Sakat Chauth 2023 Puja Vidhi, Muhurat, Katha, Moon Rise Time LIVE Updates: सकट चौथ व्रत की पूजा विधि, कथा, मुहूर्त और चांद निकलने का समय जानें यहां
Sakat Chauth Vrat Katha in Hindi
सकट चौथ व्रत 2023 मुहूर्त (Sakat Chauth 2023 Muhurat):
सकट चौथ तिथि: 10 जनवरी, 2023, मंगलवार
सकट चौथ तिथि का आरंभ: 10 जनवरी 2023 को दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से
सकट चौथ तिथि की समाप्ति: 10 जनवरी 2023 को दोपहर 02 बजकर 35 मिनट पर
चंद्रोदय का समय: रात 08 बजकर 41 मिनट पर
सकट चौथ व्रत के जरूरी नियम:
-सकट चौथ का व्रत करने वाली महिलाएं इस दिन निर्जला उपवास करती हैं।
-इस व्रत में भगवान गणेश और चंद्र देव की पूजा की जाती है।
-चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही सकट चौथ व्रत का पारण किया जाता है।
-चंद्रमा को अर्घ्य देते समय इस बात का ध्यान रखें कि जल की छींटे आपके पैरों पर न पड़ें।
सकट चौथ पूजा विधि, नियम, महत्व, कथा, आरती और सभी जरूरी बातें जानने के लिए बने रहिए हमारे इस लाइव ब्लॉग पर...
गणेश जी के मंत्र
ॐ गण गणपतए नमःॐ गणेश देवाय नमःॐ उमा पुत्राय नमःॐ विनाकाय नमःॐ एकदंताय नमःॐ मूषक वाहन आए नमःॐ इशपुत्र नमःॐ विघ्ननाशय नमःश्री मन्महागणाधिपतये नमः ।सकट चौथ पूजा विधि
1. सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें ।2. व्रत का संकल्प लें और भगवान गणेश का ध्यान लगाए।3. एक चौकी लगाए और इस पर पीला या लाल वस्त्र बिछा दें और गणेश भगवान की प्रतिमा स्थापित करें ।4. गणेश भगवान के समक्ष दुर्वा घास, तिल के लड्डू ,घी और गुड़ अर्पित करें ।5. सकट चौथ की कथा और आरती करें ।सकट चौथ पूजा मंत्र
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः आवाहयामि ,ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . आसनं समर्पयामि (अक्षत चढ़ाएं) ,ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . अर्घ्यं समर्पयामि (जल चढ़ाएं),ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . पाद्यं समर्पयामि (जल चढ़ाएं),ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . पंचामृत स्नानं समर्पयामि (पंचामृत चढ़ाए),ॐ सिद्धि विनायकाय नमः वस्त्र युग्मं समर्पयामि (वस्त्र या मौली चढ़ाएं)ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . यज्ञोपवीतं धारयामि (जनेउ चढ़ाएं).ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . गंधं धारयामि (सुगंधित पूजा सामग्री चढ़ाएं).ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . अक्षतान् समर्पयामि (चावल चढ़ाएं).ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . पुष्पैः पूजयामि (फूल चढ़ाएं).महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है सकट चौथ का व्रत
सकट चौथ का व्रत महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। क्योंकि महिलाएं ये व्रत अपनी संतान की लंबी आयु के लिए रखती हैं। इस दिन भगवान गणेश के साथ माता सकट की पूजा भी होती है। सकट चौथ को संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है।सकट चौथ पूजा विधि
सकट चौथ वाले दिन चौकी पर मिट्टी से गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें। उनके पास में मां लक्ष्मी जी की भी मूर्ति रखें। भगवान गणेश को पुष्प, दूर्वा, मोदक आदि अर्पित करें। फिर श्री गणेश के मंत्र “वक्रतुण्ड महाकाय” का जाप करते हुए उन्हें 21 दुर्वा अर्पित करें। इस दिन गणेश जी को भोग के लिए तिल और गुड़ के लड्डू चढ़ाएं जाते हैं। फिर सकट चौथ व्रत कथा सुनें। गणेश जी की आरती करें। रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर सकट चौथ व्रत संपन्न करें।सकट चौथ सामग्री
लकड़ी की चौकी, पीला कपड़ा, जनेऊ, गणपति की मूर्ति, लाल फूल, 21 गांठ दूर्वा, रोली, 11 या 21 तिल के लड्डू, मोदक, मेहंदी, सिंदूर, सुपारी, पान का पत्ता, लौंग, इलायची, गंगाजल, अक्षत, हल्दी, मौली, इत्र, अबीर, गुलाल, गाय का धी, दीप, धूप, मौसमी फल, सकट चौथ व्रत कथा की पुस्तक, चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए दूध, गंगाजल, कलश, चीनी।जय गणेश जय गणेश देवा आरती के बिना अधूरी है सकट पूजा
श्री गणेश जी को हिन्दू धर्म में प्रथम पूज्य माना जाता है। इन्हें विघ्न हरता भी कहा जाता है। कहते हैं इनकी पूजा से व्यक्ति के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। कोई भी पूजा पाठ बिना इनकी पूजा के अधूरी मानी जाती है। बुधवार के दिन इनकी विशेष पूजा अर्चना की जाती है।भगवान शिव और माता पार्वती की परिक्रमा की थी भगवान गणेश ने
पौराणिक कथाओं अनुसार माघ माह में पड़ने वाली चतुर्थी के दिन ही भगवान गणेश ने भगवान शिव और माता पार्वती की परिक्रमा की थी। इसलिए सभी चतुर्थी तिथियों में से इस चतुर्थी का खास महत्व माना जाता है। महिलाएं सकट चौथ का उपवास रखकर अपने सुखी वैवाहिक जीवन के साथ-साथ संतान की लंबी उम्र की भी प्रार्थना करती हैं। सकट चौथ पर गणेशजी के साथ माता सकट की भी पूजा की जाती है।सकट चौथ व्रत का महत्व
सकट चौथ का उपवास महिलाएं अपनी संतान की लम्बी उम्र के लिए करती हैं। इस दिन भगवान गणेश जी और माता सकट की पूजा होती है। ज्योतिष शास्त्र अनुसार सकट चौथ का व्रत रखने से भगवान श्रीगणेश खुश होकर अपने भक्तों के सभी दुखों को दूर कर देते हैं।चंद्रदेव को कैसे दें अर्घ्य
इस दिन रात के समय चंद्रोदय होने पर लोटे में शुद्ध जल भरकर उसमें लाल चन्दन, कुश, पुष्प, अक्षत आदि डालकर चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है।गणेश जी पूजा मंत्र
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।निर्विघ्नं कुरुमे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।संकष्टी चतुर्थी के दिन इस रंग के वस्त्र करें धारण
व्रत करने वाले लोग इस दिन लाल रंग के वस्त्र धारण करें। यह बेहद शुभ माना जाता है। यह भी कहा जाता है कि ऐसा करने से व्रत सफल होता है।सकट चौथ का महत्व
साल में कुछ चतुर्थी बेहद खास मानी जाती है। जिनमें से एक है माघ कृष्ण पक्ष की चतुर्थी जिसे सकट चौथ, तिलकुट चतुर्थी (Tilkut Vrat 2023), तिल चतुर्थी, वक्रतुंड चतुर्थी आदि नामों से जाना जाता है।चांद को कैसे दें अर्घ्य
सकट चौथ के दिन लोटे में शुद्ध जल भरकर उसमें लाल चन्दन, कुश, पुष्प, अक्षत आदि डालकर चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है।सकट चौथ पूजा के दौरान न करें ये गलती
भगवान गणपति जी की पूजा करते समय दिशा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस दौरान मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए।सकट चौथ व्रत कथा
एक समय की बात है एक शहर में देवरानी जेठानी रहती थी। देवरानी गरीब थी और जेठानी अमीर थी। देवरानी गणेश जी की बड़ी भक्त थी। देवरानी का पति जंगल से लकड़ी काट कर उसे बेचता था और अक्सर बीमार रहता था। देवरानी अपनी जेठानी के घर का सारा काम करती और बदले में जेठानी उसे बचा हुआ खाना, पुराने कपड़े आदि दे देती थी। इसी से देवरानी का परिवार चल रहा था। पूरी कथा पढ़ने के लिए यहां क्लिक करेंसकट चौथ पूजा सामग्री
