Mahalaxmi Mandir Kolhapur: कोल्हापुर के इस मंदिर में साक्षात विराजती हैं मां लक्ष्मी, दर्शन मात्र से दूर होते हैं कष्ट

Mahalaxmi Mandir Kolhapur: भगवान विष्णु की प्रिया मां लक्ष्मी को समर्पित है कोल्हापुर का महालक्ष्मी मंदिर। दीपावली पर विशेष पूजा का होता है महत्व। 51 शक्तिपीठों में 18 वां शक्तिपीठ है महालक्ष्मी मंदिर। महाराष्ट्र के कोल्हापुर में है मंदिर। ट्रेन या सड़क मार्ग् से पहुंचा जा सकता है आसानी से। मंदिर का राेचक इतिहास आइये जानते हैं।

महालक्ष्मी मंदिर कोल्हापुर

मुख्य बातें
  • 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ है महालक्ष्मी मंदिर
  • शक्तिपीठों में 18 वें स्थान पर है महालक्ष्मी मंदिर
  • शक्त संप्रदाय के अनुयायियों की है विशेष मान्यता


Mahalaxmi Mandir Kolhapur: महाराष्ट्र का प्राचीन शहर कोल्हापुर। कोल्हा असुर के नाम से पड़ा जिस शहर का नाम उस शहर को मां लक्ष्मी का विशेष वरदान है। कहा जाता है कि साक्षात मां लक्ष्मी यहां सदैव के लिए वास करती हैं। इसीलिए यहां स्थित महालक्ष्मी मंदिर का पुराणाें से लेकर आधुनिक समय तक में विशेष स्थान है। महालक्ष्मी मंदिर 51 शक्तिपीठों में 18 वां है। मंदिर का इतिहास जितना रोचक है उतनी ही अद्भुत है यहां की वास्तुकला। कहा जाता है कि मंदिर प्रांगण में स्थित खंबों की गिनती आज तक किसी भी वैज्ञानिक तक के बस की बात नहीं हो सकी है। आइये जानते हैं अद्भुत मंदिर की रोचक गाथा।

मंदिर के निर्माण का इतिहास

कोल्हापुर के महालक्ष्मी मंदिर का इतिहास चालुक्य काल लगभग 600 ईस्वी का है। इसी वंश के शासकों ने मंदिर का निर्माण कराया था। आठवीं शताब्दी में भूकंप ने मंदिर को थाेड़ा बहुत नुकसान पहुंचाया लेकिन ये मंदिर आज भी अपने गौरव की कहानी बयां करता है। मंदिर के पास ही देवी महाकाली और देवी सरस्वती के मंदिर भी स्थित हैं। मान्यता है कि यहां मां सती का तीसरा नेत्र गिरा था। कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर परिसर स्थित एक शिलालेख के अनुसार 18वीं शताब्दी में मराठा शासन काल में ढाबड़ों और गायकवाड़ों द्वारा इस मंदिर का नवीनीकरण कार्य किया गया था।सन 1941 में श्रीमंत जहांगीरदार बाबासाहेब घाटगे द्वारा यहां नवग्रह मंदिर में नौ ग्रहों की मूर्तियां स्थापित कीं गई थी।

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