Ravivar Vrat Katha In Hindi: प्राणियों में अपनी ऊर्जा और शक्ति भरने वाले भगवान सूर्य करते हैं सबका मंगल, पढ़िए रविवार व्रत कथा हिंदी में

Ravivar Vrat Katha In Hindi (रविवार व्रत कथा हिंदी में): रविवार का दिन भगवान सूर्य देव को समर्पित माना जाता है। हिंदू धर्म में सूर्य देव की उपासना का विशेष महत्व है, क्योंकि सूर्य देव को सभी ग्रहों के राजा और ऊर्जा के स्रोत के रूप में पूजा जाता है। ऐसे में आज हम आपको भगवान सूर्य के दिव्य चमत्कार की कहानी बताएंगे। यहां पढ़िए रविवार व्रत कथा हिंदी में।

Ravivar Vrat Katha

Ravivar Vrat Katha

Ravivar Vrat Katha In Hindi (रविवार व्रत कथा हिंदी में): ज्योतिष मान्यताओं और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्ताह के प्रत्येक दिन किसी न किसी देवी-देवता का व्रत-पूजन किया जाता है। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण दिन है रविवार, जिसे सूर्य देव का दिन माना जाता है। सूर्य देव, जिन्हें नवग्रहों में प्रमुख स्थान प्राप्त है, जीवन शक्ति, आत्मविश्वास और स्वास्थ्य के दाता माने जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो भी श्रद्धालु इस दिन श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान भास्कर का व्रत और पूजन करता है, उसे जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। रविवार के दिन विशेष रूप से प्रातःकाल स्नान के बाद तांबे के पात्र में जल, लाल फूल, गुड़ और चावल डालकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करने और मंत्र जाप की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इससे न केवल मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है, बल्कि कुंडली में सूर्य ग्रह की स्थिति भी प्रबल होती है, जिससे व्यक्ति के मान-सम्मान, स्वास्थ्य और आत्मबल में वृद्धि होती है। ऐसे में रविवार के दिन भगवान सूर्य की व्रत कथा पढ़ने से सूर्य नारायण का सानिध्य मिलता है और व्यक्ति को सुख, समृद्धि तथा यश की प्राप्ति होती है।

Ravivar Vrat Katha Hindi Written (रविवार व्रत कथा इन हिंदी)

प्राचीन काल में एक नगर में एक बुढ़िया रहती थी। वो प्रत्येक रविवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद घर आंगन को गाय के गोबर से लीपती थी और फिर सूर्य देव की विधि-व‍िधान से पूजा करती थी और सूर्य देव को भोग लगाकर भोजन ग्रहण करती थी। बुढ़िया अपना आंगन लीपने के लिए पड़ोसन की गाय का गोबर लाती थी। सूर्यदेव की कृपा से बुढ़िया के जीवन में किसी प्रकार का दुख या कष्ट नहीं था। ये देखकर उसकी पड़ोसन बहुत जलती थी। एक दिन रविवार आने पर पड़ोसन ने अपनी गाय को अंदर बांध दिया ताक‍ि बुढ़िया को उस गाय का गोबर ना मिल सके। इस तरह से रविवार को बुढ़िया निराहार ही रह गई और भूखी ही सो गई क्योंकि उसे गाय का गोबर नहीं मिला था जिससे वो अपना घर लीपती। बुढ़िया को उस दिन सपने में सूर्यदेव ने दर्शन दिए और पूछा कि आज भोग क्यों नही लगाया? इस पर बुढ़िया ने कहा कि उसके पास गाय नहीं है और पड़ोसन ने गाय अंदर बांध दी थी जिस वजह से वो न तो अपने घर के आंगन की लिपाई कर पाई और भोजन भी नहीं पका पाई। तब सूर्य देव ने कहा कि मैं तुम्हारी भक्ति से बहुत ज्यादा प्रसन्न हुआ हूं और मैं वरदान स्वरूप तुमको एक गाय देता हूं जो तुम्हारी सभी मनोकामनाओं को पूरा करेगी। सुबह जब बुढ़िया उठी तो उसने देखा कि उसके आंगन में एक सुंदर सी गाय और बछड़ा खड़े हुए हैं।

बुढ़िया ने श्रद्धा पूर्वक उस गाय की सेवा करनी शुरू कर दी। लेकिन जब पड़ोसन को इस बात का पता चला कि बुढ़िया के पास भी एक गाय आ गई है तो वो और भी ज्यादा जलने लगी। तभी उसने देखा कि बुढ़िया की गाय सोने का गोबर देती है। पड़ोसन ने बुढ़िया की अनुपस्थिति में गोबर को उठाया और अपने घर ले आई। सोने के गोबर की जगह पर पड़ोसन ने बुढ़िया की गाय के पास अपनी गाय का गोबर रख दिया। इस तरह से लगातार सोने के गोबर को इकट्ठा करने से पड़ोसन कुछ ही दिनों में बहुत धनवान हो गई। सूर्य देव ये सब देख रहे थे उन्होंने सोचा कि उन्हें ही कुछ करना पड़ेगा। उन्होंने शाम को तेज आंधी चलवा दी, आंधी की वजह से बुढ़िया ने गाय को आंगन में बांध दिया और सुबह उसने देखा कि गाय तो सोने का गोबर करती है। फिर वो हर रोज गाय को अंदर बांधने लगी। ये बात पड़ोसन से सहन नहीं हुई और उसने राजा को ये बात बता दी कि बुढ़िया के पास एक ऐसी गाय है जो सोने का गोबर देती है। राजा ने सैनिक भेजकर बुढ़िया और उसकी गाय को बुलवा लिया। इस तरह गाय राजमहल आ गई जहां उसने बदबूदार गोबर से पूरे महल का वातावरण प्रदूषित कर दिया। उसी रात राजा को सपने में सूर्य देव दिखाई दिये और उन्होंने कहा कि वो गाय केवल वृद्धा के लिए है। वो हर रविवार मेरा नियमपूर्वक व्रत करती है और मुझे भोग लगाती है। सुबह राजा ने बुढ़िया को गाय वापस कर दी और साथ में उसे बहुत सारा धन भी दिया। राजा ने नगर में ऐलान करवाया कि आज से सभी नगरवासी रविवार का व्रत रखेंगे और सूर्य देव की पूजा करेंगे।

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मेधा चावला author

हरियाणा की राजनीतिक राजधानी रोहतक की रहने वाली हूं। कई फील्ड्स में करियर की प्लानिंग करते-करते शब्दों की लय इतनी पसंद आई कि फिर पत्रकारिता से जुड़ गई।...और देखें

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