पूजा में आप तिल, गुड़, लड्डू, फूल, तांबे के कलश में पानी, धूप, चन्दन, प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रखें।चांद निकलने से पहले पूरी कर लें पूजा
शाम के समय चंद्रमा के निकलने से पहले संकष्टी व्रत कथा का पाठ कर भगवान गणेश जी की पूजा करें। पूजा समाप्त होने के बाद सबको प्रसाद बांटें। रात को चांद देखने के बाद व्रत खोला जाता है और इस प्रकार संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूर्ण होता है।गणेश जी के समक्ष धूप व दीप जला कर इस मंत्र का जाप करें:
गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।
सकट चौथ का महत्व (Sakat Chauth Significance)
चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है। माघ महीने की सकट चौथ व्रत मुख्य रूप से महिलाएं संतान की लंबी आयु की कामना के लिए किया जाता है। ऐसी मान्यता है इस दिन व्रत रखने से सभी तरह के संकट खत्म हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। ऐसे मान्यता है भगवान गणेश ने माता पार्वती और भगवान शिव की परिक्रमा सकट चौथ के ही दिन की थी जिस कारण से इस व्रत का विशेष महत्व होता है।सकट चौथ पर क्या खाएं (What to eat on Sakat Chauth )
सकट चौथ पर ना तो कुछ खाया जाता है और ना ही कुछ पिया जाता है। रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद पानी पी सकते हैं और फलाहार ग्रहण कर सकते हैं।सकट चौथ पर कब दिखाई देगा चांद
नई दिल्ली-08:41 पी एममुम्बई-09:13 पी एम
चेन्नई-08:50 पी एम
अहमदाबाद-09:08 पी एम
हैदराबाद-08:52 पी एम
कोलकाता-08:04 पी एम
जयपुर-08:50 पी एम
कानपुर-08:31 पी एम
लखनऊ-08:28 पी एम
पुणे-09:09 पी एम
पटना-08:13 पी एम
लुधियाना-08:43 पी एम
वाराणसी-08:22 पी एम
श्रीनगर-08:42 पी एम
गणेश जी के मंत्र (Ganesh Mantra)
ॐ गण गणपतए नमः
ॐ गणेश देवाय नमः
ॐ उमा पुत्राय नमः
ॐ विनाकाय नमः
ॐ एकदंताय नमः
ॐ मूषक वाहन आए नमः
ॐ इशपुत्र नमः
ॐ विघ्ननाशय नमः
श्री मन्महागणाधिपतये नमः ।
सकट चौथ पूजा विधि (Sakat Chauth 2023 Puja Vidhi)
1. सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें ।2. व्रत का संकल्प लें और भगवान गणेश का ध्यान लगाए।
3. एक चौकी लगाए और इस पर पीला या लाल वस्त्र बिछा दें और गणेश भगवान की प्रतिमा स्थापित करें ।
4. गणेश भगवान के समक्ष दुर्वा घास, तिल के लड्डू ,घी और गुड़ अर्पित करें ।
5. सकट चौथ की कथा और आरती करें ।
सकट चौथ पूजा मंत्र (Sakat Chauth Puja Mantra)
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः आवाहयामि ,
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . आसनं समर्पयामि (अक्षत चढ़ाएं) ,
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . अर्घ्यं समर्पयामि (जल चढ़ाएं),
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . पाद्यं समर्पयामि (जल चढ़ाएं),
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . पंचामृत स्नानं समर्पयामि (पंचामृत चढ़ाए),
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः वस्त्र युग्मं समर्पयामि (वस्त्र या मौली चढ़ाएं)
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . यज्ञोपवीतं धारयामि (जनेउ चढ़ाएं).
