Sangrand July Date 2024: जुलाई के महीने में कब मनाई जाएगी संग्रांद, यहां जानें तिथि और महत्व

Sangrand July Date 2024: जब ग्रहों के राजा अपनी राशि बदलते हैं उस तिथि को संक्रांति तिथि के रूप में मनाया जाता है। संक्रांति को ही सिख धर्म के लोग संग्रांद के नाम से पुकारते हैं। ऐसे में आइए जानें जुलाई के महीने में संग्रांद कब मनाई जाएगी।

Sangrand July Date 2024

Sangrand July Date 2024: ग्रहों के राजा सूर्य हर एक महीने पर अपनी राशि परिवर्तन करते हैं। इनके इसी गोचर को संक्रांति के नाम से जाना जाता है। संक्रांति तिथि के दिन सू्र्य अपनी राशि बदलते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार संक्रांति वो तिथि होती है, जिसके बाद नये महीने की शुरुआत होती है। संक्रांति को सिख धर्म में संग्रांद के नाम से जाना जाता है। इस तिथि का सिख धर्म में भी बहुत ही खास महत्व है। इस दिन गुरुद्वारे में खास आयोजन किये जाते हैं इसके साथ मथा टेका जाता है। ऐसे में आइए जानें कि जुलाई महीने की संग्रांद तिथि कब पड़ रही है और इसका क्या महत्व है।

Sangrand July Date 2024 (जुलाई संग्रांद तिथि 2024)जब सूर्य अपनी राशि परिवर्तन करते हैं, उस दिन संग्रांद मनाई जाती है। जुलाई के महीने में सूर्य 16 जुलाई को प्रात: 11 बजकर 29 मिनट पर राशि से निकलकर कर्क राशि में प्रवेश करेंगे। ऐसे में जुलाई महीने की संग्रांद 16 जुलाई 2024 को मनाई जाएगी। हिंदू धर्म में इसे कर्क संक्रांति के नाम से जाना जाता है।

क्या होती है संग्रांद (Sangrand Kya Hoti Hai)संग्रांद सिख धर्म में बहुत ही खास तिथि मानी जाती है। इस दिन को गुरुद्वारे में प्रार्थना के लिए सबसे खास दिन माना गया है। संग्रांद की तिथि पर गुरुद्वारे में खास कीर्तन भजन के आयोजन किये जाते हैं और लंगड़ लगाई जाती है। इस दिन सभी लोग एक साथ मिलकर नये महीने की शुरुआत का जश्न मनाते हैं और आपकी प्रेम और एकता को दर्शाते हैं। संग्रांद आपसी एकता का दिन माना जाता है।

संग्रांद महत्व (Sangrand Mahtav)

सिख धर्म में संग्रांद का विशेष महत्व है। इस दिन को सिख धर्म में नये महीने की शुरुआत के रूप में मनाया जाता है। हिंदू धर्म में संग्रांद को संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। ये तिथि दोनों ही धर्म के लोगों के लिए खास होती है। हिंदू धर्म के लोग इस दिन गंगा स्नान और दान करते हैं। वहीं सिख धर्म के लोग संग्रांद के दिन गुरुद्वारे में कीर्तन का आयोजन करते हैं। इस दिन सारे लोग गुरुद्वारे में इकट्ठा होते हैं और आपसी प्रेम और एकता को बढ़ावा देते हैं।

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