प्रवचन: क्या मांस खाने से सच में पाप लगता है? जानिए इस पर क्या कहते हैं धर्म गुरु

Non Veg Khana Chahiye Ya Nahi: प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि किसी भी जीव को कष्ट नहीं पहुंचाना और उनकी सेवा करना ही सबसे बड़ी भगवान की सेवा है। इसलिए नॉनवेज खाने वालों को इस बात पर जरूर ध्यान देना चाहिए।

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क्या मांस खाने से सच में पाप लगता है?

Non Veg Khana Chahiye Ya Nahi: मांस खाना सही है या गलत? इसे लेकर लोगों के अलग-अलग मत हैं। कोई नॉन-वेज सेहत के लिए अच्छा मानता है तो कोई बुरा। लेकिन हिंदू धर्म ग्रंथों की बात करें तो उसमें मांस खाने के संबंध में स्पष्ट मना किया गया है। वेदों में पशु हत्या को पाप माना गया है और कहा गया है कि जो मनुष्य ऐसा करता है उसे नरक में भी जगह नहीं मिलती। गीता के अनुसार अन्न से ही मन के विचार बनते हैं। जो मनुष्य सात्विक भोजन करता है उसके विचार भी सात्विक रहते हैं। वहीं तामसिक भोजन करने वाले लोगों के विचार भी तामसिक हो जाते हैं। चलिए जानते हैं धर्म गुरुओं का इस पर क्या कहना है।

Non Veg Khana Chahiye Ya Nahi?

प्रेमानंद महाराज क्या कहते हैं?

किसी जीव को कष्ट नहीं पहुंचाना और उनकी सेवा करना ही भगवान की सबसे बड़ी सेवा है। इसलिए हम उन लोगों से प्रार्थना करते हैं जो मांस खाते हैं पशु-पक्षियों का। जैसा आपके लिए आपका शरीर प्रिय है ऐसे ही हर जीव का शरीर उसके लिए प्रिय है। ऐसे में अगर दूसरों का मांंस खाते हो तो ऐसे में आपकी दुर्गति पक्की है। आपके शरीर को भी ऐसा करने से बहुत कष्ट होगा पीड़ा होगी। (यह भी पढ़ें- नीम करोली बाबा से भक्तों ने पूछा कष्ट दूर करने का उपाय, बाबा बता गए ये तरीके)

जया किशोरी क्या कहती हैं?

मशहूर मोटिवेशनल स्पीकर और भजन गायिका जया किशोरी भी कहती हैं कि अपने स्वाद के लिए किसी की जान लेना सही नहीं है।

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सद्गुरु का क्या कहना है?

सद्गुरु कहते हैं कि एक जीवन के रूप में हमें पोषण करने का अधिकार है क्योंकि दुनिया में चक्र ही ऐसा है। लेकिन हमें ये अधिकार नहीं है कि हम निर्दयी होकर सिर्फ मजे के लिए किसी को मार डाले। हमें इस जीवन को पोषित करने का पूरा अधिकार है लेकिन किसी को मारकर मजा लेने का कोई हक नहीं है। शरीर को जिंदा रखने के लिए हमें किसी पल में जो कुछ खाना होगा हम खाएंगे।

बीके शिवानी की इस पर राय?

बीके शिवानी कहती हैं जैसा मन वैसा मन। स्वाद के लिए हिंसा का भोजन खाना गलत है। अगर मन साफ चाहिए तो अन्न का पवित्र होना जरूरी है। मांसाहारी खाने में प्रोटीन है पर उस खाने में किसी का दर्द, दुख और नफरत भी है। ऐसे में अपने को स्वाद देने के लिए या हेल्थ देने के लिए अगर किसी को मरना पड़ेगा तो ये किसी भी तरह से हमारे लिए ठीक नहीं है।

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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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