करने से साधक को मान- सम्मान में वृद्धि मिलती है। यहां पढ़ें रविवार व्रत कथा, आरती, मंत्र।
Ravivar Vrak Katha
Ravivar Vrat Katha, Mantra, Aarti In Hindi: शास्त्रों में रविवार का दिन भगवान सूर्यदेव की पूजा के लिए सबसे उत्तम दिन माना गया है। सूर्य देव को ग्रहों का राजा माना जाता है। रविवार के दिन व्रत करना और सूर्यदेव को जल अर्पित करना शुभ फलदाई माना जाता है। इस दिन पूजा करने से साधक की कुंडली में सूर्य की स्थिती मजबूत होती है, इसके साथ ही सूर्यदेव की पूजा से साधक की सारी मनोकामना की पूर्ति भी होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार रविवार का व्रत रखने से और कथा का पाठ करने से रोग, शोक से साधक को मुक्ति मिलती है। आइए यहां जानें रविवार व्रत कथा, मंत्र, आरती।
Ravivar Vrat Katha (रविवार व्रत कथा)
रविवार मंत्र (Ravivar Mantra)ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते,
अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।
सूर्य वैदिक मंत्र
ऊँ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यण्च ।
हिरण्य़येन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पश्यन ।।
सूर्य गायत्री मंत्र
ऊँ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात ।।
Ravivar Vrat Aarti (रविवार व्रत पूजा आरती)ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
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