Ekadashi Vrat: एकादशी के व्रत में भूल से भी ना करें चावल का सेवन, जानिए धार्मिक और वैज्ञानिक कारण

Ekadashi Vrat: एकादशी के व्रत में जलीय तत्व वाले भाेज्य पदार्थ का सेवन करना होता है वर्जित। चावल की फसल में सबसे ज्यादा जल का प्रयोग होता है। मन सहित सभी एकादश इंद्रियों को वश में कर भक्ति में लगाने का दिन होता है एकादशी। जल तत्व चंद्रमा जो चंचल होता है उसे आकर्षित करता है।

Ekadashi Vrat

एकादशी व्रत में चावल का सेवन नहीं करना चाहिए

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • इंद्रियों की कुल संख्या होती है एकादश यानी 11
  • जलीय तत्व वाले भाेज्य पदार्थ एकाशी पर निषेध
  • चावल की खेती में होता है सबसे ज्यादा जल का प्रयोग

Ekadashi Vrat: एकादशी का व्रत वैष्णव संप्रदाय या कहें कृष्ण भक्तों के लिए सर्वोपरी होता है। ये व्रत दशमीं तिथि से आरंभ होता है और द्वादशी तिथि पर पारण कर पूरा माना गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि आत्मानं रथिनं विद्धि शरीरं रथमेव तु। बुद्धिं तु सारथि विद्धि येन श्रेयोहमाप्नुयाम। अर्थात आत्मा को रथी जानो, शरीर को रथ और बुद्धि को सारथी मानो। इनके संतुलित व्यवहार से ही श्रेष्ठता की प्राप्ति होती है। इसमें इंद्रियों का अश्व और मन का लगाम होना भी अंतनिर्हित है। ऋषियों ने अन्य मंत्रों में इसका भी जिक्र किया है। इस प्रकार दस इंद्रियों के बाद मन को भी ग्यारहवीं इंद्री शास्त्र ने माना है। इंद्रियों की कुल संख्या एकादश होती है।

एकादशी तिथि को मनः स्थिति का केंद्र चंद्रमा क्षितिज की एकादशवीं कक्षा पर अवस्थित होता है। यदि इस अनुकूल समय में मनोनिग्रह की साधना की जाए तो वह सदैव फलवती सिद्ध हो सकती है। इसी वैज्ञानिक आशय से ही एकादशेन्द्रियभूत मन को एकादशी तिथि के दिन धर्मानुष्ठान एवं व्रतोपवास द्वारा निग्रहित करने का विधान किया गया है। यदि एक पंक्ति में कहा जाए तो एकादशी व्रत करने का अर्थ है अपनी इंद्रियों पर निग्रह यानी नियंत्रण करना।

Budh Margi: धनु राशि में बुध हुए मार्गी, इन राशियों की बढ़ेगी सैलरी

एकादशी पर चावल है निषेध

एकादशी के दिन चावल न खाने के संदर्भ में यह जानना आवश्यक है कि चावल और अन्य अन्नों की खेती में क्या अंतर होता है। चावल की खेती में सबसे ज्यादा जल का प्रयोग हाेता है।

एकादशी का व्रत इंद्रियों सहित मन के निग्रह के लिए किया जाता है। ताे यह आवश्यक है कि उस वस्तु का कम से कम या बिल्कुल नहीं उपयोग किया जाए, जिसमें जलीय तत्व की मात्रा अधिक होती है। इसके पीछे कारण है कि चंद्र का संबंध जल से है। वह जल को अपनी ओर आकर्षित करता है। यदि व्रती चावल का भाेजन करे तो चंद्रकिरणें उसके शरीर के संपूर्ण जलीय अंश को तरंगित करेंगी। परिणाम स्वरूप मन में विक्षेप और संशय का जागरण होगा। इस कारण व्रती अपने व्रत से गिर जाएगा या जिस एकाग्रता से उसे व्रत के अन्य कर्म स्तुति पाठ, जप, श्रवण एवं मननादि करने थे, उन्हें सही प्रकार से नहीं कर पाएगा। इसलिए इस व्रत में चावल निषेध माना गया है।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल

लेटेस्ट न्यूज

टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल author

अक्टूबर 2017 में डिजिटल न्यूज़ की दुनिया में कदम रखने वाला टाइम्स नाउ नवभारत अपनी एक अलग पहचान बना चुका है। अपने न्यूज चैनल टाइम्स नाउ नवभारत की सोच ए...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited