Rudraksha: कैसे पहचानें असली रुद्राक्ष को और क्या है इसे धारण करने का सही तरीका?

Rudraksha: रुद्राक्ष की फसल सबसे ज्यादा होती है इंडोनेशिया में लेकिन नेपाल के रुद्राक्ष को ज्यादा पसंद किया जाता है। 1,9, और 21 मुखी रुद्राक्ष महंगे होते हैं। आइये जानते हैं रुद्राक्ष को धारण करने से पहले किन-किन बातों को ध्यान रखना है जरूरी और इसे धारण करने से क्या-क्या लाभ मिल सकते हैं।

Rudraksha

रुद्राक्ष धारण से पहले जानें जरूरी बातें

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • मन को शांति प्रदान करता है रुद्राक्ष
  • शुभ मुहूर्त देखकर धारण करें रुद्राक्ष
  • 1,9, 21 मुखी रुद्राक्ष होते हैं महंगे

Rudraksha: विश्व में सबसे अधिक रुद्राक्ष इंडोनेशिया में होती है और उसके बाद नेपाल, अफ्रीका, जावा, सुमात्रा, मलेशिया , भूटान और भारत में होता है। रुद्राक्ष का सीधा सा कार्य मानसिक शांति प्रदान करना है। इसकी अपनी एक चुम्बकीय शक्ति होती है, जो ब्लड प्रेशर संतुलित कर हृदय को मजबूती प्रदान करता है। सिर्फ इतना ही नहीं रुद्राक्ष एक्यूप्रेशर का कार्य भी करता है। इसके उठे एक नोंक−उंगलियों को उचित दबाव देते हैं, जिससे हृदय को बल मिलता है। आइये आपको बताते हैं असली रुद्राक्ष की पहचान करने का सही तरीका और इसे धारण करने की सही विधि।

कैसे पहचानें असली रुद्राक्ष?

रुद्राक्ष में छेद नहीं होता बल्कि वृक्ष से तोड़ने के बाद किया जाता है। इनके छिलके मजबूत होते हैं, जिसे एक विशेष प्रकिया के द्वारा उतारा जाता है। असली या नकली पहचान के लिए रुद्राक्ष के दाने को सुई से कुरेदा जाता है, कुरेदने पर रेखा निकले तो लकड़ी या कैमिकल इसके बाद गौर से देखने पर आपको पता चलेगा कि रुद्राक्ष के दाने में जो उभरे हुए पठार से हैं, उनसे असली और नकली में अंतर दिखेगा। नकली में आकृतियां, जैसे शिवलिंग, त्रिशूल, सांप, योनि आदि स्पष्ट दिखायी देंगे, जबकि असली में ये आकृतियां नहीं दिखेंगी। जिस प्रकार फिंगर प्रिंट्स अलग अलग होते हैं, उसी प्रकार रुद्राक्ष के उठे हुए पठारों की बनावट भी दो रुद्राक्ष में भिन्न होती है।

रुद्राक्ष के मुख या जोड़ों को लेकर किसी तरह का संशय हो तो एक कटोरे में पानी को उबालिये जब पानी उबलने लगे तब रुद्राक्ष को उबलते हुए पानी में एक मिनट तक रखें और एक मिनट बाद कटोरे को चूल्हे से उतार कर एक मिनट के लिए ढक्कन से ढक दें। अब रुद्राक्ष दाना निकाल लें और गौर से दाने को देखें। यदि दाने के मुख को जोड़−जोड़कर बनाया होगा तो वे जितनी फांकें जोड़ी होगी वो फट जाएगी और जोड़ को जोड़ने वाला सोल्यूशन भी दिखेगा। अन्यथा प्राकृतिक तौर पर थोड़े या ज्यादा फटे हुए रुद्राक्ष को यदि डालेंगे तो वे और भी फट जाएगा।

Story of Avatar: पहले अवतार से जुड़ी है भगवान के दूसरे अवतार की कथा, धरती की इस तरह की थी रक्षा

प्राण प्रतिष्ठा मंत्र

ऊं त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्द्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।

ऊं हौं अघोरे घोरे हूं घोरतरे हूं।

ऊं हीं श्री सर्वतः सवड़िग नमस्ते रुद्ररूपे हुम।।

रुद्राक्ष धारण करने की विधि क्या है?

पद्म पुराण के आधार पर रुद्राक्ष धारण करने के लिए उसे पंचगव्य और पंचामृत से स्नान कराना चाहिए लेकिन यदि पंचगव्य का हिसाब न बैठ पाए तो पंचामृत अनिवार्य है। प्राण प्रतिष्ठा का मंत्र नौ बार पढ़ें। फिर रुद्राक्ष के अभीष्ट मंत्र की माला फेरकर रुद्राक्ष धारण करें।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल

लेटेस्ट न्यूज

टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल author

अक्टूबर 2017 में डिजिटल न्यूज़ की दुनिया में कदम रखने वाला टाइम्स नाउ नवभारत अपनी एक अलग पहचान बना चुका है। अपने न्यूज चैनल टाइम्स नाउ नवभारत की सोच ए...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited