छह और सात मुखी रुद्राक्ष: बीमारियों से बचाव और जीवन में उन्नति का छिपा है राज

Rudraksha: छह मुखी रुद्राक्ष को माना गया है भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय की शक्ति का केंद्र बिंदु। सात मुखी रुद्राक्ष धारण करने से सप्त ऋषि गुरु सत्ताओं का मिलता है आशीर्वाद। रुद्राक्ष घर में रखने से और नित्य पूजा करने से रहता है सदैव ही लक्ष्मी जी का वास। नेपाली रुद्राक्ष होते हैं अच्छे, मिल जाते हैं आसानी से भी।

छह और सात मुखी रुद्राक्ष

छह मुखी रुद्राक्ष पर होती हैं छह धारियां।

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • रुद्राक्ष की पूजा करने से घर में रहता है लक्ष्मी का वास
  • सात मुखी रुद्राक्ष सप्त ऋषियों का स्वरूप माना जाता है
  • छह मुखी रुद्राक्ष को कहते हैं कार्तिकेय की शक्ति का केंद्र

Rudraksha: धार्मिक पौराणिक ग्रंथाें में रुद्राक्ष को अध्यात्म के लिए महत्वपूर्ण बताया गया है तो वैज्ञानिक दृष्टि से रुद्राक्ष धारण करने मात्र से विभिन्न रोगों में फायदा मिलने लगता है। रुद्राक्ष को सभी मालाओं में श्रेष्ठ माना गया है। मान्यता है कि रुद्राक्ष की पूजा अर्चना करने से लक्ष्मी जी का वास हमेशा रहता है। घर में अन्न, वस्त्र या अन्य किसी भी प्रकार की कमी नहीं रहती है। आज हम आपको छह और सात मुखी रुद्राक्ष के चमत्कारी लाभ के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।

छह मुखी रुद्राक्ष का महत्व

छह मुखी रुद्राक्ष पर छह धारियां होती हैं। छह मुखी रुद्राक्ष शिवजी के पुत्र कुमार कार्तिकेय की शक्ति का केंद्र बिंदु है। यह विद्या, ज्ञान, बुद्धि का प्रदाता है। छह मुखी रुद्राक्ष पढ़ने वाले छात्रों, बौद्धिक, कार्य करने वालों को बल प्रदान करता है। यह विद्या अध्ययन में अद्भुत शक्ति देता है। छह मुखी रुद्राक्ष के विषय में कहा जाता है कि यह हर प्रकार की बुराइयों काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद को नष्ट करता है। इसके धारण करने से मनुष्य की खोई हुई शक्तियां जागृत होती हैं, स्मरण शक्ति प्रबल होती है और बुद्धि का विकास अति तीव्र गति से होता है। यह धारक को आत्म शक्ति, संकल्प शक्ति, ज्ञान शक्ति, अध्ययन शक्ति, रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है। इसको पहनने से मनुष्य वाक्पटु बनता है। इसके धारण करने से अनेक प्रकार के चर्मरोग, हृदय की दुर्बलता और नेत्र रोग दूर होते हैं। यह दरिद्रता का नाश करता है। छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाला व्यक्ति शिक्षा, काव्य, व्याकरण, छंद, ज्योतिषाचार्य, चारों वेद, रामायण तथा महाभारत आदि ग्रंथाें का विद्वान हो सकता है। इसके पहनने से सुख सुविधा की अवश्य ही प्राप्ति होती है।

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सात मुखी रुद्राक्ष का महत्व

सात मुखी रुद्राक्ष के उपर सात धारियां होती हैं। सात मुखी रुद्राक्ष सप्त ऋषियों का स्वरूप है। ऋषिजन हमेशा संसार के कल्याण में कार्यरत रहते हैं, अतः मुखी रुद्राक्ष धारण करने से सप्त ऋषियों का सदा आशीर्वाद रहता है, जिससे मनुष्य का सदा कल्याण हाेता है। इसके साथ ही यह सात माताओं ब्रह्माणी, माहेश्वरी, कौमारी, वैष्णवी, इंद्राणी, चामुंडा का मिश्रित स्वरूप भी है। इन माताओं के प्रभाव से यह पूर्ण ओज, तेज, ज्ञान, बल और सुरक्षा प्रदान करके आर्थिक, शारीरिक और मानसिक विपत्तियाें को दूर करता है। यह उन सात आवरणाें पृथ्वी, जल, वायु, आकाश, अग्नि, महत्व और अहंकार का भी दोष मिटाता है जिससे मानव शरीर निर्मित होता है। सात मुखी रुद्राक्ष धन संपत्ति, कीर्ति और विजय श्री प्रदान करने वाला होता है। इसे धारण करने से धन लाभ, व्यापार और नौकरी में उन्नति होती है। यह रुद्राक्ष सात शक्तिशाली नागों का भी प्रिय है। सात मुखी रुद्राक्ष साक्षात अनंग स्वरूप है। अनंग को कामदेच के नाम से भी जाना जाता है, इसलिए इसको धारण करने से मनुष्य स्त्रियों के आकर्षण का केंद्र बना रहता है और पूर्ण स्त्री− सुख मिलता है। इसको धारण करने से स्वर्ण चोरी के पाप से मुक्ति मिलती है।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्‍स नाउ नवभारत इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है।)

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