Sakat Chauth Vrat Katha In Hindi: इस पौराणिक कथा के बिना अधूरा है सकट चौथ व्रत, पढ़ें तिलकुट की कहानी

Sakat Chauth Vrat Katha In Hindi, Til Chauth Ki Katha (सकट चौथ की कहानी): सकट चौथ का व्रत कृष्ण पक्ष की चतुर्थी त‍िथि‍ पर रखा जाता है जो कि वर्ष 2025 में 17 जनवरी, शुक्रवार के दिन पड़ा है। इस द‍िन भगवान गणेश के व्रत-पूजन का व‍िशेष व‍िधान है ज‍िससे माताओं की संतानों को दीर्घायु होने का आशीर्वाद प्राप्‍त होता है। चल‍िए जानते हैं सकट चौथ व्रत कथा को।

Sakat Chauth Vrat Katha In Hindi: सकट चौथ की कथा

Sakat Chauth Vrat Katha In Hindi, Til Chauth Ki Katha (सकट चौथ की कहानी): सकट चौथ व्रत करवा चौथ व्रत की तरह ही कठिन होता है। बस अंतर सिर्फ इतना है कि जहां करवा चौथ का उपवास महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं तो वहीं सकट का व्रत संतान की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है। ये व्रत हर साल जनवरी महीने में पड़ता है। इस साल सकट व्रत 17 जनवरी को पड़ा है। इस व्रत में भगवान गणेश और चंद्र देव की पूजा की जाती है। महिलाएं सुबह से लेकर रात तक भूखी-प्यासी रहकर इस व्रत को रखती हैं। शाम में शुभ मुहूर्त में गणेश जी की पूजा के दौरान सकट की पावन कथा पढ़ी जाती है। जिसके बिना ये व्रत अधूरा माना जाता है। इसलिए यहां हम आपको बताएंगे सकट की व्रत कथा के बारे में।

सकट चौथ व्रत कथा (Sakat Chauth Vrat Katha In Hindi)

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक नगर में एक साहूकार और एक साहूकारनी रहते थे। वे धार्मिक कार्यों को नहीं मानते थे। इस नाते उनकी कोई संतान नहीं थी। एक दिन साहूकारनी अपने पड़ोसी के घर गई। उस दिन सकट चौथ व्रत था, वहां पड़ोसन सकट चौथ की पूजा करके कहानी सुना रही थी। साहूकारनी ने पड़ोसन से पूछा: ये तुम किसकी कथा कह रही हो? तब पड़ोसन ने कहा कि आज सकट चौथ का व्रत है, इस नाते कथा सुना रही हूं। तब साहूकारनी बोली इस व्रत को करने से क्या होता है? तब पड़ोसन ने उसे बताया कि इसे करने से अन्न–धन, सुहाग और पुत्र रत्न प्राप्ति होती है।

फिर साहूकारनी ने पूछा यदि मेरा गर्भ रह जाये तो में सवा सेर तिलकुट करुंगी और चौथ का व्रत करुंगी। भगवान गणेश की कृपया से साहूकारनी गर्भवती हो गई। फिर वो बोली कि मुझे लड़का हो जाये, तो में ढाई सेर तिलकुट करुंगी। कुछ दिन बाद उसे लड़का ही हुआ। इसके बाद साहूकारनी बोली कि हे चौथ भगवान! मेरे बेटे का विवाह हो जाये, तो सवा पांच सेर का तिलकुट करुंगी। कुछ वर्षो बाद उसके बेटे का विवाह भी तय हो गया और बेटा विवाह के लिए चल दिया। लेकिन उस साहूकारनी ने अब भी तिलकुट नहीं किया।

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