Rudrabhishek Samagri, Vidhi, Mantra: रुद्राभिषेक पूजा विधि, मंत्र, सामग्री लिस्ट, महत्व समेत सबकुछ यहां जानें
Rudrabhishek Puja Vidhi In Hindi: महाशिवरात्रि पर रुद्राभिषेक पूजा कराना बेहद शुभ माना जाता है। यहां हम आपको बताएंगे रुद्राभिषेक कराने की संपूर्ण विधि।

Sawan 2024 Rudrabhishek Vidhi In Hindi
Rudrabhishek Puja At Home, Ghar Par Rudrabhishek Kaise Karen (रुद्राभिषेक पूजा संपूर्ण विधि): शास्त्रों में कहा गया है “रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र:” यानि भगवान शिव सभी दुखों को हरकर उनका नाश कर देते हैं। इसलिए हिंदू धर्म में शिव शंकर जी की पूजा का विशेष महत्व माना गया है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति शिव जी का रुद्राभिषेक कराता है उसके समस्त दुखों का नाश हो जाता है। रुद्राभिषेक के माध्यम से मनवांछित फल की प्राप्ति की जा सकती है। यहां देखें रुद्राभिषेक की सामग्री, विधि, मंत्र और महत्व।
रुद्राभिषेक का अर्थ (Rudrabhishek Meaning)
रुद्राभिषेक का अर्थ है भगवान रूद्र यानी शिव जी का अभिषेक करना और शिव का रूप शिवलिंग में देखा जाता है। इसलिए रुद्राभिषेक पूजा में शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है। रुद्राभिषेक शहद, दूध, घी, दही, गंगाजल, गन्ने का रस, दूर्वा मिश्रित जल किसी से भी कर सकते हैं।
रुद्राभिषेक कितने प्रकार के होते हैं?
रुद्राभिषेक कब कराना चाहिए (Rudrabhishek Kis Din Karna Chahiye)
धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव सदैव इस ब्रह्माण्ड के चक्कर लगाते रहते हैं, इसलिए जब उनकी उपस्थिति शुभ काल में हो तभी रुद्राभिषेक करना चाहिए। खासतौर से शिव जी का रुद्राभिषेक कराने के लिए सावन महीना और महाशिवरात्रि का दिन सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है।
रुद्राभिषेक पूजा सामाग्री (Rudrabhishek Puja Samagri)
- शुद्ध जल
- घी
- पान
- सुपारी
- गन्ने का रस
- दूध
- दही
- शहद
- गुलाबजल
- नारियल
- दीपक
- बत्ती
- अगरबत्ती
- कपूर
- श्रृंगी
- बिल्वपत्र
- धुप
- मौली
- भांग
- मेवा
- मिठाई
- धतूरा
रुद्राभिषेक कितने प्रकार से किया जा सकता है (Types Of Rudrabhishek)
- जल से अभिषेक
- दही से अभिषेक
- दूध से अभिषेक
- शहद से अभिषेक
- पंचामृत से अभिषेक
- घी से अभिषेक।
- गन्ने के रस से अभिषेक
- गंगाजल से अभिषेक
- शक्कर से अभिषेक
- भांग से अभिषेक
- भस्म से अभिषेक
रुद्राभिषेक पूजा की विधि (Rudrabhishek Puja Vidhi)
- रुद्राभिषेक पूजा में शिवलिंग की पूजा की जाती है।
- रुद्राभिषेक पूजा में शिवलिंग की स्थापना उत्तर दिशा में करें।
- वहीं रुद्राभिषेक के समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
- शिवलिंग के पास पूर्व दिशा में एक चौकी लगाएं। जिस पर साफ कपड़ा बिछाकर गणेश जी और नवग्रहों की फोटो रखें।
- रुद्राभिषेक शुरू होने से पहले पूजन सामग्री तैयार कर लें।
- रुद्राभिषेक में शिवलिंग का जलाभिषेक करने से पहले भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है।
- इस दौरान भगवान गणेश को तिलक, चावल, फूल, नैवेद्य, दूर्वा और दक्षिणा चढ़ाएं।
- इसके बाद नवग्रह की पूजा करें।
- अब भगवान शंकर की पूजा आरंभ करें।
- शिवलिंग को गंगाजल से स्नान करवाएं और रुद्राभिषेक शुरू करें।
- फिर आचमनी से गन्ने का रस, दही, दूध यानी पंचामृत समेत जितने भी तरल पदार्थ हैं उन सभी से शिवलिंग का अभिषेक करें।
- इसके अलावा भगवान शिव का अभिषेक करते समय मन में लगातार महामृत्युंजय मंत्र, ओम नमः: शिवाय या रुद्राष्टकम मंत्र का जाप करते रहें।
- फिर शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाएं और पान का पत्ता, बेलपत्र आदि चीजें शिवजी को अर्पित करें।
- ध्यान रहे कि शिवलिंग पर बिल्वपत्र चढ़ाने से पहले उन पर चन्दन से ॐ या राम नाम लिख लेना है।
