Gauri Shankar Rudraksha: विदेश जाने में आ रही है बाधा, तो धारण करें गौरीशंकर रुद्राक्ष

Rudraksha: त्रिपुरासुर का वध करते समय रुद्रावतार धारण किए भगवान शंकर की आंखाें से बहने वाला जल रुद्राक्ष के रूप में पृथ्वी पर साकार हुआ था। बहुत मुश्किल से मिलता है गौरी शंकर रुद्राक्ष लेकिन किस्मत चमका देता है जब मिलता है। जानिए गौरीशंकर रुद्राक्ष से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातें।

Rudraksha

विदेश जाने के लिए रुद्राक्ष

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • बहुत मुश्किल से प्राप्त होता है गौरी शंकर रुद्राक्ष
  • सोमवार को पुष्य नक्षत्र में धारण करें गौरी शंकर रुद्राक्ष
  • गले में सोने की चैन में गौरी शंकर रुद्राक्ष पहनें
Benefits of Gauri Shankar Rudraksha: यूं तो रुद्राक्ष एक वनस्पति है। इसके पेड़ पर बेर जैसे फल लगते हैं। कहा जाता है कि त्रिपुरासुर का वध करते समय रुद्रावतार धारण किए भगवान शंकर की आंखाें से बहने वाला जल रुद्राक्ष के रूप में धरती पर साकार हुआ था। रुद्राक्ष में शक्ति और औषधि गुण प्रयोगशाला में जांच के बाद सिद्ध भी हो चुके हैं। रुद्राक्ष के सात्विक गुणाें के कारण धारण करने वाले के साथ ही उसके आसपास का वातावरण भी शुद्ध होता है।
एक से लेकर 35 मुंह वाले तक रुद्राक्ष उपलब्ध हैं, जोकि विविध कार्यसिद्धि के लिए उपयोग में लाए जाते हैं। लेकिन गौरी शंकर नामक संयुक्त रुद्राक्ष बहुत कम प्राप्त होता है। वो भी यदि पुराना मिल जाए तो जैसे आपसे ज्यादा अन्य भाग्यशाली नहीं होगा। गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करने से विदेश जाने के रास्ते खुल जाते हैं।
गौरी शंकर रुद्राक्ष के चमत्कारी उपाय
यदि आप विदेश जाकर व्यापार प्राप्त करके खूब सारा पैसा कमाना चाहते हैं तो गौरी शंकर रुद्राक्ष को इस विधि से धारण करें, लाभ मिलेगा और मनोकामना पूरी होगी।
सामग्री
असली गौरी शंकर रुद्राक्ष की प्राण प्रतिष्ठा करने के लिए घी का दीपक, धूप, लकड़ी की चौकी, चांदी की तश्तरी, लाल रंग का वस्त्र, सफेद चंदन, जलपात्र, दूध से बना मिष्ठान। मंत्र सिद्धि रुद्राक्ष काला लें।
गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करने की विधि
गौरी शंकर रुद्राक्ष की प्राण प्रतिष्ठा किसी भी सोमवार को पुष्य नक्षत्र में शुभ मुहूर्त के समय करनी चाहिए। स्नान ध्यान से पवित्र होकर घर के किसी एकांत स्थान में स्वच्छ लाल धाेती धारण करके उत्तराभिमुख होकर लाल आसन पर बैठ कर “ऊं नमः सम्भवाय चमयो भवाय च नमः शंकराय च मयश्कराय च नमः शिवाय च शिव तराय च नमः“ मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें। मंत्र पूर्ण होने पर इस रुद्राक्ष को सोने की चैन में डालकर गले में धारण करें। सात समुद्र जाना का सपना साकार होगा। बता दें कि रुद्राक्ष स्वभाव से ही प्रभावी होता है लेकिन यदि उसे विशेष पद्धति से सिद्ध किया जाए तो उसका प्रभाव बहुत अधिक बढ़ा अनुभव करेंगे। ध्यान रखें कि रुद्राक्ष सिद्ध करना इतना कठिन नहीं है जितना कठिन उसे सिद्ध बनाए रखना है। दुराचार, अनाचार, व्याभिचार, असत्य वचन आदि कारणाें से रुद्राक्ष की सिद्धि कम हो जाती है। शिव पूजन करते समय रुद्राक्ष अवश्य ही धारण करना चाहिए।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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