Sakat Chauth 2024 Puja Vidhi, Katha, Moon Rise Time LIVE Updates: सकट चौथ पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, व्रत कथा, आरती और चांद निकलने का सटीक समय
Sakat Chauth 2024 Vrat Katha, Puja Vidhi, Ganesh Ji Ki Aarti, Moonrise Time: पंचांग अनुसार सकट चौथ व्रत माघ कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी के दिन रखा जाता है। इस दिन गणेश भगवान की पूजा की जाती है। यहां जानिए सकट चौथ की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय समय।
सकट चौथ 2024 तिथि और मुहूर्त (Sakat Chauth 2024 Date And Time)
पंचांग अनुसार सकट चौथ व्रत 29 जनवरी 2024 सोमवार के दिन रखा जाएगा। चतुर्थी तिथि का प्रारम्भ - 29 जनवरी 2024 को सुबह 06:10 बजे से होगा और इसकी समाप्ति 30 जनवरी 2024 को सुबह 08:54 पर होगी। सकट चौथ के दिन चन्द्रोदय समय रात 09 बजकर 10 का है।
सकट चौथ क्यों मनाई जाती है (Sakat Chauth Kyu Manai Jati Hai)
सकट चौथ का व्रत मुख्यतः संतान की दीर्घायु के लिए किया जाता है। मान्यता है इस दिन विघ्नहर्ता गणेश की पूजा करने से सारे संकट खत्म हो जाते हैं और समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। ऐसी कहा जाता है कि गणेश जी ने माता पार्वती और पिता शिव जी की परिक्रमा इसी दिन की थी। इसलिए इस दिन गणेश जी के अलावा, शिव जी, मां पार्वती, चंद्र देव और कार्तिकेय जी की भी पूजा की जाती है।
सकट चौथ व्रत-पूजन विधि (Sakat Chauth Puja Vidhi)
-इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर निर्जला व्रत का संकल्प लें।
-फिर सुबह और शाम गणेश जी की विधि विधान पूजा करें और भगवान से बच्चों की लंबी आयु और खुशहाल जीवन की प्रार्थना करें।
-शाम में सकट चौथ की कथा जरूर सुनें।
-इसके बाद रात में चंद्रमा के उदय होने पर महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं।
-नियम के अनुसार इस दिन का व्रत दूध और शकरकंदी खाकर खोला जाता है।
-इस दिन गणेश मंत्र का जाप करते हुए गणेश जी को 21 दुर्वा अर्पित करना भी बेहद शुभ होता है।
-इस दिन की पूजा में गणशे जी को बूंदी के लड्डू, गन्ना, शकरकंद, गुड़, तिल से बनी वस्तुएं, गुड़ से बने हुए लड्डू और घी अर्पित करना शुभ माना जाता है।
सकट चौथ व्रत के नियम, उपाय, कथा, आरती, भोग, महत्व से जुड़ी जानकारी प्राप्त करने के लिए जुड़े रहिए हमारे इस लाइव ब्लॉग से।
चांद दिखने का समय
नई दिल्ली 09:11 PMमुंबई 09:33 PMनोएडा 09:10 PMमेरठ 09:08 PMजम्मू 09:18 PMचंडीगढ़ 09:11 PMदेहरादून 09:06 PMउदयपुर (राजस्थान) 09:27 PMचेन्नई 09:05 PMअहमदाबाद 09:32 PMहैदराबाद 09:11 PMकोलकाता 08:37 PMकई जगह दिखा सकट चौथ का चांद
कानपुर गोखपुर और कोलकता में दिखा सकट चौथ का चांदसकट चौथ का चांद कितने बजे निकलेगा
माघ माह की सकट चतुर्थी के दिन 29 जनवरी को चंद्रमा रात 09.10 मिनट पर निकलेगा. इस दिन महिलाएं सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखती हैं और चांद की पूजा के बाद ही व्रत संपन्न होता है.आज चंद्रमा कितने बजे निकलेगा
माघ माह की सकट चतुर्थी के दिन 29 जनवरी को चंद्रमा रात 09.10 मिनट पर निकलेगा. इस दिन महिलाएं सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखती हैं और चांद की पूजा के बाद ही व्रत संपन्न होता है.सकट चौथ माता की आरती
ओम जय श्री चौथ मैया, बोलो जय श्री चौथ मैयासच्चे मन से सुमिरे, सब दुःख दूर भयाओम जय श्री चौथ मैयाऊंचे पर्वत मंदिर, शोभा अति भारीदेखत रूप मनोहर, असुरन भयकारीओम जय श्री चौथ मैयामहासिंगार सुहावन, ऊपर छत्र फिरेसिंह की सवारी सोहे, कर में खड्ग धरेओम जय श्री चौथ मैयाबाजत नौबत द्वारे, अरु मृदंग डैरुचौसठ जोगन नाचत, नृत्य करे भैरूओम जय श्री चौथ मैयाबड़े बड़े बलशाली, तेरा ध्यान धरेऋषि मुनि नर देवा, चरणो आन पड़ेओम जय श्री चौथ मैयाचौथ माता की आरती, जो कोई सुहगन गावेबढ़त सुहाग की लाली, सुख सम्पति पावेओम जय श्री चौथ मैया।चंद्रोदय 29 जनवरी 2024
