Geeta Jayanti 2022: श्रीमद्भागवत गीता घर में है तो इन बातों का रखें ध्यान, एक गलती बढ़ा सकती है परेशानी
Geeta jayanti 2022: हिंदू धर्म में श्रीमद्भागवत गीता ही एक ऐसा ग्रंथ है, जिसकी जयंती मनाई जाती है। इस साल यह जयंती 4 दिसंबर को मनाई जाएगी। श्रीमद्भागवत गीता एक पवित्र ग्रंथ है, अगर आप इसे अपने घर में रखते हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। गीता को घर में गलत तरीके से रखने पर अशुभ परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
घर में रखा है श्रीमद्भागवत गीता तो इन बातों का रखें विशेष ध्यान
- हर साल अगहन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है गीता जयंती
- हिन्दू धर्म के सभी ग्रंथों में श्रीमद्भागवत गीता को सबसे पवित्र माना जाता है
- घर में श्रीमद्भागवत गीता को स्थापित करने पर मानने पड़ते हैं कुछ जरूरी नियम
घर की पवित्रता का रखें ध्यान
घर में श्रीमद्भागवत गीता रखने पर इसकी पवित्रता का विशेष ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है। अगर आप भी अपने घर में श्रीमद्भागवत गीता रखना चाहते हैं, तो घर में समय-समय पर साफ-सफाई करते रहें। साथ ही तामसिक चीजें जैसे मांस-मदिरा घर में नहीं लाएं। जहां पर ये रखा हो, वहां पर जूते-चप्पल या चमड़े का कोई भी सामान नहीं लेकर जाएं।
गीता को जमीन पर न रखें
श्रीमद्भागवत गीता को एक पवित्र ग्रंथ माना जाता है। इसे जमीन पर या ऐसी जगह पर न रखें, जो दूषित हो। इसे हमेशा काठ यानी लकड़ी के स्टैंड पर रखें। शास्त्रों में भी लिखा है कि किसी भी धर्म ग्रंथ को जमीन पर रखना अशुभ होता है। ऐसा करने से जीवन में कठिनाई आ सकती है।
नहाए बिना गीता को न छुएं
श्रीमद्भागवत गीता को गलती से भी बिना नहाए हाथ न लगाएं। ऐसा करना महापाप माना होता है। कहा जाता है कि मंदिर या पूजा स्थान की सफाई करने से पहले भी स्नान करना चाहिए। इसके बाद दोबारा फिर स्नान कर सकते हैं।
अध्याय को अधूरा न छोड़े
श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करते समय अध्याय को अधूरा न छोड़े, पूरा अध्याय करने के बाद ही उठें। बीच में अध्याय छोड़ना शुभ नहीं माना जाता है और उसको पढ़ना व्यर्थ होता है। इसलिए एक अध्याय पूरा करने के बाद आप दूसरा अध्याय अगले दिन पढ़ा जा सकता है।
मन को रखें पवित्र और शांत
श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करते समय मन शांत और पवित्र रखना बेहद जरूरी है। इसका तात्पर्य यह कि मन में किसी भी तरह के बुरे विचार नहीं रखने चाहिए। पाठ करते समय शरीर के साथ मन का पवित्र होना जरूरी है। कहा जाता है कि यदि आप रोज गीता का पाठ न कर पाएं तो एकादशी तिथि पर भी गीता का पाठ पढ़ सकते हैं।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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