- रुद्राभिषक पूजा में कई मंत्रों का उच्चारण होता है। इसलिए सलाह है कि ये पूजा अनुभवी पंडित से ही कराएं। लेकिन यदि आप स्वयं ही रुद्राष्टाध्यायी का पाठ कर सकते हैं तो इस पूजा को आप खुद भी कर सकते हैं।
- अंत में शिवजी को प्रसाद चढ़ाएं और सपरिवार शिव जी की आरती करें।
- आरती के बाद पूजा के समय शिवलिंग पर अर्पित किया जाने वाला जल या अन्य द्रव्यों को सभी जनों पर छिड़क दें और उन्हें ये पवित्र जल प्रसाद स्वरूप पीने को भी दें।
रुद्राभिषेक मंत्र (Rudrabhishek Mantra)
रुद्राभिषेक करते समय विशेष रूप से "रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र:" मंत्र का जाप करना विशेष फलदायी माना जाता है। साथ ही इस दौरान नीचे दिए श्लोकों का जाप करना उत्तम माना जाता है।
- ॐ नम: शम्भवाय च मयोभवाय च नम: शंकराय च मयस्कराय च नम: शिवाय च शिवतराय च ॥
- ईशानः सर्वविद्यानामीश्व रः सर्वभूतानां ब्रह्माधिपतिर्ब्रह्मणोऽधिपति ब्रह्मा शिवो मे अस्तु सदाशिवोय् ॥
- तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
- अघोरेभ्योथघोरेभ्यो घोरघोरतरेभ्यः सर्वेभ्यः सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररुपेभ्यः॥
- वामदेवाय नमो ज्येष्ठारय नमः श्रेष्ठारय नमो
- रुद्राय नमः कालाय नम: कलविकरणाय नमो बलविकरणाय नमः
- बलाय नमो बलप्रमथनाथाय नमः सर्वभूतदमनाय नमो मनोन्मनाय नमः॥
- सद्योजातं प्रपद्यामि सद्योजाताय वै नमो नमः।
- भवे भवे नाति भवे भवस्व मां भवोद्भवाय नमः॥
- नम: सायं नम: प्रातर्नमो रात्र्या नमो दिवा।
- भवाय च शर्वाय चाभाभ्यामकरं नम:॥
- यस्य नि:श्र्वसितं वेदा यो वेदेभ्यो खिलं जगत्।
- निर्ममे तमहं वन्दे विद्यातीर्थ महेश्वरम्॥
- त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिबर्धनम् उर्वारूकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात् ॥
- सर्वो वै रुद्रास्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु। पुरुषो वै रुद्र: सन्महो नमो नम:॥
- विश्वा भूतं भुवनं चित्रं बहुधा जातं जायामानं च यत्। सर्वो ह्येष रुद्रस्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु ॥
रुद्राभिषेक पूजा के लाभ (Rudrabhishek Puja Benefits)
- रुद्राभिषेक करने से भगवान भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
- इससे अकाल मृत्यु और लंबी बीमारी का डर खत्म हो जाता है।
- रुद्राभिषेक के मंत्र इतने शक्तिशाली होते हैं कि इनके जप से घर से नकारात्मकता ऊर्जा दूर हो जाती है।
- रुद्राभिषेक करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
- भगवान रूद्र में सभी देवताओं का वास माना जाता है इसलिए जब रुद्राभिषेक करते है तो हमें सभी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त हो जाता है।
- रुद्राभिषेक कराने से कालसर्प दोष के बुरे प्रभाव से भी मुक्ति मिल जाती है।
रुद्राभिषेक क्यों कराया जाता है (Rudrabhishek Kyu Kiya Jata Hai)
“सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका:। रुद्रात्प्रवर्तते बीजं बीजयोनिर्जनार्दन:। यो रुद्र: स स्वयं ब्रह्मा यो ब्रह्मा स हुताशन:।ब्रह्मविष्णुमयो रुद्र अग्नीषोमात्मकं जगत्।।” इसका श्लोक का अर्थ है कि सभी देवताओं में रूद्र समाहित हैं। ब्रह्मा, विष्णु और महेश सभी रूद्र के ही अंश माने जाते हैं। इसलिए ऐसा माना जाता है कि रुद्राभिषेक के द्वारा सभी देवताओं की पूजा अर्चना एक साथ हो जाती है। रुद्राभिषेक के समय श्रद्धालु अपनी विभिन्न कामनाओं की पूर्ति के लिए भिन्न प्रकार के द्रव्यों को शिवलिंग पर चढ़ाते हैं। धार्मिक मान्यताओं अनुसार रुद्राभिषेक पूजा करने से व्यक्ति की समस्त मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं। कहते हैं भगवान राम ने भी रावण पर विजय प्राप्त करने से पहले रामेश्वर में रुद्राभिषेक पूजा की थी।
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