माघ माह की सकट चतुर्थी के दिन 29 जनवरी को चंद्रमा रात 09.10 मिनट पर निकलेगा. इस दिन महिलाएं सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखती हैं और चांद की पूजा के बाद ही व्रत संपन्न होता है.sakat chauth ka vrat kiske liye hota hai
संकट चौथ व्रत एक ऐसा व्रत है जिसे संतान की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए रखा जाता है. हिंदू पंचांग की माने तो प्रत्येक वर्ष माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन संकट चौथ का व्रत रखना चाहिए. इस दिन व्रत रखने की परंपरा सदियों पुरानी हैsakat chauth kaise manate hain- सकट चौथ कैसे मनाते हैं
भक्त सुबह उठकर पवित्र स्नान करें।सकट चौथ व्रत रखने का संकल्प करें।एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर प्रतिमा की स्थापना करें।सिंदूर का तिलक लगाएं।घी का दीपक जलाएं।भगवान गणेश की प्रतिमा पर फूल, फल और मिठाइयां चढ़ाएं।पूजा में तिलकुट का भोग जरूर शामिल करें।गणेश चालीसा का पाठ करें।sakat chauth ka vrat kyu rakha jata hai- सकट चौथ का व्रत क्यों रखा जाता है
इस दिन माताएं संतान की दीर्घायु के लिए व्रत करती हैं और उनकी खुशहाली के लिए गणेशजी की पूजा करती हैं। इस साल यह व्रत 29 जनवरी को रखा जाएगा। महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत करके रात को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत पूर्ण करती हैं और अपने बच्चों लिए प्रार्थना करती हैं।Chand ugne Ka Time Today: आज चांद कितने बजे उगेगा
पंचांग अनुसार चांद रात 9 बजकर 10 मिनट के बाद उगेगा।सकट चौथ व्रत कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार एक बार देवों के देव महादेव ने शिवजी ने कार्तिकेय व गणेश जी से पूछा कि तुम में से कौन देवताओं के कष्टों का निवारण कर सकता है। तब कार्तिकेय व गणेशजी दोनों ने ही स्वयं को इस कार्य के लिए सक्षम बताया। इस पर भगवान शिव ने कहा कि तुम दोनों में से जो भी सबसे पहले पृथ्वी की परिक्रमा करकेआएगा वही देवताओं की मदद करने जाएगा। ये वचन सुनते ही कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल गए। परन्तु गणेश जी विचारमग्न हो गए कि वे चूहे के ऊपर चढ़कर सारी पृथ्वी की परिक्रमा करेंगे तो इस कार्य में उन्हें बहुत समय लग जाएगा। तभी उन्हें एक उपाय सूझा। वे अपने स्थान से उठे और अपने माता-पिता की सात परिक्रमा करके वापस बैठ गए। परिक्रमा करके लौटने पर कार्तिकेय स्वयं को विजयी बताया। शिवजी ने गणेशजी से पृथ्वी की परिक्रमा न करने का कारण पूछा। तब गणेश जी ने कहा -'माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक हैं '। यह सुनकर भगवान शिव ने गणेशजी को देवताओं के संकट दूर करने की आज्ञा दी और गणेश जी को आशीर्वाद दिया कि चतुर्थी के दिन जो तुम्हारा श्रद्धा पूर्वक पूजन करेगा और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देगा उसके सभी कष्ट दूर हो जाएंगे।Today Moon Time In Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश में चांद उगने का समय
हिमाचल प्रदेश में सकट चौथ का चांद रात 09:09 पर दिखाई देगा।सकट चौथ का चांद किस टाइम निकलेगा
पंचांग के अनुसार माघ माह के कृष्ण पक्ष की सकट चतुर्थी तिथि 29 जनवरी 2024 को सुबह 06 बजकर 10 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 30 जनवरी 2024 को सुबह 08 बजकर 54 मिनट पर समाप्त होगी.Ganesh Ji Aarti
जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥एक दंत दयावंत,चार भुजा धारी ।माथे सिंदूर सोहे,मूसे की सवारी ॥जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥पान चढ़े फल चढ़े,और चढ़े मेवा ।लड्डुअन का भोग लगे,संत करें सेवा ॥जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥अंधन को आंख देत,कोढ़िन को काया ।बांझन को पुत्र देत,निर्धन को माया ॥जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥'सूर' श्याम शरण आए,सफल कीजे सेवा ।माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥सकट चौथ का व्रत कैसे खुलता है?
सकट चौथ के दिन महिलाएं सुबह स्नान के बाद निर्जला व्रत रखती हैं। चंद्र दर्शन के बाद व्रत को तोड़ती हैं। कुछ स्थानों पर महिलाएं इस दिन कुछ नहीं खातीं। वहीं कुछ स्थानों पर महिलाएं व्रत तोड़ने के बाद खिचड़ी मूंगफली और फलाहार करती हैं।सकट चौथ का व्रत कैसे किया जाता है
सकट चौथ के दिन ब्रह्म मुहूर्त के दौरान स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। बच्चों की लंबी उम्र के लिए सकट माता की पूजा करें। चंद्रोदय के समय चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करें और चंदन, फूल, धूप, दीप और नैवेद्य चढ़ाकर सकट माता की पूजा करें। सकट चौथ व्रत की कथा जरूर पढ़ें और पूजा समाप्त करें।Sakat Chauth Mantra
संकष्टी चतुर्थी के दिन विद्यार्थी 'ॐ गं गणपतये नमः' का 108 बार जप करें। कहा जाता है कि इससे प्रखर बुद्धि, उच्च शिक्षा और गणेश जी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही 'ॐ एक दन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात' मंत्र के जाप से जीवन के सभी संकट दूर होंगे।आज सकट चौथ का चांद कितने बजे निकलेगा
सकट चौथ का चांद आज 9 बजकर 10 मिनट निकलेगा।सकट चौथ व्रत कथा
एक बार गणेशजी बाल रूप में चुटकी भर चावल और एक चम्मच दूध लेकर पृथ्वी लोक के भ्रमण पर निकले। वे सबसे यह कहते घूम रहे थे, कोई मेरी खीर बना दे, कोई मेरी खीर बना दे। लेकिन सबने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया। तभी एक गरीब बुढ़िया उनकी खीर बनाने के लिए तैयार हो गई। इस पर गणेशजी ने घर का सबसे बड़ा बर्तन चूल्हे पर चढ़ाने को कहा। बुढ़िया ने बाल लीला समझते हुए घर का सबसे बड़ा भगौना उस पर चढ़ा दिया।गणेशजी के दिए चावल और दूध भगौने में डालते ही भगौना भर गया। इस बीच गणेशजी वहां से चले गए और बोले अम्मा जब खीर बन जाए तो बुला लेना। पीछे से बुढ़िया के बेटे की बहू ने एक कटोरी खीर चुराकर खा ली और एक कटोरी खीर छिपाकर अपने पास रख ली। अब जब खीर तैयार हो गई तो बुढ़िया माई ने आवाज लगाई-आजा रे गणेशा खीर खा ले।तभी गणेश जी वहां पहुंच गए और बोले कि मैंने तो खीर पहले ही खा ली। तब बुढ़िया ने पूछा कि कब खाई तो वे बोले कि जब तेरी बहू ने खाई तभी मेरा पेट भर गया। बुढ़िया ने इस पर माफी मांगी। इसके बाद जब बुढ़िया ने बाकी बची खीर का क्या करें, इस बारे में पूछा तो गणेश जी ने उसे नगर में बांटने को कहा और जो बचें उसे अपने घर की जमीन गड्ढा करके दबा दें।अगले दिन जब बुढ़िया उठी तो उसे अपनी झोपड़ी महल में बदली हुई और खीर के बर्तन सोने- जवाहरातों से भरे मिले। गणेश जी की कृपा से बुढ़िया का घर धन दौलत से भर गया। हे गणेशजी भगवान जैसे बुढ़िया को सुखी किया वैसे सबको खुश रखें।चंद्र देव के अर्घ्य का महत्व
शास्त्रों के अनुसार, धन लाभ, संतान प्राप्ति और संकट दूर करने के लिए चंद्र देव की पूजा की जाती है। एक लोटे में जल डालकर उसमे थोड़ा सा गंगाजल डाल लें। इसके बाद चन्द्रमा को अर्घ्य अर्पित करें। इस दौरान 'गगनार्णवमाणिक्य चंद्र दाक्षायणीपते। गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक' मंत्र का जाप करें।Sakat Chauth Ki Aarti: सकट चौथ की आरती
ओम जय श्री चौथ मैया, बोलो जय श्री चौथ मैयासच्चे मन से सुमिरे, सब दुःख दूर भया
ओम जय श्री चौथ मैया
ऊंचे पर्वत मंदिर, शोभा अति भारी
देखत रूप मनोहर, असुरन भयकारी
ओम जय श्री चौथ मैया
महासिंगार सुहावन, ऊपर छत्र फिरे
सिंह की सवारी सोहे, कर में खड्ग धरे
ओम जय श्री चौथ मैया
बाजत नौबत द्वारे, अरु मृदंग डैरु
चौसठ जोगन नाचत, नृत्य करे भैरू
ओम जय श्री चौथ मैया
बड़े बड़े बलशाली, तेरा ध्यान धरे
ऋषि मुनि नर देवा, चरणो आन पड़े
ओम जय श्री चौथ मैया
चौथ माता की आरती, जो कोई सुहगन गावे
बढ़त सुहाग की लाली, सुख सम्पति पावे
ओम जय श्री चौथ मैया।
गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥एक दंत दयावंत,चार भुजा धारी ।माथे सिंदूर सोहे,मूसे की सवारी ॥जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥पान चढ़े फल चढ़े,और चढ़े मेवा ।लड्डुअन का भोग लगे,संत करें सेवा ॥जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥अंधन को आंख देत,कोढ़िन को काया ।बांझन को पुत्र देत,निर्धन को माया ॥जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥'सूर' श्याम शरण आए,सफल कीजे सेवा ।माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥सकट चौथ की कहानी- Sakat Chauth Ke Kahani
एक साहूकार और एक साहूकारनी थे। वह धर्म पुण्य को नहीं मानते थे। इसके कारण उनके कोई बच्चा नहीं था। एक दिन साहूकारनी पडोसी के घर गयी। उस दिन सकट चौथ था, वहाँ पड़ोसन सकट चौथ की पूजा करके कहानी सुना रही थी।साहूकारनी ने पड़ोसन से पूछा: तुम क्या कर रही हो?तब पड़ोसन बोली कि आज चौथ का व्रत है, इसलिए कहानी सुना रही हूँ।तब साहूकारनी बोली: चौथ के व्रत करने से क्या होता है?तब पड़ोसन बोली: इसे करने से अन्न, धन, सुहाग, पुत्र सब मिलता है।तब साहूकारनी ने कहा: यदि मेरा गर्भ रह जाये तो में सवा सेर तिलकुट करुँगी और चौथ का व्रत करुँगी।श्री गणेश भगवान की कृपया से साहूकारनी के गर्भ रह गया। तो वह बोली कि मेरे लड़का हो जाये, तो में ढाई सेर तिलकुट करुँगी। कुछ दिन बाद उसके लड़का हो गया, तो वह बोली कि हे चौथ भगवान! मेरे बेटे का विवाह हो जायेगा, तो सवा पांच सेर का तिलकुट करुँगी।कुछ वर्षो बाद उसके बेटे का विवाह तय हो गया और उसका बेटा विवाह करने चला गया। लेकिन उस साहूकारनी ने तिलकुट नहीं किया। इस कारण से चौथ देव क्रोधित हो गये और उन्होंने फेरो से उसके बेटे को उठाकर पीपल के पेड़ पर बिठा दिया। सभी वर को खोजने लगे पर वो नहीं मिला, हतास होकर सारे लोग अपने-अपने घर को लौट गए। इधर जिस लड़की से साहूकारनी के लड़के का विवाह होने वाला था, वह अपनी सहेलियों के साथ गणगौर पूजने के लिए जंगल में दूब लेने गयी।तभी रास्ते में पीपल के पेड़ से आवाज आई: ओ मेरी अर्धब्यहि!यह बात सुनकर जब लड़की घर आयी, उसके बाद वह धीरे-धीरे सूख कर काँटा होने लगी।एक दिन लड़की की माँ ने कहा: मैं तुम्हें अच्छा खिलाती हूँ, अच्छा पहनाती हूँ, फिर भी तू सूखती जा रही है? ऐसा क्यों?तब लड़की अपनी माँ से बोली कि वह जब भी दूब लेने जंगल जाती है, तो पीपल के पेड़ से एक आदमी बोलता है कि ओ मेरी अर्धब्यहि।उसने मेहँदी लगा राखी है और सेहरा भी बांध रखा है। तब उसकी माँ ने पीपल के पेड़ के पास जा कर देखा, यह तो उसका जमाई ही है।