Rishi Panchami Vrat Katha, Aarti: ऋषि पंचमी की व्रत कथा और आरती, इसे पढ़ने से हर पाप से मिलेगी मुक्ति

Rishi Panchami Vrat Katha In Hindi: कहते हैं ऋषि पंचमी का व्रत रखने से बड़े से बड़े पापों से मुक्ति मिल जाती है। हिंदू धर्म में इस व्रत को बेहद कल्याणकारी माना गया है। चलिए जानते हैं ऋषि पंचमी की व्रत कथा।

Rishi Panchami Ki Katha

Rishi Panchami Vrat Katha In Hindi (ऋषि पंचमी की व्रत कथा pdf): ऋषि पंचमी का पावन पर्व इस साल 8 सितंबर को मनाया जा रहा है। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 3 मिनट से दोपहर 1 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं सप्त ऋषियों की पूजा करती हैं और उनसे जाने अनजाने में हुए पापों की मुक्ति की कामना करती हैं। व्रत रखने वाली महिलाओं के लिए ऋषि पंचमी की कथा पढ़ना अनिवार्य माना गया है। यहां देखें ऋषि पंचमी की व्रत कथा।

ऋषि पंचमी व्रत कथा pdf (Rishi Panchami Vrat Katha In Hindi)

ऋषि पंचमी की पौराणिक कथा अनुसार विदर्भ देश में उत्तंक नामक के एक सदाचारी ब्राह्मण देव रहते थे। जिनकी पत्नी बड़ी पतिव्रता थी, जिनका नाम सुशीला था। उस ब्राह्मण का एक पुत्र और एक पुत्री थी। कुछ समय बाद उन्होंने अपनी कन्या का विवाह कर दिया। लेकिन कुछ दिनों बाद वह कन्या विधवा हो गई। दुःखी ब्राह्मण दम्पति अपनी कन्या सहित गंगा तट पर कुटिया बनाकर रहने लगे।
एक दिन जब ब्राह्मण कन्या सो रही थी तो अचानक से उसका शरीर कीड़ों से भर गया। जब मां को पता चला तो उन्होंने अपने पति से सब कहते हुए पूछा: प्राणनाथ! मेरी साध्वी कन्या की ये स्थिति होने का क्या कारण है? उत्तंक जी ने उस समय समाधि द्वारा इस घटना का पता लगाकर बताया कि पूर्व जन्म में भी यह कन्या ब्राह्मणी ही थी। इसने माहमारी होते ही भी बर्तन छू दिए थे। इसे पाप से मुक्ति के लिए उसने उस समय के साथ इस जन्म में भी कोई उपाय नहीं किया। इसलिए इसके शरीर में कीड़े पड़े हैं।
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