Bhadwa Chauth Ki Kahani: संकष्टी चतुर्थी के दिन जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, यहां पढ़ें भादवा चौथ की कहानी

Heramba Sankashti Chaturthi Vrat Katha, Bhadwa Chauth Ki Kahani: संकष्टी चतुर्थी व्रत प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष चतुर्थी को पड़ता है। इस व्रत में भगवान गणेश की पूजा की जाती है। जब संकष्टी चतुर्थी भाद्रपद महीने में पड़ती है तो उसे भादो संकष्टी चतुर्थी या भादवा चौथ के नाम से जाना जाता है। चलिए जानते हैं भादवा चौथ की व्रत कथा।

Bhadrapada Sankashti Chaturthi Vrat Katha In Hindi

Heramba Sankashti Chaturthi Vrat Katha, Bhadwa Chauth Ki Kahani (भादवा चौथ की कहानी): इस साल भादवा संकष्टी चतुर्थी व्रत 22 अगस्त को रखा जाएगा। इस व्रत में भगवान गणेश, शिव जी और श्री कृष्ण की पूजा की जाती है। कई जगह इस दिन गायों की भी पूजा होती है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार भादवा चौथ व्रत रखने से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। साथ ही सुख-समृद्धि की भी प्राप्ति होती है। चलिए जानते हैं भाद्रपद गणेश संकष्टी चतुर्थी या भादवा चौथ की व्रत कथा।

भाद्रपद गणेश चतुर्थी व्रत कथा (Bhadrapad Sankashti Ganesh Chaturthi Vrat Katha)

पौराणिक काल में राजाओं में श्रेष्ठ राजा नल था उसकी बेहद सुंदर रानी थी जिसका नाम दमयन्ती था। किसी शाप की वजह से राजा नल को राज्यच्युत खोना पड़ा और उसे रानी से दूर होने का कष्ट सहना पड़ा। तब दमयन्ती ने संकष्टी चतुर्थी व्रत के प्रभाव से अपने पति को प्राप्त किया।
कहते हैं राजा नल के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था। डाकुओं ने उनके महल से सारा धन, गजशाला से हाथी और घुड़शाला से घोड़े ले लिये थे और महल को जला दिया था। यही नहीं राजा नल भी जुआ खेलकर सब हार चुके थे। तब राजा नल असहाय होकर अपनी रानी के साथ वन में चले गए। शाप के कारण उन्हें स्त्री वियोग का दुख भी सहना पड़ा। कहीं राजा और कहीं रानी दु:खी होकर देशाटन करने लगे।
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