Rishi Panchami Puja Vidhi In Hindi: ऋषि पंचमी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, कथा और आरती सबकुछ यहां जानें
Rishi Panchami 2023 Date And Puja Vidhi: ऐसी मान्यता है कि अगर ऋषि पंचमी व्रत सच्ची आस्था और निष्ठा के साथ किया जाये तो इंसान के जीवन की सारी दिक्कतें दूर हो जाती हैं। यहां जानिए ऋषि पंचमी पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, कथा, आरती और महत्व।

Rishi Panchami Puja Vidhi
Rishi Panchami 2023 Date And Puja Vidhi: प्रत्येक वर्ष गणेश चतुर्थी के अगले दिन ऋषि पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं। हिन्दू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन व्रत रखने से महिलाओं को मनचाहे फल की प्राप्ति होती है। इसके अलावा इस व्रत को करने से अनजाने में भी की गयी गलतियों से मुक्ति मिल जाती है। ऋषि पंचमी को कई जगहों पर भाई पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत में सप्त ऋषियों की पूजा का की जाती है। इस बार ऋषि पंचमी 20 सितंबर को पड़ी है (Rishi Panchami Vrat Katha)। यहां जानिए ऋषि पंचमी की पूजा विधि (Rishi Panchami Ki Puja Vidhi), मंत्र, कथा, आरती, मुहूर्त विस्तार से।
Rishi Panchami Vrat Katha In Hindi
ऋषि पंचमी शुभ मुहूर्त 2023 (Rishi Panchami Puja Shubh Muhruat 2023)
ऋषि पञ्चमी पूजा मुहूर्त - 10:59 ए एम से 01:25 पी एम
अवधि - 02 घण्टे 26 मिनट्स
पञ्चमी तिथि प्रारम्भ - 19 सितंबर 2023 को 03:13 पी एम बजे
पञ्चमी तिथि समाप्त - 20 सितंबर 2023 को 03:46 पी एम बजे
ऋषि पंचमी पूजन सामग्री (Rishi Panchami 2023 Puja Samagri)
इस दिन सप्त ऋषि बनाकर दूध, दही, घी, शहद और जल से अभिषेक किया जाता है। साथ ही इस पूजा में जरूरी सामान है- रोली, चावल, धूप, दीप, श्रीफल यानी नारियल, पान, हल्दी की गांठ, पवित्र जल, पंचामृत, सफेद चंदन, केले के पत्ते, लौंग, आम के पत्ते, मट्टी का कलश, चावल, मिट्टी का दीपक, रूई की बत्ती, चौक, आटा, कपूर, इलायची, रोली, मौली, सात पूजा सुपारी, 7 तरह का नैवेद्य, मूंगफली आठ, किसमिस आठ, छुआरा आठ, काजू आठ, मखाने आठ, बादाम आठ, केले आठ।
ऋषि पंचमी पूजा मंत्र (Rishi Panchami Puja Mantra)
कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोय गौतम:। जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषय: स्मृता:।।
गृह्णन्त्वर्ध्य मया दत्तं तुष्टा भवत मे सदा।।
ऋषि पंचमी पूजा विधि (Rishi Panchami Puja Vidhi)
- इस दिन सुबह स्नानादि करने के बाद पूजा की तैयारी करें।
- पूजा के लिए सात ऋषियों के साथ देवी अरुंधती की स्थापना करनी चाहिए।
- संंभव हो तो पूजा में हलके पीले रंग के वस्त्र पहनें।
- पूजा शुरू करने से पहले पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव कर लें और अगरबत्ती या धूप बत्ती जलाएं।
- फिर सप्त ऋषियों की तस्वीर के सामने जल से भरा हुआ कलश रख दें।
- सप्त ऋषि को धूप-दीपक दिखाएं और उन्हें पीले फल-फूल की मिठाई अर्पित करें।
- साथ ही सप्त ऋषियों से अपनी किसी भी गलती की माफी मांग लें।
- इस पूजा में कथा कहना या सुनना अनिवार्य है इसलिए ऋषि पंचमी की कथा जरूर सुनें।
- अंत में ऋषि पंचमी की आरती करें और सभी लोगों में प्रसाद वितरित करें।
ऋषि पंचमी आरती (Rishi Panchami Aarti)
ॐ जय -जय शान्तपते , प्रभु जय -जय शान्तपते ।
पूज्य पिता हम सबके, तुम पालन करते । ॐ जय ...
शान्ता संग विराजे, ऋषि श्रृंग बलिहारी । प्रभु......
जस गिरिजा संग सोहे, भोले त्रिपुरारी । ॐ जय ....
लोमपाद की रजधानी में, जब दुर्भिक्ष परयो । प्रभु.....
वृष्टि हेतु बुलवाये, जाय सुभिक्ष करयो । ॐ जय .....
महायज्ञ पुत्रेष्ठी, दशरथ घर कीनो । प्रभु.....
प्रकट भये प्रतिपाला, दीन शरण लीनो । ॐ जय .....
शीश जटा शुभ सोहे, श्रृंग एक धरता । प्रभु......
सकल शास्त्र के वेत्ता, हम सबके करता । ॐ जय .....
सब बालक हम तेरे, तुम सबके स्वामी । प्रभु......
शरण गहेंगे तुमरी, ऋषि तव अनुगामी । ॐ जय ......
विनय हमारी तुमसे, सब पर कृपा करो । प्रभु....
विद्या बुद्धि बढ़ाओ,उज्ज्वलभाव भरो । ॐ जय .....
हम संतान तुम्हारी, श्रृद्धा चित्त लावें । प्रभु.....
मंडल आरती ऋषि श्रृंग की, प्रेम सहित गावें ॐ जय .....
ऋषि पंचमी व्रत का महत्व (Rishi Panchami Mahatva)
इस व्रत को करने से मनचाही इच्छा पूरी होती है। इसके अलावा अविवाहित युवतियों के लिए यह व्रत विशेष फलदायी माना जाता है। ये व्रत जाने अनजाने में हुई गलतियों से भी मुक्ति दिलाता है। इस दिन हल से जोते हुए किसी भी अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए।
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