तब उसकी माँ ने जमाई से कहा: यहाँ क्यों बैठे हैं? मेरी बेटी तो अर्धब्यहि कर दी और अब क्या लोगे?साहूकारनी का बेटा बोला: मेरी माँ ने चौथ का तिलकुट बोला था लेकिन नहीं किया, इस लिए चौथ माता ने नाराज हो कर यहाँ बैठा दिया।यह सुनकर उस लड़की की माँ साहूकारनी के घर गई और उससे पूछा कि तुमने सकट चौथ का कुछ बोला है क्या?तब साहूकारनी बोली: तिलकुट बोला था। उसके बाद साहूकारनी बोली मेरा बेटा घर आजाये, तो ढाई मन का तिलकुट करुँगी।इससे श्री गणेश भगवन प्रसंन हो गए और उसके बेटे को फेरों में लाकर बैठा दिया। बेटे का विवाह धूम-धाम से हो गया। जब साहूकारनी के बेटा एवं बहू घर आगए तब साहूकारनी ने ढाई मन तिलकुट किया और बोली हे चौथ देव! आप के आशीर्वाद से मेरे बेटा-बहू घर आये हैं, जिससे में हमेसा तिलकुट करके व्रत करुँगी। इसके बाद सारे नगर वासियों ने तिलकुट के साथ सकट व्रत करना प्रारम्भ कर दिया।हे सकट चौथ! जिस तरह साहूकारनी को बेटे-बहू से मिलवाया, वैसे ही हम सब को मिलवाना। इस कथा को कहने सुनने वालों का भला करना।बोलो सकट चौथ की जय। श्री गणेश देव की जय।सकट चौथ माता आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥सकट चौथ की व्रत विधि (Sakat Chauth Vidhi)
सकट चौथ के दिन महिलाएं सुबह स्नान के बाद निर्जला व्रत रखती हैं। चंद्र दर्शन के बाद व्रत को तोड़ती हैं। कुछ स्थानों पर महिलाएं इस दिन कुछ नहीं खातीं। वहीं कुछ स्थानों पर महिलाएं व्रत तोड़ने के बाद खिचड़ी मूंगफली और फलाहार करती हैं। इस दिन शकरकंद खाने का सर्वाधिक महत्व होता है। इस व्रत में काले तिल और गुड़ से बने गणेश का भोग लगाया जाता है और उन्हें चावल का बना आटा भी चढ़ाया जाता है।sakat Chauth vrat katha
एक बार गणेशजी बाल रूप में चुटकी भर चावल और एक चम्मच दूध लेकर पृथ्वी लोक के भ्रमण पर निकले। वे सबसे यह कहते घूम रहे थे, कोई मेरी खीर बना दे, कोई मेरी खीर बना दे। लेकिन सबने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया। तभी एक गरीब बुढ़िया उनकी खीर बनाने के लिए तैयार हो गई। इस पर गणेशजी ने घर का सबसे बड़ा बर्तन चूल्हे पर चढ़ाने को कहा। बुढ़िया ने बाल लीला समझते हुए घर का सबसे बड़ा भगौना उस पर चढ़ा दिया। गणेशजी के दिए चावल और दूध भगौने में डालते ही भगौना भर गया। इस बीच गणेशजी वहां से चले गए और बोले अम्मा जब खीर बन जाए तो बुला लेना। पीछे से बुढ़िया के बेटे की बहू ने एक कटोरी खीर चुराकर खा ली और एक कटोरी खीर छिपाकर अपने पास रख ली। अब जब खीर तैयार हो गई तो बुढ़िया माई ने आवाज लगाई-आजा रे गणेशा खीर खा ले।तभी गणेश जी वहां पहुंच गए और बोले कि मैंने तो खीर पहले ही खा ली। तब बुढ़िया ने पूछा कि कब खाई तो वे बोले कि जब तेरी बहू ने खाई तभी मेरा पेट भर गया। बुढ़िया ने इस पर माफी मांगी। इसके बाद जब बुढ़िया ने बाकी बची खीर का क्या करें, इस बारे में पूछा तो गणेश जी ने उसे नगर में बांटने को कहा और जो बचें उसे अपने घर की जमीन गड्ढा करके दबा दें। अगले दिन जब बुढ़िया उठी तो उसे अपनी झोपड़ी महल में बदली हुई और खीर के बर्तन सोने- जवाहरातों से भरे मिले। गणेश जी की कृपा से बुढ़िया का घर धन दौलत से भर गया। हे गणेशजी भगवान जैसे बुढ़िया को सुखी किया वैसे सबको खुश रखें।सकट चौथ व्रत में क्या खाएं?
सकट चौथ को संकष्टी चतुर्थी, वक्रतुण्डी चतुर्थी और माही चौथ के नाम से भी जाना जाता है। सकट चौथ के व्रत का पारण करने के बाद भी आज केवल सात्विक भोजन या फलाहार ही ग्रहण करना चाहिए और तामसिक भोजन से परहेज करें। सकट चौथ में व्रत खोलने के लिए चंद्रमा दर्शन और पूजन को जरूरी माना गया है। आज करीब 9.10 बजे चांद निकलेगा।Ganesh Ji Mantra (गणेश जी मंत्र)
'गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक :।।धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।सकट चौथ की व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार देवता गण संकट में घिरे हुए थे, तो वे कैलाश पर्वत पर भगवान शिव की शरण में आए. वहां पर भगवान गणेश और कार्तिकेय जी उपस्थित थे. भगवान भोलेनाथ ने अपने पुत्रों कार्तिकेय और गणेश से पूछा कि तुम दोनों में से कौन देवाताओं के संकट को दूर करेगा. दोनों ने ही कहा कि वे देवताओें को संकट से उबार सकते हैं.भगवान महादेव ने कहा कि तुम दोनों में से जो पहले धरती की परिक्रमा करके आएगा, उसे ही देवताओं के संकट को दूर करने का अवसर मिलेगा. यह सुनते ही कार्तिकेय मोर पर सवार होकर पृथ्वी की परिक्रमा करने चल दिए.गणेश जी का वाहन मूषक था और उससे पृथ्वी की परिक्रमा जल्दी कर पाना संभव नहीं था. तब गणेश जी ने अपने माता-पिता की परिक्रमा करनी शुरू कर दी. 7 बार परिक्रमा करने के बाद वे अपने माता-पिता को प्रणाम करके एक तरफ खड़े हो गए. कुछ देर में कार्तिकेय वहां आ गए और स्वयं को विजेता बताने लगे.इस पर शिव जी ने गणेश जी से पूछा कि उन्होंने पृथ्वी की परिक्रमा करने की जगह माता-पिता की परिक्रमा क्यों की? तब गणेश जी ने कहा कि माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक होता है. यह सुनकर भगवान शिव प्रसन्न हुए और गणेश जी को विजयी घोषित किया.क्या खाकर खोल सकते हैं सकट चौथ का व्रत?
सकट चौथ का व्रत दूध और शकरकंद खाकर ही खोला जाता है। व्रत खोलने के बाद तिल, गुड़ आदि को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।सकट चौथ व्रत में क्या खाना चाहिए?
सकट चौथ पर कुछ स्थानों पर पूरे दिन निर्जला व्रत रखने का नियम है तो वहीं, कुछ व्रती महिलाएं स्वास्थ्य कारणों से फलाहार खाकर ये व्रत रखती हैं। इस दिन आप अन्न का सेवन नहीं कर सकते हैं, लेकिन फलाहार कर सकते हैं। फलाहार में आप मीठे फलों और जूस का सेवन कर सकते हैं।सकट चौथ मंत्र
ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥सकट चौथ की पूजा सामग्री लिस्ट
सकट चौथ की पूजा के लिए लकड़ी की चौकी, पीला कपड़ा, जनेऊ, सुपारी, पान का पत्ता, लौंग, इलायची, गंगाजल, गणपति की मूर्ति, लाल फूल, 21 गांठ दूर्वा, रोली, मेहंदी, सिंदूर, अक्षत, हल्दी, मौली, इत्र, अबीर, गुलाल, गाय का धी, दीप, धूप, 11 या 21 तिल के लड्डू, मोदक, मौसमी फल, सकट चौथ व्रत कथा की पुस्तक, चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए दूध, गंगाजल, कलश, चीनी आदि चीजों की आवश्यकता होगी।Tilkut Chauth Ke Kahani- तिलकुट चौथ की कहानी
एक साहूकार और एक साहूकारनी थे। वह धर्म पुण्य को नहीं मानते थे। इसके कारण उनके कोई बच्चा नहीं था। एक दिन साहूकारनी पडोसी के घर गयी। उस दिन सकट चौथ था, वहाँ पड़ोसन सकट चौथ की पूजा करके कहानी सुना रही थी।साहूकारनी ने पड़ोसन से पूछा: तुम क्या कर रही हो?तब पड़ोसन बोली कि आज चौथ का व्रत है, इसलिए कहानी सुना रही हूँ।तब साहूकारनी बोली: चौथ के व्रत करने से क्या होता है?तब पड़ोसन बोली: इसे करने से अन्न, धन, सुहाग, पुत्र सब मिलता है।तब साहूकारनी ने कहा: यदि मेरा गर्भ रह जाये तो में सवा सेर तिलकुट करुँगी और चौथ का व्रत करुँगी।श्री गणेश भगवान की कृपया से साहूकारनी के गर्भ रह गया। तो वह बोली कि मेरे लड़का हो जाये, तो में ढाई सेर तिलकुट करुँगी। कुछ दिन बाद उसके लड़का हो गया, तो वह बोली कि हे चौथ भगवान! मेरे बेटे का विवाह हो जायेगा, तो सवा पांच सेर का तिलकुट करुँगी।कुछ वर्षो बाद उसके बेटे का विवाह तय हो गया और उसका बेटा विवाह करने चला गया। लेकिन उस साहूकारनी ने तिलकुट नहीं किया। इस कारण से चौथ देव क्रोधित हो गये और उन्होंने फेरो से उसके बेटे को उठाकर पीपल के पेड़ पर बिठा दिया। सभी वर को खोजने लगे पर वो नहीं मिला, हतास होकर सारे लोग अपने-अपने घर को लौट गए। इधर जिस लड़की से साहूकारनी के लड़के का विवाह होने वाला था, वह अपनी सहेलियों के साथ गणगौर पूजने के लिए जंगल में दूब लेने गयी।तभी रास्ते में पीपल के पेड़ से आवाज आई: ओ मेरी अर्धब्यहि!यह बात सुनकर जब लड़की घर आयी, उसके बाद वह धीरे-धीरे सूख कर काँटा होने लगी।एक दिन लड़की की माँ ने कहा: मैं तुम्हें अच्छा खिलाती हूँ, अच्छा पहनाती हूँ, फिर भी तू सूखती जा रही है? ऐसा क्यों?तब लड़की अपनी माँ से बोली कि वह जब भी दूब लेने जंगल जाती है, तो पीपल के पेड़ से एक आदमी बोलता है कि ओ मेरी अर्धब्यहि।उसने मेहँदी लगा राखी है और सेहरा भी बांध रखा है। तब उसकी माँ ने पीपल के पेड़ के पास जा कर देखा, यह तो उसका जमाई ही है।तब उसकी माँ ने जमाई से कहा: यहाँ क्यों बैठे हैं? मेरी बेटी तो अर्धब्यहि कर दी और अब क्या लोगे?साहूकारनी का बेटा बोला: मेरी माँ ने चौथ का तिलकुट बोला था लेकिन नहीं किया, इस लिए चौथ माता ने नाराज हो कर यहाँ बैठा दिया।यह सुनकर उस लड़की की माँ साहूकारनी के घर गई और उससे पूछा कि तुमने सकट चौथ का कुछ बोला है क्या?तब साहूकारनी बोली: तिलकुट बोला था। उसके बाद साहूकारनी बोली मेरा बेटा घर आजाये, तो ढाई मन का तिलकुट करुँगी।इससे श्री गणेश भगवन प्रसंन हो गए और उसके बेटे को फेरों में लाकर बैठा दिया। बेटे का विवाह धूम-धाम से हो गया। जब साहूकारनी के बेटा एवं बहू घर आगए तब साहूकारनी ने ढाई मन तिलकुट किया और बोली हे चौथ देव! आप के आशीर्वाद से मेरे बेटा-बहू घर आये हैं, जिससे में हमेसा तिलकुट करके व्रत करुँगी। इसके बाद सारे नगर वासियों ने तिलकुट के साथ सकट व्रत करना प्रारम्भ कर दिया।हे सकट चौथ! जिस तरह साहूकारनी को बेटे-बहू से मिलवाया, वैसे ही हम सब को मिलवाना। इस कथा को कहने सुनने वालों का भला करना।बोलो सकट चौथ की जय। श्री गणेश देव की जय।Sakat Chauth Vrat vidhi- सकट चौथ व्रत विधि
भक्त सुबह उठकर पवित्र स्नान करें।सकट चौथ व्रत रखने का संकल्प करें।एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर प्रतिमा की स्थापना करें।सिंदूर का तिलक लगाएं।घी का दीपक जलाएं।भगवान गणेश की प्रतिमा पर फूल, फल और मिठाइयां चढ़ाएं।पूजा में तिलकुट का भोग जरूर शामिल करें।गणेश चालीसा का पाठ करें।अंत में बप्पा की आरती करें।शंखनाद से पूजा पूर्ण करें।प्रसाद खाकर अपने व्रत का पारण करें।why sakat chauth is celebrated- सकट चौथ का व्रत क्यों मनाया जाता है
हिंदू धर्म में इस व्रत का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार सकट चौथ के दिन भगवान गणेश ने माता पार्वती और शिव जी की परिक्रमा की थी। माता-पिता की परिक्रमा कर उन्होंने इस संपूर्ण ब्रह्मांण की परिक्रमा के बराबर बताया। इसलिए वह इस दिन से पूज्यनीय हो गए। यह व्रत माताएं अपने संतान की दीर्घायु और उनके कुशल-मंगल जीवन के लिए रखती हैं। नव विवाहित दांपतियां भी संतान सुख की कामना हेतु इस दिन व्रत करती हैं। इस व्रत को लेकर यह मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से सूनी गोद भर जाती है। इस दिन गणपति भगवान की पूजा करने से उनका आशीर्वाद मिलता है और जीवन में संतान सुख की प्राप्ति होती है।तिलकुट का भोग का महत्व
सकट चौथ के दिन भगवान गणेश जी के भोग में तिल से बनी चीजों को शामिल किया जाता है। इस पर्व को लेकर अलग-अलग राज्यों में कई तरह की मान्यताएं हैं। सकट चौथ व्रत की एक कथा के अनुसार, माघ माह में तिल का अधिक महत्व है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गणपति बप्पा को तिल के लड्डू और तिलकुट अधिक प्रिय है।सकट चौथ के दिन महिलाएं संतान के निरोग रहने के लिए व्रती करती हैं। तिल और गुड़ की मदद से तिलकुट बनाकर भगवान गणेश जी को भोग लगाती हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान गणेश जी प्रसन्न होते हैं और साधक के सभी संकट दूर करते हैं। इसलिए सकट चौथ के अवसर पर गणपति बप्पा को तिलकुट का भोग लगाया जाता है।गणेश जी आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥Ganesh Chauth Vrat Katha: गणेश चौथ व्रत कथा
एक बार गणेशजी बाल रूप में चुटकी भर चावल और एक चम्मच दूध लेकर पृथ्वी लोक के भ्रमण पर निकले। वे सबसे यह कहते घूम रहे थे, कोई मेरी खीर बना दे, कोई मेरी खीर बना दे। लेकिन सबने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया। तभी एक गरीब बुढ़िया उनकी खीर बनाने के लिए तैयार हो गई। इस पर गणेशजी ने घर का सबसे बड़ा बर्तन चूल्हे पर चढ़ाने को कहा। बुढ़िया ने बाल लीला समझते हुए घर का सबसे बड़ा भगौना उस पर चढ़ा दिया। गणेशजी के दिए चावल और दूध भगौने में डालते ही भगौना भर गया। इस बीच गणेशजी वहां से चले गए और बोले अम्मा जब खीर बन जाए तो बुला लेना। पीछे से बुढ़िया के बेटे की बहू ने एक कटोरी खीर चुराकर खा ली और एक कटोरी खीर छिपाकर अपने पास रख ली। अब जब खीर तैयार हो गई तो बुढ़िया माई ने आवाज लगाई-आजा रे गणेशा खीर खा ले।तभी गणेश जी वहां पहुंच गए और बोले कि मैंने तो खीर पहले ही खा ली। तब बुढ़िया ने पूछा कि कब खाई तो वे बोले कि जब तेरी बहू ने खाई तभी मेरा पेट भर गया। बुढ़िया ने इस पर माफी मांगी। इसके बाद जब बुढ़िया ने बाकी बची खीर का क्या करें, इस बारे में पूछा तो गणेश जी ने उसे नगर में बांटने को कहा और जो बचें उसे अपने घर की जमीन गड्ढा करके दबा दें। अगले दिन जब बुढ़िया उठी तो उसे अपनी झोपड़ी महल में बदली हुई और खीर के बर्तन सोने- जवाहरातों से भरे मिले। गणेश जी की कृपा से बुढ़िया का घर धन दौलत से भर गया। हे गणेशजी भगवान जैसे बुढ़िया को सुखी किया वैसे सबको खुश रखें।सकट चौथ व्रत का पारण समय 2024 (Sakat Chauth Vrat Parana Time 2024)
सकट चौथ व्रत का पारण चंद्रोदय के समय किया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार आज चंद्रोदय समय रात 9 बजकर 10 मिनट का है। इस दौरान सकट चौथ के व्रत का पारण किया जाएगा।© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited