Sakat Chauth 2025 Date, Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Katha Live: सकट चौथ का व्रत कब रखा जाएगा? नोट कर लें सही तारीख, मुहूर्त, पूजा विधि, कथा सहित सारी जानकारी
Sakat Chauth Vrat Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Time, Samagri, Katha, Mantra, Aarti, Sakat Chauth Moon Rise Time, Chand Nikalne Ka Samay: माघ कृष्ण पक्ष की चतु्र्थी तिथि को रखा जाने वाला सकट चौथ व्रत महिलाओं के लिए बेहद खास होता है। क्योंकि ये व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी आयु और सुखी जीवन की कामना से रखती हैं। चलिए जानते हैं इस साल सकट चौथ व्रत कब रखा जाएगा। इसकी पूजा विधि और शुभ मुहूर्त क्या है।
सकट चौथ 2025 तिथि व मुहूर्त (Sakat Chauth 2025 Date And Time)
सकट चौथ व्रत- 17 जनवरी 2025, मंगलवार
सकट चौथ के दिन चन्द्रोदय समय - 09:09 PM
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ - 16 जनवरी 2025 को 04:06 AM बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त - 17 जनवरी 2025 को 05:30 AM बजे
सकट चौथ पूजा विधि (Sakat Chauth Puja Vidhi)
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लाल रंग के वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद भगवान गणेश की पूजा करें।
- दिनभर निर्जला उपवास करें और मन ही मन गणेश जी की अराधना करते रहें।
- शाम के समय शुभ मुहूर्त में गणेश जी की विधि विधान पूजा करें और इस दौरान सकट की कथा भी पढ़ें।
- फिर रात में चांद को अर्घ्य देकर व्रत का पारण कर लें।
- जो माताएं इस व्रत का पारण राम में करती हैं वो चांद की पूजा के बाद अन्न ग्रहण नहीं करती हैं। बस फलहार ही करती हैं।
- संभव हो तो फलहार में केवल मीठा व्यजंन ही खाए।
- इस दिन भगवान गणेश को तिल के लड्डू, गन्ना, शकरकंद, गुड़ और घी अर्पित करना बेहद ही शुभ माना जाता है।
सकट चौथ व्रत कथा (Sakat Chauth Vrat Katha)
सकट चौथ की व्रत कथा अनुसार एक समय की बात है, एक नगर में एक कुम्हार रहता था। एक दिन जब कुम्हार न बर्तन बनाने के बाद आवा लगाया तो वह नहीं पका। तब कुम्हार परेशान होकर राजा के पास पहुंचा और उसने पूरी बात बताई। तब राजा ने राज पंडित को बुलाकर इसका उपाय पूछा, तब पंडित ने कहा कि कि अगर हर दिन गांव के एक-एक घर से एक-एक बच्चे की बलि दी जाए तो रोज ही आवा पकेगा। राजा ने ऐसा करने के लिए पूरे नगर को आदेश दिया। कई दिनों तक एक-एक घर से एक-एक बच्चे की बली दिए जाती रही और फिर जब एक बुढ़िया के घर की बारी आई तो वो ये सोचकर परेशान होने लगी कि उसके पास तो बुढ़ापे का एकमात्र सहारा उसका एकलौता बेटा ही है। अगर ये बलि चढ़ जाएगा तो उसका क्या होगा। तब उसने सकट की सुपारी और दूब देकर बेटे से बोला, ‘जा बेटा, सकट माता तुम्हारी रक्षा करेगी, और खुद सकट माता का ध्यान करने लगी थी। अगली सुबह कुम्हार ने देखा की आवा भी पक गया और बालक को भी कुछ नहीं हुआ और फिर सकट माता की कृपा से नगर के वो बालक भी जीवित हो गए जिनकी बलि पहले दी जा चुकी थी। कहते हैं उसी दिन से सकट चौथ के व्रत का महत्व कई गुना बढ़ गया और इस दिन माताएं अपनी संतान की रक्षा के लिए व्रत-पूजन करने लगीं।
साल 2025 में सकट चौथ व्रत कब रखा जाएगा: Sakat Chauth Vrat Date 2025
इस बार सकट चौथ का व्रत 17 जनवरी 2025 को रखा जाएगा. उदयातिथि के अनुसार, सकट चौथ का व्रत इस बार 17 जनवरी 2025 को रखा जाएगा। सकट चौथ की चतुर्थी तिथि 17 जनवरी की सुबह 4 बजकर 06 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 18 जनवरी को सुबह 8 बजकर 30 मिनट पर होगा।Sakat Chauth Vrat Katha: सकट चौथ व्रत कथा
एक बार गणेशजी बाल रूप में चुटकी भर चावल और एक चम्मच दूध लेकर पृथ्वी लोक के भ्रमण पर निकले। वे सबसे यह कहते घूम रहे थे, कोई मेरी खीर बना दे, कोई मेरी खीर बना दे। लेकिन सबने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया। तभी एक गरीब बुढ़िया उनकी खीर बनाने के लिए तैयार हो गई। इस पर गणेशजी ने घर का सबसे बड़ा बर्तन चूल्हे पर चढ़ाने को कहा। बुढ़िया ने बाल लीला समझते हुए घर का सबसे बड़ा भगौना उस पर चढ़ा दिया।गणेशजी के दिए चावल और दूध भगौने में डालते ही भगौना भर गया। इस बीच गणेशजी वहां से चले गए और बोले अम्मा जब खीर बन जाए तो बुला लेना। पीछे से बुढ़िया के बेटे की बहू ने एक कटोरी खीर चुराकर खा ली और एक कटोरी खीर छिपाकर अपने पास रख ली। अब जब खीर तैयार हो गई तो बुढ़िया माई ने आवाज लगाई-आजा रे गणेशा खीर खा ले। तभी गणेश जी वहां पहुंच गए और बोले कि मैंने तो खीर पहले ही खा ली। तब बुढ़िया ने पूछा कि कब खाई तो वे बोले कि जब तेरी बहू ने खाई तभी मेरा पेट भर गया। बुढ़िया ने इस पर माफी मांगी। इसके बाद जब बुढ़िया ने बाकी बची खीर का क्या करें, इस बारे में पूछा तो गणेश जी ने उसे नगर में बांटने को कहा और जो बचें उसे अपने घर की जमीन गड्ढा करके दबा दें। अगले दिन जब बुढ़िया उठी तो उसे अपनी झोपड़ी महल में बदली हुई और खीर के बर्तन सोने- जवाहरातों से भरे मिले। गणेश जी की कृपा से बुढ़िया का घर धन दौलत से भर गया। हे गणेशजी भगवान जैसे बुढ़िया को सुखी किया वैसे सबको खुश रखें।
Sakat Chauth Vrat Niyam: सकट चौथ व्रत नियम
सकट चौथ के दिन भगवान गणेश को उनके हरे रंग के ही कपड़े पहनाना चाहिए।सकट चौथ के दिन भगवान गणेश को तिलकुट का भोग लगाना न भूलें।
इस दिन तिल से बनी चीजों, तिल के लड्डू या तिल से बनी मिठाई का भोग लगाया जा सकता है।
सकट चौथ के दिन चंद्रमा को जल अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है।
SaKat Chauth Vrat Puja Vidhi: सकट चौथ व्रत पूजा विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लाल रंग के वस्त्र धारण करें।इसके बाद भगवान गणेश की पूजा करें।
दिनभर निर्जला उपवास करें और मन ही मन गणेश जी की अराधना करते रहें।
शाम के समय शुभ मुहूर्त में गणेश जी की विधि विधान पूजा करें और इस दौरान सकट की कथा भी पढ़ें।
फिर रात में चांद को अर्घ्य देकर व्रत का पारण कर लें।
जो माताएं इस व्रत का पारण राम में करती हैं वो चांद की पूजा के बाद अन्न ग्रहण नहीं करती हैं। बस फलहार ही करती हैं।
संभव हो तो फलहार में केवल मीठा व्यजंन ही खाए।
इस दिन भगवान गणेश को तिल के लड्डू, गन्ना, शकरकंद, गुड़ और घी अर्पित करना बेहद ही शुभ माना जाता है।
Tilkut Chauth 2025 Date: तिलकुट चौथ 2025 डेट
दृक पंचांग के अनुसार, माघ महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरंभ 17 जनवरी 2025 को सुबह 04 बजकर 06 मिनट पर होगा और अगले दिन 18 जनवरी 2025 को सुबह 05 बजकर 30 मिनट पर समाप्त होगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, 17 जनवरी 2025 को दिन शुक्रवार को सकट चौथ मनाया जाएगा।सकट चौथ का व्रत कैसे करें: Sakat Chauth vrat kaise karen
सकट चौथ के दिन भगवान गणेश को उनके हरे रंग के ही कपड़े पहनाना चाहिए। सकट चौथ के दिन भगवान गणेश को तिलकुट का भोग लगाना न भूलें। इस दिन तिल से बनी चीजों, तिल के लड्डू या तिल से बनी मिठाई का भोग लगाया जा सकता है। सकट चौथ के दिन चंद्रमा को जल अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है।1Tilkut Chauth 2025: तिलकुट चौथ व्रत
पंचांग के अनुसार,17 जनवरी 2025 सकट चौथ हिंदू धर्म में हर साल माताएं अपने संतान की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए सकट चौथ को निर्जला व्रत रखती हैं।सकट चौथ व्रत कथा: Sakat Chauth Vrat Katha
एक साहूकार और एक साहूकारनी थे। वह धर्म पुण्य को नहीं मानते थे। इसके कारण उनके कोई बच्चा नहीं था। एक दिन साहूकारनी पडोसी के घर गयी। उस दिन सकट चौथ था, वहाँ पड़ोसन सकट चौथ की पूजा करके कहानी सुना रही थी। साहूकारनी ने पड़ोसन से पूछा: तुम क्या कर रही हो?तब पड़ोसन बोली कि आज चौथ का व्रत है, इसलिए कहानी सुना रही हूँ।
तब साहूकारनी बोली: चौथ के व्रत करने से क्या होता है?
तब पड़ोसन बोली: इसे करने से अन्न, धन, सुहाग, पुत्र सब मिलता है।
तब साहूकारनी ने कहा: यदि मेरा गर्भ रह जाये तो में सवा सेर तिलकुट करुँगी और चौथ का व्रत करुँगी।
श्री गणेश भगवान की कृपया से साहूकारनी के गर्भ रह गया। तो वह बोली कि मेरे लड़का हो जाये, तो में ढाई सेर तिलकुट करुँगी। कुछ दिन बाद उसके लड़का हो गया, तो वह बोली कि हे चौथ भगवान! मेरे बेटे का विवाह हो जायेगा, तो सवा पांच सेर का तिलकुट करुँगी।
कुछ वर्षो बाद उसके बेटे का विवाह तय हो गया और उसका बेटा विवाह करने चला गया। लेकिन उस साहूकारनी ने तिलकुट नहीं किया। इस कारण से चौथ देव क्रोधित हो गये और उन्होंने फेरो से उसके बेटे को उठाकर पीपल के पेड़ पर बिठा दिया। सभी वर को खोजने लगे पर वो नहीं मिला, हतास होकर सारे लोग अपने-अपने घर को लौट गए। इधर जिस लड़की से साहूकारनी के लड़के का विवाह होने वाला था, वह अपनी सहेलियों के साथ गणगौर पूजने के लिए जंगल में दूब लेने गयी।
तभी रास्ते में पीपल के पेड़ से आवाज आई: ओ मेरी अर्धब्यहि!
यह बात सुनकर जब लड़की घर आयी, उसके बाद वह धीरे-धीरे सूख कर काँटा होने लगी।
एक दिन लड़की की माँ ने कहा: मैं तुम्हें अच्छा खिलाती हूँ, अच्छा पहनाती हूँ, फिर भी तू सूखती जा रही है? ऐसा क्यों?
तब लड़की अपनी माँ से बोली कि वह जब भी दूब लेने जंगल जाती है, तो पीपल के पेड़ से एक आदमी बोलता है कि ओ मेरी अर्धब्यहि।
उसने मेहँदी लगा राखी है और सेहरा भी बांध रखा है। तब उसकी माँ ने पीपल के पेड़ के पास जा कर देखा, यह तो उसका जमाई ही है।
तब उसकी माँ ने जमाई से कहा: यहाँ क्यों बैठे हैं? मेरी बेटी तो अर्धब्यहि कर दी और अब क्या लोगे?
साहूकारनी का बेटा बोला: मेरी माँ ने चौथ का तिलकुट बोला था लेकिन नहीं किया, इस लिए चौथ माता ने नाराज हो कर यहाँ बैठा दिया।
यह सुनकर उस लड़की की माँ साहूकारनी के घर गई और उससे पूछा कि तुमने सकट चौथ का कुछ बोला है क्या?
तब साहूकारनी बोली: तिलकुट बोला था। उसके बाद साहूकारनी बोली मेरा बेटा घर आजाये, तो ढाई मन का तिलकुट करुँगी।
इससे श्री गणेश भगवन प्रसंन हो गए और उसके बेटे को फेरों में लाकर बैठा दिया। बेटे का विवाह धूम-धाम से हो गया। जब साहूकारनी के बेटा एवं बहू घर आगए तब साहूकारनी ने ढाई मन तिलकुट किया और बोली हे चौथ देव! आप के आशीर्वाद से मेरे बेटा-बहू घर आये हैं, जिससे में हमेसा तिलकुट करके व्रत करुँगी। इसके बाद सारे नगर वासियों ने तिलकुट के साथ सकट व्रत करना प्रारम्भ कर दिया।
हे सकट चौथ! जिस तरह साहूकारनी को बेटे-बहू से मिलवाया, वैसे ही हम सब को मिलवाना। इस कथा को कहने सुनने वालों का भला करना।
Ganesh Ji Mantra: गणेश जी मंत्र
ॐ गं गणपतये नमःगजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्
ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा
ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा
ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरु गणेश
सकट चौथ का भोग
सकट चौथ के दिन गुड़ और तिल से बना तिलकुट के प्रसाद का भोग बप्पा को जरूर लगाना चाहिए, क्योंकि यह इस दिन का मुख्य प्रसाद होता है। इस भोग को अर्पित करने भगवान गणेश खुश होते हैं।Sakat Chauth Vrat Moon Rise Time: सकट चौथ व्रत चंद्रदोय समय 2025
उदया तिथि के अनुसार, सकट चौथ का व्रत 17 जनवरी 2025 को रखा जाएगा। सकट चौथ के दिन चंद्रोदय रात 9 बजकर 21 पर होगा।सकट चौथ की व्रत विधि: Sakat Chauth Vrat Ke Vidhi
सकट चौथ के दिन महिलाएं सुबह स्नान के बाद निर्जला व्रत रखती हैं। चंद्र दर्शन के बाद व्रत को तोड़ती हैं। कुछ स्थानों पर महिलाएं इस दिन कुछ नहीं खातीं। वहीं कुछ स्थानों पर महिलाएं व्रत तोड़ने के बाद खिचड़ी मूंगफली और फलाहार करती हैं।सकट चौथ व्रत का महत्व: Sakat Chauth vrat mahatav
हिन्दू पंचांग के अनुसार सकट चौथ को सकट, तिलकुटा चौथ, तिलकुट, वक्र-तुण्डि चतुर्थी और माघी चौथ के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि सकट चौथ व्रत में गौरी पुत्र गणेश और सकट माता की आराधना करने से संतान की दीर्घायु की कामना की जाती है। इससे संतान को सुखी जीवन का आशीर्वाद मिलता है।सकट चौथ व्रत कैसे करें: Sakat Vrat Kaise Karen
संकट चौथ के दिन सबसे पहले स्नान कर व्रत का संकल्प लें और फिर एक चौकी पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें. पीला वस्त्र पहनकर भगवान गणेश की पूजा करें. दूर्वा अर्पण करें. तिल से बनी चीजों का भोग लगाएं। वहीं, रात्रि में चंद्रमा को अपनी मनोकामना लिए जल में तिल मिलाकर अर्पित करें. ऐसा करने से मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होंगी. संतान के सभी कष्ट समाप्त हो जाएंगे।सकट चौथ व्रत के नियम: Sakat Vrat Niyam
निर्जला व्रत: सकट चौथ का व्रत निर्जला रखा जाता है. अर्थात पूरे दिन पानी भी नहीं पीना चाहिए.सात्विक भोजन: व्रत तोड़ने से पहले तक केवल सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए.
शांत वातावरण: पूजा के समय शांत वातावरण में बैठकर पूजा करें.
द्वेष या ईर्ष्या: मन में किसी भी प्रकार का द्वेष या ईर्ष्या न रखें.
चंद्रमा को अर्घ्य: चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत का पारण करना चाहिए
Sakat Chauth ka Vrat Kab Hai 2025: सकट चौथ का व्रत कब है 2025
पंचांग के अनुसार, माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 17 जनवरी दिन शुक्रवार को सुबह 4 बजकर 18 मिनट से शुरू होगी और 18 जनवरी दिन शनिवार को सुबह 05 बजकर 46 मिनट पर खत्म होगी. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार 17 जनवरी दिन शुक्रवार को ही सकट चौथ का व्रत रखा जाएगा।सकट चौथ 2025 मुहूर्त : Sakat Chauth 2025 Shubh Muhurat
हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 17 जनवरी को सुबह 04 बजकर 06 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 18 जनवरी को सुबह 05 बजकर 30 मिनट पर होगा। पंचांग के अनुसार, 17 जनवरी को सकट चौथ का व्रत रखा जाएगा।Sakat Chauth Vrat Kis Ke Liye Rakha Jata Hai : सकट चौथ का व्रत किसके लिए रखा जाता है
सकट चौथ का व्रत महिलाएं द्वारा किया जाता है। ये व्रत संतान प्राप्ति के लिए और संतान की तरक्की के लिए किया जाता है। इस व्रत के दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और विधिपूर्वक भगवान गणपति की पूजा करती है। सकट चौथ के दिन शाम के समय में चंद्रोदय के बाद चंद्रमा की पूजा की जाती है और चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। सकट चौथ के दिन गणेश जी की पूजा करने से सारे संकटों से छुटकारा मिलता है। सकट चौथ के दिन भगवान गणेश को तिल का भोग लगाया जाता है।सकट चौथ व्रत का महत्व
ऐसा माना जाता है कि सकट चौथ व्रत रखने से संतान को लंबी आयु की प्राप्ति होती है। इसलिए इस दिन महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं।सकट चौथ में किस देवता की पूजा होती है?
सकट चौथ में भगवान गणेश और चंद्र देव की पूजा की जाती है।सकट चौथ पर किस रंग के कपड़े पहनने चाहिए?
यदि आपने सकट चौथ पर व्रत रखा है, तो इस दिन काले रंग के वस्त्र न पहनें। इस शुभ दिन पर पीले या लाल रंग के वस्त्र पहनना अच्छा रहता है।सकट व्रत का पारण कब करते हैं?
सकट चौथ व्रत का पारण शाम में चंद्रमा निकलने को अर्घ्य देने के बाद किया जाता है। वहीं कुछ महिलाएं अगले दिन व्रत खोलती हैं।व्रत के दिन रात में चांद को अर्घ्य देने के बाद क्या खा सकते हैं?
व्रत के दिन आप फल, मूंगफली, खीर, दूध और साबूदाना खा सकते हैं।Sakat Chauth Bhog: सकट चौथ भोग
सकट चौथ के दिन भगवान गणेश को बूंदी के लड्डू का भोग लगा सकते हैं। लड्डू के अलावा इस दिन गन्ना, शकरकंद, गुड़, तिल से बनी वस्तुएं, गुड़ से बने हुए लड्डू और घी अर्पित करना बेहद ही शुभ माना जाता है।© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited