Swami RamKrishna Paramhans: स्वामी राम कृष्ण परमहंस के जीवन की घटना, जब रानी के गाल तक पर जड़ दिया था थप्पड़
मां काली के परम भक्त थे स्वामी रामकृष्ण परमहंस। कहते हैं कि मां काली से वो बात किया करते थे। बहुत बार मां− मां कहके वो रोने लगते थे और अपनी सुध बुध खाे देते थे। रानी रासमणि उनसे भजन सुनते में किसी और बात की चिंता में ध्यान देने लगी थीं। इसी बात पर क्रोधित हुए थे स्वामी रामकृष्ण।
मां काली के परमभक्त स्वामी रामकृष्ण परमहंस।
- मां काली के परम भक्त थे स्वामी रामकृष्ण परमहंस
- माता की भक्ति में भूल जाते थे अपना अस्तित्व भी
- रानी रासमणि ने कराया था दक्षिणेश्वर काली मंदिर का निर्माण
Swami RamKrishna Paramhans: स्वामी रामकृष्ण परमहंस को कौन नहीं जानता। मां काली का न उनके जैसा भक्त कोइ हुआ है न ही होगा। उनकी भक्ति की पराकाष्ठा के किस्से तो बहुत से सुने गए हैं। बंगाल के इस महान संत के भक्तिमय जीवन का एक किस्सा एेसा भी है जो कुछ कम ही प्रकाश में आया। कलकत्ता के जान बाजार निवासी रानी रासमणि ने दक्षिणेश्वर में काली मंदिर बनवाया था। उस मंदिर में सेवा का कार्य स्वामी रामकृष्ण परमहंस ही देखते थे। रानी रासमणि स्वामी रामकृष्ण परमहंस की भक्तिमय सेवा देखकर उनके प्रति मन में सम्मान भी रखती थीं लेकिन इस बाद एेसा कुछ हुआ कि स्वामी रामकृष्ण ने रानी रासमणि पर हाथ उठा दिया था।
जब परमहंस ने रानी को जड़ा थप्पड़
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स्वामी रामकृष्ण परमहंस की अवस्था भक्ति और साधना की अधिकता से कुछ दिनों केलिए उन्मत्त की तरह हो गयी थी और वे काली की पूजा विधिवत न करके मनमाने ढंग से करते थे। इसलिए पूजा कार्य उनके भांजे हृदयानंद को सौंप दिया गया। स्वामी रामकृष्ण जब कभी मन में आता तो मंदिर में जाकर जैसे चाहते स्वतंत्र रूप से पूजा किया करते। एक दिन पूजा करने गए तो देवी के लिए जो फूल मालाएं रखी गयी थीं उनको ही अपने गले में पहन लियाऔर चंदन भी अपने शरीर पर लेप लिया, फिर समाधि में बैठ गए। मंदिद के अन्य कर्मचारी बहुत असंतुष्ट हुए और उनको मंदिर में जाने से रोकने की योजना करने लगे।
लेकिन रामकृष्ण को कोइ भी मंदिर जाने से रोकने का साहस नहीं कर सका। एक दिन वे पूजा करने गए तो देवी पर चढ़ाए जाने वाले विल्वपत्र उन्होंने मंदिर के सेवकों और अन्य पदर्थों के सम्मुख चढ़ा दिए। इस पर कर्मचारियों ने उनकी शिकायत मथुरा बाबू, रानी के मैनेजर से की। लेकिन वो स्वयं रामकृष्ण के शिष्य थे। तो उन्होंने भी किसी तरह का हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया। इसके बाद कर्मचारियों ने बढ़ा चढ़ाकर शिकायत रानी रासमणि तक पहुंचायी। उन्हें गुस्सा आया । वे खुद इस बात की जांच करने मंदिर पहुंची। उस समय स्वामी रामकृष्ण परमहंस भी मंदिर में ही बैठे थे। रासमणि का नियम थाकि जब वह मंदिर में आतीं तो उनके मुख से दो चार शक्ति विषयक भजन अवश्य सुनती थीं।
आज भी उसने ऐसी ही इच्छा प्रकट की और वे गाने लगे । पर अभाग्यवश रानी का मन गायन में न लगा और वह एक मुकदमे की बात साेचने लगीं। रामकृष्ण परमहंस देव ने उनके मन की बात को जानकर तुरंत एक थप्पड़ मारा और बहुत फटकारा। आस पास के लोग यह दृश्य देखकर भयभीत हो गए। पर आश्चर्य की बात कि रानी ने इस अपमान पर जरा भी क्रोध नहीं किया। बल्कि वह शाेकातुर हो मंदिर से बाहर चली गयीं।
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