Kathgarh Mahadev Mandir: हिमाचल में है संसार का एकमात्र अर्धनारीश्वर शिवलिंग, काठगढ़ मंदिर का अद्भुत है इतिहास

Kathgarh Mahadev Mandir: हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में बना है काठगढ़ महादेव मंदिर। दो भागों में बंटे शिवलिंग का एक भाग छोटा और एक भाग बड़ा है। दोनों शिवलिंगों के बीच का अंतर घटता− बढ़ता रहता है। विश्व विजय पर निकले सिकंदर ने कराया था मंदिर की चारदीवारी और चबूतरे का निर्माण। व्यास नदी के तट पर है मंदिर।

काठगढ़ महादेव मंदिर का इतिहास

मुख्य बातें
  • दाे भागो में बंटे शिवलिंग की होती है पूजा
  • मां पार्वती और भगवान शिव हैं विराजमान
  • घटती और बढ़ती रहती है शिव और पार्वती रूपी शिवलिंग के बीच दूरी

Kathgarh Mahadev Mandir: शिव आदि हैं अनंत हैं। उनकी महिमा का बखान तो पुराण और ग्रंथ भी नहीं कर पाते। कहा जाता है कि संसार में यदि किसी देव के सर्वाधिक मंदिर हैं तो वो हैं महादेव के। बिना भव्यता के महादेव के मंदिरों की मान्यता रही है। शिव महिमा का एक प्रमाण स्थित है हिमाचल में, जिसका नाम है काठगढ़ महादेव मंदिर।

भगवान शिव, अपनी शक्ति पार्वती के बिना अधूरे हैं। यानी यदि शिव से मात्रा हटा ली जाए तो शिव शव हैं। उन्हें पूर्ण मां पार्वती ही करती हैं। इसलिए भगवान शिव को अर्द्धनारीश्वर कहा गया है। आर्धनारीश्वर रूप में आपने बहुत से मंदिरों में प्रतिमाएं तो देखी होंगी लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं अर्द्धनारीश्वर शिवलिंग के बारे में।

हिमाचल प्रदेश का कांगड़ा जिला, अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध इस जिले में स्थित है काठगढ़ महादेव का मंदिर। जहां स्थित शिवलिंग दो भागों में बंटा हुआ है। शिवलिंग के एक भाग को शिव और दूसरे भाग को मां पार्वती के रूप में पूजा जाता है। इस मंदिर की प्रसिद्धि और मान्यता देश विदेश में फैली है।

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