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . गंधं धारयामि (सुगंधित पूजा सामग्री चढ़ाएं).
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . अक्षतान् समर्पयामि (चावल चढ़ाएं).
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . पुष्पैः पूजयामि (फूल चढ़ाएं).
सकट चौथ व्रत कथा (Sakat Chauth Vrat Katha)
पौराणिक मान्यताओं अनुसार सकट चौथ के दिन भगवान गणेश पर सबसे बड़ा संकट आकर टला था, इसलिए इस दिन का नाम सकट चौथ पड़ा है। कथा के अनुसार एक दिन मां पार्वती स्नान करने के लिए जा रही थी। तब उन्होंने अपने पुत्र गणेश को दरवाजे के बाहर पहरा देने का आदेश दिया और बोली कि जबतक मैं स्नान करके ना लौटी किसी को भी अंदर मत आने देना। भगवान गणेश भी मां की आज्ञा का पालन करते हुए बाहर खड़े होकर पहरा देने लगे।ठीक उसी वक्त भगवान शिव अंदर आने की कोशिश करने लगे। परंतु गणेश जी ने भगवान शिव को रोक दिया। ये देखकर भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने त्रिशूल से गणेश जी की गर्दन धड़ से अलग कर दी। अपने पुत्र गणेश की आवाज सुनते ही माता पार्वती भागती हुई बाहर आईं, पुत्र गणेश की कटी हुई गर्दन देख वो विलाप करने लगीं और शिव जी से अपने बेटे के प्राण वापस लाने की गुहार की। शिव जी ने माता पार्वती की आज्ञा मानते हुए, गणेश जी पर एक हाथी के बच्चे का सिर लगाकर उन्हें पुनः जीवन दान दे दिया।
इस बात से खुश होकर माता पार्वती ने कहा कि इस दिन जो भी माता अपनी संतान के लिए व्रत रखेंगी भगवान गणेश की कृपा से उसकी संतान को दीर्घायु मिलेगी। कहा जाता है वह दिन माघ माह की चतुर्थी का था । तभी से माताएं अपनी संतान की लंबी आयु के लिए व्रत रखने लगी।
सकट चौथ पर सुबह करें गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti)
जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत,
चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे,
मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े,
और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे,
संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत,
कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत,
निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए,
सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो,
शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो,
जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
पूजा सामाग्री
लकड़ी की चौकी, पीला कपड़ा, जनेऊ, गणपति की मूर्ति, लाल फूल, 21 गांठ दूर्वा, रोली, 11 या 21 तिल के लड्डू, मोदक, मेहंदी, सिंदूर, सुपारी, पान का पत्ता, लौंग, इलायची, गंगाजल, अक्षत, हल्दी, मौली, इत्र, अबीर, गुलाल, गाय का घी, धूप, दीप। यदि संभव हो तो मिट्टी से गणेश जी की प्रतिमा बनाएं।देखें पूजा का शुभ मुभ मुहूर्त और चंद्रोदय समय
सकट चौथ तिथि का आरंभ 10 जनवरी 2023 को दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से होगा और इसकी समाप्ति 10 जनवरी 2023 को दोपहर 02 बजकर 35 मिनट पर होगी। वहीं इस दिन चंद्रोदय का समय रात 08 बजकर 41 मिनट पर है।महिलाएं रखती हैं निर्जला व्रत
इस दिन माताएं अपनी संतान की दीर्घायु व निरोगी काया की प्राप्ति के लिए निर्जला उपवास रखती हैं। मान्यता है कि इससे संतान के जीवन में आने वाली सभी विघ्न बाधाओं का अंत होता है तथा उसे निरोगी काया की प्राप्ति होती है।सभी संकष्टी चतुर्थी तिथियों में सर्वश्रेष्ठ
संकष्टी चतुर्थी, विनायक चतुर्थी, वक्रतुण्डी चतुर्थी और तिलकुटा पर्व के नाम से भी जाना जाता है। इसे सभी संकष्टी चतुर्थी तिथियों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन विधि विधान से विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं तथा जीवन में आने वाली सभी संकटों का नाश होता है।सकट चौथ को कहा जाता है संकष्टी चतुर्थी
इस दिन भगवान गणेश के साथ माता सकट की पूजा भी होती है। सकट चौथ को संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है। संकष्टी चतुर्थी हर महीने आती है। लेकिन माघ महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी का अधिक महत्व होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि मान्यताओं अनुसार इस दिन ही भगवान गणेश ने भगवान शिव व माता पार्वती की परिक्रमा की थी। इस बार सकट व्रत 10 जनवरी को रखा जाएगा।सकट चौथ व्रत विधि
इस दिन चंद्रमा की पूजा से पहले तक महिलाएं अपने बच्चों के लिए निर्जला उपवास रखती हैं। व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान गणेश की पूजा की जाती है। पूजा के समय माता लक्ष्मी की प्रतिमा भी जरूर रखें। फिर दिनभर निर्जला व्रत रखें। इस दिन पूजा में गणेश जी के मंत्रों का जाप करते हुए 21 दुर्वा भगवान गणेश को अर्पित करें। इसके साथ ही गणेश जी को बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं। साथ ही इस दिन गन्ना, शकरकंद, गुड़ और तिल से बनी चीजें भी भगवान को अर्पित करना शुभ माना जाता है।सकट चौथ व्रत का महत्व
इस व्रत में भगवान गणेश की पूजा होती है। कहते हैं जो व्यक्ति सच्चे मन से ये व्रत करता है उसके जीवन में सुख-समृद्धि आती है। साथ ही संतान की लंबी उम्र की कामना के लिए भी ये व्रत उत्तम माना गया है। इस व्रत को करने से बच्चे के जीवन में आ रही बाधाएं भी दूर हो जाती हैं।सकट चौथ कथा
सकट चौथ व्रत को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। लेकिन यहां हम आपको जो व्रत कथा बताने जा रहे हैं उससे आप जानेंगे इस व्रत का क्या महत्व है। पूरी कथा पढ़ने के लिए यहां क्लिक करेंसकट चौथ पर करें ये उपाय, हर बाधा से मिलेगी मुक्ति
शास्त्रों के अनुसार, सकट चौथ के दिन सुपारी और इलायची के उपाय बहुत कारगर होते हैं। इस दिन भगवान गणेश के सामने दो सुपारी और दो इलायची रखें और इसकी पूजा करें। इस उपाय से गणेश भगवान की कृपा होती है। साथ ही कार्यों में आने वाली बाधाएं दूर हो जाएंगी।सकट चौथ पूजा के समय न करें ये गलती
इस बात का ध्यान रखें कि भगवान गणेश को गलती से भी तुलसी न चढ़ाएं। मान्यताओं अनुसार इससे भगवान नाराज हो सकते हैं।इस मंत्र का करें जाप
संकष्टी चतुर्थी के दिन 'ॐ गं गणपतये नमः' का 108 बार जप करें। इससे व्यक्ति को प्रखर बुद्धि, उच्च शिक्षा और गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है।सकट चौथ पूजा सामग्री (Sakat Chauth Puja Samagri)
सकट चौथ की पूजा के लिए लकड़ी की चौकी, पीला कपड़ा, जनेऊ, सुपारी, पान का पत्ता, लौंग, इलायची, गंगाजल, गणपति की मूर्ति, लाल फूल, 21 गांठ दूर्वा, रोली, मेहंदी, सिंदूरसकट चौथ के दिन ऐसे करें गणेश पूजा
गणपति की पूजा के लिए सकट चौथ अथवा संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश जी का अभिषेक करना चाहिए। उन्हें लाल पुष्प, माला, अक्षत, मौली, धूप बत्ती, देसी घी का दीपक, लड्डुओं का भोग अर्पित करें। पूरे दिन व्रत रखें तथा शाम को चन्द्रमा को अर्ध्य देकर व्रत खोलें।© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited