Sakat Chauth Vrat Katha in Hindi: यहां पढ़ें सकट चौथ व्रत कथा, गणेश जी की कहानी
Sakat Chauth 2023 Vrat Katha in Hindi, Sakat Chauth Vrat Kahani in Hindi: सकट चौथ या संकष्टी चतुर्थी व्रत महिलाएं अपनी संतान के खुशहाल जीवन और लंबी आयु के लिए रखती हैं। जानिए इस व्रत में कौन सी कथा पढ़ना जरूरी माना जाता है।
सकट चौथ व्रत कथा
सकट चौथ व्रत कथा (Sakat Chauth Vrat Katha)
पौराणिक मान्यताओं अनुसार सकट चौथ के दिन भगवान गणेश पर सबसे बड़ा संकट आकर टला था, इसलिए इस दिन का नाम सकट चौथ पड़ा है। कथा के अनुसार एक दिन मां पार्वती स्नान करने के लिए जा रही थी। तब उन्होंने अपने पुत्र गणेश को दरवाजे के बाहर पहरा देने का आदेश दिया और बोली कि जबतक मैं स्नान करके ना लौटी किसी को भी अंदर मत आने देना। भगवान गणेश भी मां की आज्ञा का पालन करते हुए बाहर खड़े होकर पहरा देने लगे।
ठीक उसी वक्त भगवान शिव अंदर आने की कोशिश करने लगे। परंतु गणेश जी ने भगवान शिव को रोक दिया। ये देखकर भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने त्रिशूल से गणेश जी की गर्दन धड़ से अलग कर दी। अपने पुत्र गणेश की आवाज सुनते ही माता पार्वती भागती हुई बाहर आईं, पुत्र गणेश की कटी हुई गर्दन देख वो विलाप करने लगीं और शिव जी से अपने बेटे के प्राण वापस लाने की गुहार की। शिव जी ने माता पार्वती की आज्ञा मानते हुए, गणेश जी पर एक हाथी के बच्चे का सिर लगाकर उन्हें पुनः जीवन दान दे दिया।
इस बात से खुश होकर माता पार्वती ने कहा कि इस दिन जो भी माता अपनी संतान के लिए व्रत रखेंगी भगवान गणेश की कृपा से उसकी संतान को दीर्घायु मिलेगी। कहा जाता है वह दिन माघ माह की चतुर्थी का था । तभी से माताएं अपनी संतान की लंबी आयु के लिए व्रत रखने लगी।
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 सा...और देखें
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