Rock Crystal Beads Benefits: तुरंत सिद्धि देती है स्फटिक की माला, कहा जाता है इस मणि में भगवान का वास

स्फटिक को हीरे का उपरत्न माना गया है वहीं पुराणों में इसे मणि की संज्ञा प्राप्त है। इसके प्रयोग से बने शिवलिंग और मूर्तियों को स्थापित करने के लिए प्राण प्रतिष्ठा की भी जरूरत नहीं पड़ती। मां लक्ष्मी, सरस्वती और गायत्री के मंत्र इस माला पर करने से जल्दी सिद्ध होते हैं।

rock crystal beads benefits.

स्फटिक उपरत्न है रत्नों से अधिक प्रभाव वाला।

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • हीरे का उपरत्न होता है स्फटिक मणि
  • सबसे ज्यादा शुद्ध और सिद्ध है स्फटिक
  • आध्यात्म, मानसिक और सेहत में लाभकारी
Rock Crystal Beads Benefits: शास्त्रों जिस उपरत्न को मणि की संज्ञा दी गयी है उसका नाम है स्फटिक। मान्यता है कि इस उपरत्न में भगवान वास करते हैं। इसके बनाए गए धा धार्मिक खंडों की पूजा अर्चना का विशेष महत्व बताया गया है। इतना ही नहीं ये मणि सेहत के लिए भी वरदान है। ये शरीर में खून को बैलेंस रखता है। मानसिक शांति देता है। वहीं आध्यात्मिक दृष्टि से इसकी माला पर जप करने से सिद्धियों की प्राप्ति भी हाेती है। आइये जानते हैं स्फटिक की विशेषता और इसकी माला के प्रयोग के बारे में....

क्या स्फटिक की विशेषता

स्फटिक को हीरे का उपरत्न माना गया है, इसलिए इसे शुक्र रत्न भी कहते हैं। स्फटिक को कांचमणि, बिल्लौर, बर्फ का पत्थर और अंग्रेजी में रॉक क्रिस्टल कहा जाता है। यह एक पारदर्शी रत्न है। इसे स्फटिक मणि भी कहा जाता है। स्फटिक पहाड़ों पर बर्फ के नीचे छोटे−छोटे टुकड़ों के रूप में पाया जाता है, यह बर्फ के समान पारदर्शी पन लिये सफेद रंग का होता है। उपरत्न होते हुए भी इसका प्रभाव रत्नों से अधिक होता है। रत्नों से अधिक महत्वपूर्ण होने के कारण इसे मणि की संज्ञा दी गयी है। स्फटिक पत्थर को काट− तराश कर विभिन्न प्रकार की माला, शिवलिंग, श्रीयंत्र, भगवान की मूर्तियां और लॉकेट आदि बनाए जाते है। यह कटिंग और पॉलिस के बाद बहुत ही आकर्षक दिखता है। इसके प्रयोग से बनी मूर्तियों और शिवलिंग को विराजमान करने के लिए प्राण प्रतिष्ठा की जरूरत भी नहीं पड़ती।
स्फटिक का आध्यात्म में महत्व
स्फटिक की माला बहुत शुद्ध और आध्यात्मिक शीतवयी मानी जाती है। स्फटिक की माला पर किसी भी मंत्र का जाप करने से वह मंत्र अति शीघ्र सिद्ध हो जाता है और यह असाधारण रूप से विशेष फलदायी और सर्वोत्तम मानी जाती है। इस माला पर लक्ष्मी, सरस्वती, दुर्गा और गायत्री माता के मंत्र का जाप करने से तुरंत सिद्धि की प्राप्ति होती है। स्फटिक की माला को धारण करने के लिए किसी तरह का बंधन नहीं है। स्फटिक शिवलिंग व मेरू श्री यंत्र केे पूजा एवं दर्शन से ही सभी दुख दूर हो जाते हैं। शुक्र की दशा होने पर जो व्यक्ति हीरा नहीं पहन सकते उन्हें स्फटिक की 109 दाने की माना पहननी चाहिए।
सेहत के लिए लाभकारी स्फटिक
स्फटिक क्यों पहाड़ों पर पाया जाता है इसलिए इसकी तासीर ठंडी होती है। इसकी माला धारण करने से यह शरीर की गर्मी को खत्म करके अनेक प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्टों को समाप्त करती है। गर्म स्वाभाव वाले या बात बात पर गुस्सा करने वाले करने वाले व्यक्तियों के क्राेध काे शांत करके उन्हें असीम सुख का अनुभव कराती है। यह खून की गर्मी से होने वाले रोगों में लाभकारी होती है।
डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्‍स नाउ नवभारत इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है।
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