Sanskrti Mantra: संस्कृत भाषा के ऐसे पांच मंत्र जो भर देंगे आप में शक्ति, जानें इनका अर्थ

Sanskrti Mantra: मंत्रों का हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्व होता है। मंत्र जाप करने से मनुष्य को मानसिक रूप से शांति मिलती है। मन को एकाग्रचित करने के लिए भी मंत्रों का जाप करना फलदायी होता है। आइए जानते हैं संस्कृत भाषा के ऐसे पांच मंत्र जो आपके मन को ऊर्जा से भर देंगे। संस्कृत भाषा का मंत्रों का हिंदी अनुवाद यहां पढ़े।

Sanskrti Mantra

Sanskrti Mantra

Sanskrti Mantra: सनातन धर्म में संस्कृत भाषा को वैदिक भाषा के रूप में भी जाना जाता है। मंत्रों के जाप के वैदिक शास्त्र में विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि मंत्र जाप करने से मनुष्य को मन की शांति प्राप्त होती है। मन को किसी काम में लगाने के लिए भी मंत्र का उच्चारण करना फायदेमंद होता है। पुराणों में भी मंत्र जाप करने के सबसे अधिक फलदायी माना गया है। मंत्र जाप करने से मन शांत रहता है और नकारात्मकता भी दूर होती है। मंत्र जाप करने से आसापस सकारात्मकता आती है। आइए जानते हैं किन मंत्रों के जाप से शरीर में ऊर्जा आती है। जानिए इन खास मंत्रों का अर्थ।

इन मंत्रों का करें जाप॥ ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते। पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ॥

अर्थ- वह सच्चिदानंदघन परमात्मा सभी प्रकार से हमेशा परिपूर्ण है।यह जगत भी उस परब्रह्म से पूर्ण होता है, क्योंकि यह पूर्ण उस पूर्ण पुरुषोत्तम से ही उत्पन्न हुआ है ॥

॥ ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥

अर्थ – हम ईश्वर की महिमा का ध्यान करते हैं, जिसने इस संसार को बनाया है। जो पूजनीय है, जो ज्ञान का भंडार है, जो पापों तथा अज्ञान को दूर करने वाले हैं- वह हमें प्रकाश दिखाए और हमें सत्य के पथ पर ले जाए ॥

॥ ॐ असतो मा सद्गमय तमसो मा ज्योतिर्गमय । मृत्योर्मा अमृतं गमय ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

अर्थ – हे प्रभु, मुझे सत्य का मार्ग दिखाओ जो मुझे अधर्म से बचाएगा, मेरे भीतर के अंधकार और अज्ञान को दूर करो और प्रकाश और सच्चा ज्ञान दो, मुझे अच्छे कर्म करने में सक्षम करना, इसलिए इस दुनिया को छोड़ने के बाद भी, लोगों को मेरे कार्यों का फल मिलता है ॥

॥ ओंकारं बिन्दुसंयुक्तं नित्यं ध्यायन्ति योगिनः। कामदं मोक्षदं चैव ओंकाराय नमो नमः ॥

अर्थ:- उन्हें नमस्कार, जो ओमकारा के रूप में आध्यात्मिक हृदय केंद्र में रहते हैं, जिन पर योगियों का ध्यान केंद्रित है, जो सभी इच्छाओं को पूरा करता है और अपने भक्तों को मुक्ति भी देता है। उस शिव को नमस्कार, जिसे शब्दांश “ओम” द्वारा दर्शाया गया है ॥

॥ ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः। स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।

स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः। स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

अर्थ – कीर्तिवाले ऐश्वर्यशाली इन्द्रदेव हमारा कल्याण करें, सबके पोषणकर्ता वे सूर्यदेव हमारा कल्याण करें। जिनकी चक्रधारा के समान गति को कोई रोक नहीं सकता, वे गरुड़देव हमारा कल्याण करें। वेदवाणी के स्वामी बृहस्पति हमारा कल्याण करें ॥

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल

लेटेस्ट न्यूज

    TNN अध्यात्म डेस्क author

    अध्यात्म और ज्योतिष की दुनिया बेहद दिलचस्प है। यहां हर समय कुछ नया सिखने और जानने को मिलता है। अगर आपकी अध्यात्म और ज्योतिष में गहरी रुचि है और आप इस ...और देखें

    End of Article

    © 2024 Bennett, Coleman & Company Limited